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    Bihar Election 2025 : समस्तीपुर के बाद सिवान में भी भारी मात्रा में मिली VVPAT पर्चियां, गड़बड़ी की आशंका से मचा हड़कंप

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 06:45 AM (IST)

    Bihar Assembly election : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद सिवान में वीवीपीएटी पर्चियां मिलने से हड़कंप मच गया। मौली के बथान इलाके में एक खाली प्लॉट में बड़ी संख्या में पर्चियां मिलीं, जिनमें राजद उम्मीदवार विशाल जायसवाल के नाम की पर्चियां भी शामिल हैं। ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

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    मिली VVPAT पर्चियां

    डिजिटल डेस्क, पटना। Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के चार दिन बाद सिवान से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। शहर के मौली के बथान इलाके स्थित एक खाली प्लॉट में बड़ी संख्या में VVPAT पर्चियां बरामद हुईं। जैसे ही स्थानीय लोगों को इन पर्चियों के बारे में जानकारी मिली, इलाके में हड़कंप मच गया और मौके पर भारी संख्या में ग्रामीण जुट गए।

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    मामले की सूचना मिलते ही प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची। सदर एसडीओ आशुतोष कुमार गुप्ता और एसडीपीओ अजय कुमार सिंह ने अपनी टीम के साथ स्थिति का जायजा लिया।

    अधिकारियों ने पर्चियों को कब्जे में लेने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने इसका विरोध किया।

    उनका कहना था कि चुनाव खत्म होने के बाद इस तरह से बड़ी मात्रा में VVPAT पर्चियों का मिलना गंभीर सवाल खड़ा करता है, इसलिए इन्हें बिना औपचारिक प्रक्रिया के हटाया नहीं जाना चाहिए।

    मौके पर मिली पर्चियों में सबसे अधिक संख्या महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार विशाल जायसवाल के नाम की बताई जा रही है।

    हालांकि अन्य प्रत्याशियों के नाम वाली पर्चियां भी देखी गईं। इसके बाद इलाके में चर्चा शुरू हो गई कि आखिर ये पर्चियां वहां कैसे पहुंचीं, क्या यह किसी लापरवाही का नतीजा है या फिर किसी बड़े चुनावी खेल का संकेत?

    प्रशासन की ओर से अधिकारियों ने लोगों को शांत कराने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी।

    अधिकारियों ने यह भी संभावना जताई कि मतदान केंद्रों की सफाई या व्यवस्थापन के दौरान ये पर्चियां गलती से यहां फेंकी गई हों। हालांकि, स्थानीय लोग इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं।

    ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा है कि जब मतदान के बाद सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी होती है, तो ऐसे संवेदनशील दस्तावेज़ खुले में कैसे मिले?

    इस घटना को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है, और कई दल इसे चुनावी पारदर्शिता पर सवाल के रूप में देख रहे हैं।

    जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ रहा है, प्रशासन और चुनाव आयोग पर अब स्पष्ट जवाब देने का दबाव बढ़ता जा रहा है।