बिहार चुनाव 2025: पहले चरण के नामांकन में 1198 दावेदार, चुनावी रणभूमि में परंपरा और पहचान की टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों के लिए 1198 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। यह चुनाव दलों और गठबंधनों से आगे बढ़कर छवि और पहचान की लड़ाई बन गया है। कई जिलों में उम्मीदवारों की भीड़ ने चुनावी समीकरणों को जटिल बना दिया है। अब देखना यह है कि जनता लोकप्रियता और अनुभव में से किसे चुनती है, और विचारधारा-आधारित राजनीति युवाओं को कितना आकर्षित करती है। यह चुनाव लोकप्रियता बनाम प्रतिबद्धता की टक्कर है।

चुनावी रणभूमि में परंपरा और पहचान की टक्कर
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की तस्वीर अब पूरी तरह से साफ हो चुकी है। कुल 18 जिलों की 121 सीटों पर हुए नामांकन में 1198 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है। यह आंकड़ा न केवल चुनावी प्रतियोगिता की तीव्रता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि बिहार की राजनीति अब सिर्फ दलों और गठबंधनों के दायरे में सीमित नहीं है — यह अब छवि, प्रतीक, विचारधारा और पहचान की नई लड़ाई बन चुकी है।
एक तरफ दिग्गज, दूसरी तरफ जनलोकप्रिय चेहरे
परंपरागत राजनीतिक संरचना को चुनौती देने वाले चेहरों की इस बार भरमार है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जैसे अनुभवी नेता जहां सीवान से मैदान में हैं, वहीं इस बार कई गैर-राजनीतिक चेहरों ने भी अपने तरीके से चुनाव को नया मोड़ दे दिया है।
- लोकगायक खेसारी लाल यादव ने छपरा से नामांकन दाखिल कर यह साफ कर दिया कि स्टारडम अब सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं।
- लोकगायिका मैथिली ठाकुर, जिन्हें मिथिला की आवाज़ कहा जाता है, अलीनगर से चुनावी मैदान में हैं।
- दीपा मांझी, जो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की बहू हैं, इमामगंज से जदयू की प्रत्याशी बनी हैं।
ये चेहरे यह दर्शाते हैं कि अब दलों की रणनीति केवल संगठन या जातिगत समीकरणों पर नहीं, बल्कि जनभावनात्मक जुड़ाव और सोशल मीडिया प्रभाव पर भी टिकी है।
महागठबंधन: विचारधारा और सामाजिक समीकरण पर अडिग
महागठबंधन (INDIA गठबंधन) के लिए यह चुनाव अपने पारंपरिक सामाजिक आधार और विचार आधारित राजनीति की परीक्षा भी है।
कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवारों
- ऋषि मिश्र (जाले)
- अमित कुमार सिंह उर्फ टुन्ना (रीगा)
- वी.के. रवि (पूर्व DGP, तमिलनाडु) – रोसड़ा (सु)
- अमरेश कुमार (लखीसराय)
- बिजेंद्र चौधरी (मुजफ्फरपुर)
- संजीव सिंह (वैशाली)
भाकपा (CPI) प्रत्याशी
- मोहित पासवान (राजापाकड़, सु)
- शिव प्रकाश यादव (बिहारशरीफ)
- लक्ष्मण पासवान (रोसड़ा, सु)
- माकपा (CPM) प्रत्याशी:
- सत्येंद्र यादव (मांझी)
- श्यामा भारती (हायाघाट)
महागठबंधन के इन उम्मीदवारों की रणनीति स्पष्ट है — सामाजिक न्याय, विचारधारा और वर्गीय प्रतिनिधित्व के एजेंडे को फिर से केंद्र में लाना।
जिलावार नामांकन — विकल्पों की भीड़, पर किसकी पहचान साफ?
इस बार कई जिलों में दर्जनों उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है, जिससे मतदाताओं के सामने विकल्प तो बढ़े हैं, लेकिन चुनावी समीकरण उतने ही जटिल हो गए हैं।
समस्तीपुर जिले में: उजियारपुर (17), समस्तीपुर (16), वारिसनगर (16), हसनपुर (15), मोरवा (11)
बेगूसराय में: बेगूसराय (17), साहेबपुर कमाल (15), मटिहानी (9)
सारण में: छपरा (16), मांझी (15), बनियापुर (11), गड़खा (16), अमनौर (15)
वैशाली में: हाजीपुर (21), महनार (20), राजापाकड़ (14), पातेपुर (11), राघोपुर (17)
यहां एक अहम सवाल उठता है — क्या इतने सारे चेहरों के बीच आम मतदाता किसी एक को लेकर स्पष्ट हो पाएगा? वोटों का संभावित बिखराव कई सीटों पर ट्राईएंगल और मल्टीकॉर्नर फाइट को जन्म देगा, जिससे समीकरण और भी पेचीदा होंगे।
चुनाव 2025: केवल सत्ता नहीं, यह भरोसे की लड़ाई भी
बिहार में चुनाव हमेशा से सामाजिक संकेतों और राजनीतिक संदेशों का केंद्र रहे हैं। इस बार के चुनाव में ‘लोकप्रियता’ और ‘अनुभव’ के बीच स्पष्ट प्रतिस्पर्धा दिख रही है।
क्या जनता नई पहचान को चुनेगी या पुराने अनुभव को?
क्या जातीय और सामाजिक समीकरण अभी भी निर्णायक हैं या अब ब्रांड वैल्यू और फॉलोअर्स की ताकत चुनाव जिता सकती है?
साथ ही, यह भी देखना दिलचस्प होगा कि वामपंथी और कांग्रेस जैसी पार्टियों की विचारधारा-आधारित राजनीति युवाओं और पहली बार वोट करने वालों को कितना आकर्षित कर पाती है।
चुनावी कार्यक्रम
- नामांकन की जांच: 18 अक्टूबर
- नाम वापसी की अंतिम तिथि: 20 अक्टूबर
- मतदान: तिथि चुनाव आयोग द्वारा चरणबद्ध ढंग से जारी की जाएगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण ने एक नई दिशा को संकेत दे दिया है, यह लड़ाई अब केवल दलों, गठबंधनों और सीटों की नहीं रही। अब यह एक ऐसी टक्कर बन चुकी है जिसमें लोकप्रियता बनाम प्रतिबद्धता, पहचान बनाम परंपरा, और सोशल मीडिया बनाम जमीनी हकीकत आमने-सामने हैं।
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