Bihar Politics: 'हम' के 3 नेताओं को जन सुराज से मिला टिकट, उपेंद्र कुशवाहा को मांगनी पड़ी माफी
जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी 'रालोमो' को एनडीए में छह-छह सीटें मिली हैं, लेकिन असली चुनौती कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है। कम सीटें मिलने से दोनों दलों में आंतरिक नाराजगी है। कई नेता जन सुराज में शामिल हो गए हैं, और टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कुशवाहा और मांझी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा।
कुमार रजत, पटना। जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो को एनडीए में छह-छह सीटें तो मिल गईं मगर दोनों दलों के लिए असली चुनौती पूरे चुनाव अपने नेता-कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है। एनडीए में अपेक्षा से कम सीटें मिलने के कारण दोनों ही दलों में आंतरिक नाराजगी दिखने लगी है।
सबसे ज्यादा परेशानी हम में हैं। हम के कई नेता पहले ही माहौल भांप कर जन सुराज का दामन थाम चुके हैं। इनमें बोधगया से लक्ष्मण मांझी, टेकारी से डॉ. शशि यादव और मसौढ़ी से राजेश्वर मांझी को जन सुराज ने अपना उम्मीदवार भी बना दिया है।
इनमें राजेश्वर मांझी हम के एससी-एसटी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, जबकि शशि यादव राष्ट्रीय महासचिव और लक्ष्मण मांझी प्रदेश महासचिव के पद पर थे।
मांझी ने जिन 15 सीटों पर दावेदारी की थी, उनमें घोसी, शेरघाटी, सिमरी बख्तियारपुर, मोरवा, मखदुमपुर जैसी सीटें भी शामिल थीं। इन सीटों पर हम के टिकट पर चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कई पार्टी नेता अब निर्दलीय ताल ठोंकने की तैयारी में जुट गए हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी दोनों ही यह जानते थे कि कम सीटें मिलने पर नेता-कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आ सकती है। दोनों दलों की ओर से पिछले एक पखवारे से 15-20 सीटों पर किया जा रहा दावा, दरअसल एनडीए से ज्यादा अपने दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए था।
यह बताने के लिए पार्टी की ओर से उनके टिकट का पूरा प्रयास किया गया। हम में तो महज एक सीट अतरी पर ही नए उम्मीदवार की जगह बनी है, उसमें भी नाते-रिश्तेदारों का दावा मजबूत है।
रह-रहकर छलक रहा कुशवाहा-मांझी का दर्द:
सीट शेयरिंग के समय संतुष्टि का भाव जताने वाले जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा दोनों का दर्द भी रह-रहकर छलक रहा है। यह नेता-कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का ही उपाय है।
कुशवाहा ने रविवार की देर रात पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लिखा- आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पायी। मैं समझ रहा हूं, इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों-लाखों लोगों का मन दुखी होगा। आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। परंतु आप सभी मेरी एवं पार्टी की विवशता और सीमा को बखूबी समझ रहे होंगे। किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो बाहर से दिखतीं हैं मगर कुछ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। हम जानते हैं कि अंदर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति गुस्सा भी होगा, जो स्वाभाविक भी है।
आपसे विनम्र आग्रह है कि आप गुस्सा को शांत होने दीजिए, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि फैसला कितना उचित है या अनुचित। फिर कुछ आने वाला समय बताएगा। फिलहाल इतना ही।
सोमवार की सुबह उपेन्द्र कुशवाहा ने शायरी भी पोस्ट की। लिखा- आज बादलों ने फिर साजिश की, जहां मेरा घर था वहीं बारिश की। अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की। कुशवाहा के इस पोस्ट को भी पार्टी नेता-कार्यकर्ताओं से सहानुभूति बटोरने के लिए किया गया उपक्रम बताया जा रहा है। मांझी भी कसमसाते हुए इशारों में अपनी नाराजगी जता रहे हैं। वह एनडीए में छह सीटें मिलने के निर्णय को शिरोधार्य तो कर रहे मगर यह भी कह रहे कि इससे थोड़ी निराशा है। संभव है एनडीए को इसका नुकसान भी हो।
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