Bihar Politics: दल-बदलू उम्मीदवारों से जनता कन्फ्यूज, कार्यकर्ताओं में नाराजगी; दिख रहे बागी तेवर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दल-बदलू उम्मीदवारों ने जनता को भ्रमित कर दिया है। 2020 में जिस पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा, अब उसी के टिकट पर मैदान में हैं। इससे कार्यकर्ता नाराज हैं और पार्टियां डैमेज कंट्रोल में जुटी हैं। कई प्रमुख नेता दल बदलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है।

दल-बदलू उम्मीदवारों से जनता कन्फ्यूज, कार्यकर्ताओं में नाराजगी
दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) में दल-बदलूओं के मैदान में उतरने से पब्लिक कंफ्यूज्ड-सी है। इसकी वजह है। 2020 के चुनाव में जिस दल के खिलाफ चुनाव लड़कर विधायक बने थे, इस बार उसी दल के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे उस दल के स्थानीय कार्यकर्ता भी हैरान हैं, जो पिछली बार उनके खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे थे।
इससे भी बुरा हाल उन दल-बदलू उम्मीदवारों का है। उनके लिए दल-बदल करना भले ही बहुत आसान हो, लेकिन इस कर्म के बाद क्षेत्र में जाकर वोट मांगना बेहद मुश्किल है। बिहार में कम से कम दर्जन भर दल-बदलू उम्मीदवार ऐसी ही मुश्किल का मुकाबला कर रहे हैं।
बेचारे साल भर या छह माह पहले जिस दल को गाली दे रहे थे, उसी के समर्थकों से वोट मांग रहे हैं। कहीं-कहीं पर उन्हें स्थानीय समर्थकों का विरोध का भी सामना कर रहे हैं।
चुनाव में दल-बदलूओं में सबसे पहला नाम नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो.जमा खान का शुमार है। ये 2020 के चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी के सिंबल पर चैनपुर विधानसभा क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ लड़े थे और जीते थे। फिर ये जनादेश के विरुद्ध जाकर जदयू में शामिल हो गए, जहां इन्हें मंत्री पद देकर नवाजा गया। इस चुनाव में मो. जमा खान जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे हैं।
इसी तरह, चर्चित चेहरों में बीमा भारती का नाम भी है जो रुपौली क्षेत्र से पांच बार विधायक और मंत्री भी रह चुकी हैं। पिछली बार ये जदयू के टिकट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खिलाफ लड़कर चुनाव जीती थीं। इस बार ये राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
पिछली बार राजद के टिकट पर शिवहर से चुनाव जीते चेतन आनंद इस बार जदयू के पाले में हैं और नबीनगर सीट से उम्मीदवार हैं। शिवहर में हार के डर से इन्हें क्षेत्र तक बदलना पड़ा। इसी तरह मोहनियां क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार संगीता कुमारी पिछली बार राजद के टिकट पर चुनाव जीती थी। वो भाजपा के खिलाफ ही लड़ी थी।
पिछली बार बनियापुर क्षेत्र से राजद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते केदारनाथ सिंह भी इस बार जदयू के उम्मीदवार हैं। मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह भी दल-बदल कर चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार ये लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार के तौर पर जीते थे। इस बार ये जदयू के प्रत्याशी हैं। प
रबत्ता क्षेत्र से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे संजीव कुमार भी दल-बदल आए हैं। पिछली बार ये जदयू के टिकट पर चुनाव जीते थे। भाजपा ने भभुआ से भरत बिंद को उम्मीदवार बनाया है, जो पिछली बार राजद के टिकट पर चुनाव लड़े थे। विधायक विभा देवी राजद के सिंबल पर नवादा सीट से जीती थीं। इस बार इन्हें जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
पिछली बार चेनारी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीते मुरारी गौतम इस बार एनडीए खेमे में हैं और लोजपा (रामविलास) के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव मैदान में ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जो बेटिकट हो गए तब दूसरे दल में जाकर टिकट पा गए और अपने पुराने दल के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।
भीतरघात व डैमेज कंट्रोल में जुटे बड़े नेता
दल-बदलूओं के आने से चुनावी मुकाबला भी रोचक हुआ है। जो कार्यकर्ता बीते पांच सालों से चुनाव लड़ने के लिए मेहनत कर रहे थे वो कार्यकर्ता टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं।
कहीं-कहीं बागी तेवर अपनाए हैं तो कहीं भीतरघात की भूमिका में हैं। ऐसे भी बागी हैं जो निर्दलीय मैदान में उतरकर ताल ठोक रहे हैं, जो दल-बदलू उम्मीदवारों को परेशान किए है।
हालांकि, बागियों से और कार्यकर्ताओं की दुविधा से पार्टियां भी अंजान नहीं हैं, इसलिए बड़े नेता अब कार्यकर्ताओं को मान-मनौव्वल में जुटे हैं और अपने नेता के नाम पर वोट मांग रहे हैं। डैमेज कंट्रोल में जुटे बड़े नेता भीतरघात की आशंका वाले तमाम क्षेत्रों में कमान संभाल रहे हैं।

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