Bihar ADR Report: राजद में देवा, जसुपा में मनीष तो जदयू के अनंत सिंह पर सर्वाधिक आपराधिक मामले
एडीआर और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रारूप सी-7 भरने वाले दलों में कई उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज है ...और पढ़ें

राजद में देवा, जसुपा में मनीष तो जदयू के अनंत सिंह पर सर्वाधिक आपराधिक मामले
राज्य ब्यूरो, पटना। देश में चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संस्थान ऐसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म र्स (एडीआर) एवं बिहार इलेक्शन वॉच ने शुक्रवार को विधानसभा चुनाव 2025 में प्रारूप सी 7 भरने वाले राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों की विश्लेषण रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के अनुसार, कुल आपराधिक मामलों के साथ अधिकतम संख्या वाले शीर्ष पांच उम्मीदवारों में जदयू के अनंत सिंह पर 54, राजद के मोतिहारी से प्रत्याशी रहे देवा गुप्ता पर 52, जसुपा के चनटिया से प्रत्याशी रहे त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप पर 60, राघोपुर से जीते तेजस्वी यादव पर 17 एवं सिवान से एआईएमआईएम के मो. कैफ पर 34 गंभीर मामले हैं।
एडीआर के अनुसार, चुनाव लड़ने वाले कुल 2616 प्रत्याशियों के लिए 70 दलों ने 612 प्रत्याशियों ने आपराधिक मामले घोषित किए। उक्त में 436 प्रत्याशियों ने प्रारूप सी 7 भरकर अपनी आपराधिक जानकारी घोषित की थी।
इससे साफ है कि प्रारूप सी 7 में आपराधिक मामले प्रकाशित करने वाले दलों एवं उम्मीदवारों की संख्या 71 प्रतिशत रहा। जबकि 29 प्रतिशत ने प्रारूप सी 7 में आपराधिक मामलों की घोषणा नहीं की। यह सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी है।
बिहार इलेक्शन वॉच राज्य संयोजक राजीव कुमार के अनुसार रिपोर्ट में दी गई संपूर्ण जानकारी राजनीतिक दलों द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध किए गए प्रारूप सी 7 से लिया गया है।
विदित हो कि एडीआर से सभी जानकारी दलों एवं प्रत्याशियों के इंटरने मीडिया अकाउंट से संग्रहित किया है। इसमें चुनाव लड़ने वाले 161 दलों में 70 राजनीतिक दलों के डेटा का विश्लेषण किया गया है।
जसुपा ने उतारे थे सर्वाधिक 113 प्रत्याशी
रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनाव के दौरान प्रमुख दलों जन सुराज पार्टी (जसुपा) ने सर्वाधिक 113, राजद ने 91, भाजपा ने 61, कांग्रेस ने 41, जदयू ने 37, बसपा ने 29, लोजपारा 16, एआईएमआईएम ने 19, हम ने दो के बारे में प्रत्याशी बनाने का कारण नहीं बताया है।
यही नहीं, एडीआर सुचिता की बात करने वाली पार्टियों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं चुनाव आयोग के निर्देशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

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