Bihar Chunav 2025: बाहुबली पर कसा शिकंजा तो परिवार को बढ़ाया आगे, इन सीटों पर 'दबंग' परिवारों का दबदबा
बिहार चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक दलों में तैयारियां ज़ोरों पर हैं। कई बाहुबली नेता अब चुनाव मैदान से दूर हो रहे हैं, जिसके चलते उनके परिवार के सदस्य उनकी जगह ले रहे हैं। कुछ विशेष सीटों पर दबंग परिवारों का दबदबा कायम है, जहाँ वे अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, पटना। मोकामा के दुलारचंद हत्याकांड में अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद बिहार में बाहुबलियों के दबदबे की चर्चा एक बार फिर हो शुरू हो गई है। बिहार की राजनीति में 'बाहुबली' शब्द आज भी उतना ही जोरदार गूंजता है, जितना नब्बे के दशक में। अपराध, जाति और क्षेत्रीय वर्चस्व के त्रिकोण पर टिकी यह सियासत अब परिवारों की चौथी पीढ़ी तक पहुंच चुकी है।
2025 विधानसभा चुनाव की कुल 243 सीटों पर सियासी घमासान के बीच 22 से अधिक बाहुबली या उनके परिजन मैदान में हैं। चुनावी हलफनामों के विश्लेषण पर एडीआर की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 47% उम्मीदवारों पर आपराधिक केस हैं, जिनमें से 27% हत्या, रंगदारी और धमकी जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े हैं।
सत्ताधारी JDU और विपक्षी RJD दोनों ने ही बाहुबलियों और उनके वारिसों को खुलकर टिकट दिए हैं। RJD ने 9, JDU ने 7, BJP ने 4 और LJP ने 2 बाहुबलियों या उनके परिजनों को टिकट दिए हैं। सवाल वही पुराना है कि क्या बिहार कभी 'जंगलराज' से ऊपर उठ पाएगा, या ये दबंग परिवार ही सत्ता की चाबी हैं?
परिवार की विरासत पर दांव: जेल से चुनावी रणनीति
इस बार चुनावी रणभूमि में पुराने दबंगों के वारिसों की जंग देखने को मिल रही है, जिनके मुखिया कानूनी अड़चनों के कारण चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन उनकी राजनीतिक ताकत उनके परिजनों के कंधों पर टिकी है।
मुन्ना शुक्ला परिवार: जेल से चुनावी रणनीति
बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड के सजायाफ्ता मुन्ना शुक्ला (वैशाली) फिलहाल भागलपुर जेल में हैं, लेकिन उनका परिवार लालगंज सीट पर RJD का चेहरा बन चुका है। अब उनकी बेटी शिवानी शुक्ला (28 वर्ष, लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से LLM) लालगंज से RJD टिकट पर मैदान में हैं।
भूमिहार वोटबैंक पर पकड़ के चलते RJD ने उन्हें चुना है, लेकिन BJP और कांग्रेस से त्रिकोणीय मुकाबला है। हाल ही में शिवानी को चुनाव प्रचार के दौरान हत्या की धमकी भी मिली थी, जिसके बाद उन्होंने चेतावनी दी, "एक खरोंच भी आई तो छोड़ूंगी नहीं।"
तस्लीमुद्दीन परिवार: भाई बनाम भाई की सियासी खींचतान
मोहम्मद तस्लीमुद्दीन की विरासत पर अब उनके बेटों का 'भाई vs भाई' ड्रामा चल रहा है। शाहनवाज आलम RJD टिकट पर जोकीहाट से लड़ रहे हैं, जबकि उनके भाई सरफराज आलम उनके खिलाफ जन सुराज से मैदान में हैं। तेजस्वी यादव ने रैली में NDA पर तंज कसा, "चुन्नू-मुन्नू की लड़ाई में जनता फंस रही।" सीमांचल के मुस्लिम बहुल जोकीहाट में ये जंग परिवार की एकजुटता पर सवाल खड़ी कर रही है।
सूरजभान सिंह परिवार: पत्नी के कंधों पर दबंग विरासत
