Bihar Politics: बिहार चुनाव में किसके बीच होगा असली मुकाबला? चर्चा में दो बड़े नाम, सियासी हलचल तेज
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच मुकाबला होने की संभावना है। मोदी ने राज्य में कई सभाएं की हैं और सरकार की उपलब्धियां गिनाई हैं जबकि राहुल गांधी एनडीए के वोटरों को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 2020 के चुनाव में एनडीए को मामूली बहुमत मिला था जिस कारण दोनों नेता 2025 चुनाव के लिए सक्रिय है।

अरुण अशेष, पटना। आसार बता रहे हैं कि इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव दो बड़े राष्ट्रीय नेताओं के बीच होगा। एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोर्चा संभाल चुके हैं, उधर विपक्षी महागठबंधन की कमान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने हाथ में रखने का प्रयास कर रहे हैं।
यह बिहार चुनाव में इन दोनों नेताओं नेताओं की बढ़ी हुई रुचि ही है कि इस साल के पांच महीने में मोदी तीन बार बिहार आ चुके हैं। राहुल गांधी का चार दौरा हो चुका है। छह जून को वे पांचवीं बार बिहार आने वाले हैं। अगर बीते छह महीने की मोदी की बिहार यात्राओं का विवरण देखें तो वे इस अवधि में चौथी बार बिहार आ चुके हैं।
दोनों बड़े नेताओं की बिहार में सक्रियता की पृष्ठभूमि में 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम को देखा जा सकता है। उस चुनाव में 23 से तीन नवंबर (2020) के बीच मोदी चार बार बिहार आए। कुल 12 सभाएं की।
तब कोरोना काल चल रहा था, इसलिए मुख्य सभा स्थल से अलग भी भाषण सुनने का प्रबंध किया गया था। एक सभा के लिए संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में सौ-सौ एलइडी स्क्रीन लगाए गए थे। अगर भाजपा की ओर से किए गए ये दावे सही हैं तो पीएम मोदी को 12 सौ स्थलों पर लोगों ने सुना।
दूसरी तरफ राहुल गांधी तीन बार आए थे। उन्होंने आठ सभाएं की थीं। विधानसभा का परिणाम आया तो एनडीए को सत्ता में जाने के लिए कामचलाऊ बहुमत मिला। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें मिली थीं। महागठबंधन 110 सीट लाकर सत्ता से दूर रह गया था। 2025 के विधानसभा चुनाव का यह आंकड़ा सत्ता और विपक्ष को अति सक्रिय किए हुए है।
वोट देने की सीधी अपील नहीं
मोदी ने इस साल राज्य में हुई अब तक की सभाओं में विधानसभा चुनाव के लिए वोट देने की सीधी अपील नहीं की, लेकिन हर सभा में वे केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियां चुनावी सभाओं की तरह गिना रहे हैं। उसी अनुपात में कांग्रेस और उससे भी अधिक मुख्य विपक्षी दल राजद पर हमला कर रहे हैं।
बता रहे हैं कि डबल इंजन की सरकार बिहार के लिए कितनी लाभकारी और जरूरी है। बिक्रमगंज की सभा में तो उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 20 साल के शासनकाल को दो हिस्से में बांट कर उपलब्धियां गिना दीं। उनके कहने का भाव यही था कि बिहार में विकास तो पहले से हो रहा था।
2014 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य में विकास की गति अधिक तेज हुई। नीतीश कुमार का 20 साल के कार्यकाल पहले नौ साल में केंद्र में यूपीए की सरकार थी। 2014 में नरेंद्र मोदी जिस समय सत्ता में आए, नीतीश कुमार उनके धुर विरोधी थे।
राहुल कर रहे सरकार की आलोचना
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की इस साल की अब तक की चार यात्राएं एनडीए के आधार वोटरों को विपक्ष की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य पर केंद्रित रही हैं।
अनुसूचित जातियां और पिछड़े, अति पिछड़े एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को वे संबोधित कर रहे हैं। उनकी पांचवी यात्रा छह जून को नालंदा जिला के राजगीर में आयोजित अति पिछड़ा वर्ग सम्मेलन को संबोधित करने के लिए हो सकती है।
हां, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की यात्राओं में एक बुनियादी अंतर है। मोदी के कार्यक्रमों में एनडीए के सभी घटक दलों के नेता मंच पर उपस्थित रहते हैं। राहुल के मंच पर यह दृश्य नहीं रहता है। उनके मंच पर कांग्रेस और उसके जनसंगठनों के नेता ही रहते हैं।
महागठबंधन की समन्वय समिति बन गई है। घटक दलों के नेता साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस साझे में करते हैं। यह कहना कठिन है कि विधानसभा चुनाव के समय भी राहुल गांधी की हर एक सभा में उनके मंच पर तेजस्वी यादव रहेंगे या नहीं। क्योंकि 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में यह नहीं हुआ था।
लोकसभा चुनाव ने निराश किया
2020 के विधानसभा चुनाव में मुश्किल जीत हासिल करने के बाद भी 2020 के लोकसभा चुनाव में एनडीए अपना प्रदर्शन नहीं सुधार पाया था। 2019 में एनडीए को लोकसभा की 40 में से 39 सीटों पर उसे सफलता मिली थी। पांच साल में इनमें से नौ सीटें गुम हो गईं। विपक्ष को कुल 10 सीटों पर सफलता मिली। यह उसकी बड़ी उपलब्धि थी।
हांलांकि, लोकसभा चुनाव के समय विधानसभा की जितनी सीटों पर एनडीए को बढ़त मिली, विधानसभा चुनाव में उसकी भी पुनरावृति हो जाती है तो उसे राज्य में अगली सरकार बनाने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी।
वैसे एनडीए का मनोबल विधानसभा की चार सीटों पर हुए उप चुनाव के परिणाम से बढ़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद बेलागंज, तरारी, रामगढ़ और ईमामगंज विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव में एनडीए उम्मीदवारों की जीत हुई थी।
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