Bihar Chunav 2025: भाजपा की तिकड़ी ने पलट दिया परिणाम; क्या थी वो खास रणनीति?
Bihar Assembly Election 2025 news: चुनाव में भाजपा की तिकड़ी ने एक विशेष रणनीति अपनाई, जिसने परिणामों को बदल दिया। भाजपा ने बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया, सोशल मीडिया का उपयोग किया, और युवाओं व महिलाओं को टिकट वितरण में प्राथमिकता दी। विपक्ष की कमजोरियों का भी भाजपा ने फायदा उठाया।

अमित शाह, राजनाथ सिंंह व योगी आदित्यनाथ। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Election 2025 updates: बिहार की राजनीति में पहली बार भाजपा के रिकार्ड तोड़ सीट जीतने के पीछे शीर्ष स्टार प्रचारकों की तिकड़ी की भूमिका अहम रही।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे तीन शीर्ष स्टार प्रचारकों ने महागठबंधन की घोषणाओं की धार को कुंद कर दी।
सीधे तौर पर कहे तो बिहार की चुनावी राजनीति इस बार एक ऐसी तिकड़ी की चमक से रोशन हो गई, जिसने न केवल भाजपा के चुनाव अभियान को नई धार दी बल्कि पूरे राज्य में एनडीए के प्रदर्शन को ऐतिहासिक ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।
रणनीति, शैली और प्रभाव ने बनाया माहौल
इन तीन नेताओं की संयुक्त रणनीति, शैली एवं प्रभाव ने बिहार में ऐसा माहौल बनाया जिसे राजनीतिक विश्लेषक इतिहास रचने वाला अभियान कह रहे हैं।
सबसे पहले बात राजनाथ सिंह की वे भाजपा की सबसे संतुलित और स्वीकार्य छवि का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी सभाओं में भीड़ सिर्फ सुनने नहीं, बल्कि समझने आती है।
राजनाथ सिंह ने बिहार के सामाजिक और राजनीतिक भावनात्मक बिंदुओं को छुआ, साथ ही विकास एवं स्थिरता का संदेश दिया। उनकी सादगी और शालीनता ने मध्यमार्गी व निर्णायक मतदाताओं को एनडीए की ओर खींचने में बड़ा योगदान दिया।
विपक्ष की कमजोरियों को रखा सामने
दूसरी ओर अमित शाह की सभाओं ने पूरे चुनाव को संगठन बनाम विपक्ष की लड़ाई में बदल दिया। शाह ने क्षेत्रवार मुद्दों को राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के विकास तर्कों के साथ जोड़ते हुए विपक्ष की कमजोरियों को आक्रामक शैली में सामने रखा।
उनकी रणनीतिक बैठकों और वर्गवार संवादों ने एनडीए प्रत्याशियों को स्पष्ट दिशा दी। शाह की चुनावी इंजीनियरिंग ने बिहार के कई जटिल क्षेत्रों में समीकरण भाजपा के पक्ष में मोड़ दिए।
योगी की कठोर छवि का कैसा असर
अब आते हैं योगी आदित्यनाथ स्ट्रेटजी पर। कठोर छवि, ओजस्वी भाषण शैली एवं हिंदुत्व की स्पष्ट राजनीति। बिहार के युवा मतदाताओं पर उनका खास प्रभाव देखा गया।
मुस्लिम-बहुल एवं पिछड़े वर्ग वाले कई क्षेत्रों में भी योगी की सभाओं ने भाजपा के समर्थन आधार को मजबूत किया। उनकी लोकप्रियता ने भाजपा के कोर वोटर्स को उत्साहित किया।
इससे मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी ला दी। राजनाथ की विश्वसनीयता, शाह की रणनीति एवं योगी की उग्र जनअपील इन तीनों ने मिलकर बिहार में ऐसा वातावरण तैयार किया, जिसमें एनडीए का संदेश हर वर्ग तक मजबूती से पहुंचा।
बड़े नेताओं की यह तिकड़ी विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग राजनीतिक भाषाएं बोलती दिखी, लेकिन लक्ष्य एक था एनडीए को निर्णायक जीत दिलाना।
चुनाव विशेषज्ञ अभय कुमार का मानना है कि इस तिकड़ी ने बिहार में राजनीति की नई परिभाषा गढ़ी। एक तरफ विकास का संतुलित दृष्टिकोण, दूसरी तरफ संगठन की स्मार्ट रणनीति और तीसरी तरफ जमीन पर भावनात्मक जुड़ाव इन तीनों ने मिलकर वह इतिहास रच दिया जिसकी प्रतीक्षा भाजपा को लंबे समय से थी।
बिहार के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी दल की तीन बड़ी राष्ट्रीय हस्तियों ने इतनी असरदार, योजनाबद्ध और पूरक भूमिका निभाई हो। यह तिकड़ी अब सिर्फ चुनावी सफलता का प्रतीक नहीं, बल्कि भाजपा के लिए विजय माडल साबित होती नजर आ रही है।
किसने कीं कितनी जनसभाएं
- राजनाथ सिंह - 20
- अमित शाह -36
- योगी आदित्यनाथ -31

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