मोकामा के दिग्गज बाहुबली सूरजभान सिंह (सूरज दादा) खुद हत्या के मामले में सजा के कारण चुनाव लड़ने से वंचित हैं, लेकिन उनकी पत्नी वीणा देवी RJD टिकट पर मोकामा से मैदान में हैं। उनका मुकाबला JDU के अनंत सिंह से है, जो 90 के दशक से चली आ रही दुश्मनी को ताजा कर रहा है। सूरजभान का भुमिहार वोटबैंक वीणा के जरिए RJD को मजबूती दे रहा है।
ओसामा शहाबुद्दीन: पिता की छाया में डेब्यू
सिवान के कुख्यात बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाबुद्दीन RJD टिकट पर रघुनाथपुर (सिवान) से चुनाव लड़ रहे हैं। ओसामा पर स्वयं 5 आपराधिक केस हैं। अमित शाह ने RJD पर तंज कसा, "शहाबुद्दीन के बेटे को टिकट देकर बिहार की सुरक्षा पर सवाल?" तेजस्वी इसे 'विरासत' बता रहे हैं। सिवान से पटना तक शहाबुद्दीन का प्रभाव ओसामा के जरिए RJD के मुस्लिम-यादव वोटबैंक को मजबूत कर रहा है।
रामा सिंह: वैशाली का पुराना दबंग
रामा किशोर सिंह (रामा सिंह) वैशाली के महनार से पूर्व विधायक-सांसद, जिन पर हत्या, अपहरण के दर्जनों केस हैं। LJP-RJD के बीच लौट-फिरट घूमे, लेकिन 2024 में RJD से इस्तीफा देकर NDA की ओर मुड़े। महनार पर उनका प्रभाव बरकरार है।
स्वयं चुनावी रिंग में बाहुबली
ये वे दबंग हैं जो कानूनी अड़चनों से बचते हुए या उनके बावजूद खुद चुनावी मैदान में उतरकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं:
अनंत सिंह: मोकामा का 'छोटे सरकार
JDU टिकट पर मोकामा से अनंत सिंह ('छोटे सरकार') मैदान में हैं। 28 से अधिक आपराधिक केसों का सामना कर रहे अनंत सिंह, 2019 में AK-47 बरामद होने पर UAPA के तहत जेल भी गए थे, लेकिन अब रिहा हैं। उन्होंने ₹37.88 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। अनंत RJD की वीणा देवी (सूरजभान की पत्नी) से सीधी टक्कर ले रहे हैं।
धूमल सिंह: एकमा का सशक्त चेहरा
JDU टिकट पर एकमा से धूमल सिंह (मनोरंजन सिंह) चुनाव लड़ रहे हैं। कोई आपराधिक केस न होने के बावजूद बाहुबली छवि के धनी धूमल ने ₹3.27 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। अपराध-मुक्त छवि के बावजूद स्थानीय दबदबे से JDU को फायदा होने की उम्मीद है।
राजू तिवारी: स्वयं बाहुबली, स्वयं वारिस
पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज से LJP(रामविलास) प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी खुद बाहुबली छवि के धनी हैं। 2025 में फिर LJP टिकट पर मैदान में उतरे राजू ने कहा है, "चिराग जी का भरोसा मेरी ताकत।"
रितलाल यादव और पप्पू पांडेय
दानापुर से RJD के रितलाल यादव 30 से अधिक गंभीर केस (हत्या, वसूली) होने के बावजूद जेल में रहकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कुचायकोट से JDU के अमरेंद्र कुमार पांडेय (पप्पू पांडेय) 14 केस (हत्या प्रयास) के बावजूद मैदान में हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बाहुबली परिवारों का वर्चस्व आज भी जातिगत समीकरणों पर टिका है। मुन्ना शुक्ला की बेटी और शहाबुद्दीन के बेटे का चुनाव लड़ना दिखाता है कि दबंगता अब पैतृक संपत्ति बन चुकी है। सत्ता के सभी दावेदार, जीतने की क्षमता (Winability) को आपराधिक रिकॉर्ड से ऊपर रख रहे हैं। बिहार की जनता इस बार दबंगता और विकास के बीच किसे चुनेगी, यह 10 नवंबर को मतगणना के दिन साफ हो जाएगा।

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