Bihar Election 2025: पहले चरण की वोटिंग के दौरान हुई चूक, स्याही लगाने के क्या हैं नियम?
समस्तीपुर सांसद के दोनों हाथों में स्याही लगने के बाद कई मतदाताओं ने दाएं हाथ में स्याही लगाने की शिकायत की है। लोगों का कहना है कि स्याही लोकतंत्र का प्रतीक है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, बाएं हाथ पर स्याही सभी के लिए समान पहचान है और यह 3-7 दिनों तक नहीं मिटती। मैसूर पेंट्स स्याही की आपूर्ति करती है और बची स्याही को नष्ट कर दिया जाता है या प्रशिक्षण में उपयोग किया जाता है। यह Bihar Election 2025 के पहले चरण की वोटिंग के दौरान हुआ।

उंगली की स्याही दिखाती हुई सांभवी चौधरी और अशोक चौधरी
जागरण संवाददाता, पटना। समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी के दोनों हाथों की तर्जनी पर चुनावी स्याही लगाने का वीडियो वायरल हुआ। जिला प्रशासन ने सफाई दी, गलती स्वीकार करने वाले मतदानकर्मी पर कार्रवाई भी हो गई लेकिन मामला यहीं शांत नहीं हुआ है। इसके बाद बहुत से ऐसे मतदाता सामने आए हैं
जिनके बाएं की जगह दाएं हाथ की तर्जनी पर चुनावी स्याही लगाई गई है। शांभवी चौधरी का मामला गरमाने के बाद बहुत से मतदाता आए, जिन्होंने दिखाया कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों के विपरीत उनके भी बाएं की जगह दाएं हाथ पर स्याही लगाई गई है। पाटलिपुत्र व गोलारोड के एक बूथ पर कई लोगों के साथ ऐसा हुआ।
लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान मतदाता की तर्जनी पर लगाई जाने वाली स्याही केवल एक निशान नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सुरक्षा का प्रतीक है। जब आयोग ने उसे लगाने का स्थान निर्धारित किया है तो ऐसा क्यों हुआ?
प्रशिक्षण की कमी थी या मतदानकर्मी की चूक? शांभवी चौधरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़ी हैं, सांसद है इसलिए गलती होने पर दाएं के बाद उनके बाएं हाथ पर भी स्याही लगा दी गई लेकिन आम मतदाताओं के साथ ऐसा नहीं किया गया।
बाएं हाथ की तर्जनी पर ही स्याही क्यों लगाते हैं?
निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार स्याही बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली पर इसलिए लगाई जाती है, ताकि यह सभी मतदाताओं के लिए समान और स्पष्ट पहचान बन सके। अधिकतर लोग दाएं हाथ से कार्य करते हैं, इसलिए बाएं हाथ पर स्याही लगने से मतदान प्रक्रिया में बाधा नहीं आती और स्याही जल्दी मिटती भी नहीं।
बायां हाथ नहीं होने या कभी-कभी भीड़ के कारण मतदानकर्मी दाएं हाथ पर स्याही लगा देते हैं। हालांकि यह अपवादस्वरूप स्थिति होती है। जिन मतदाताओं के दोनों हाथ नहीं होते हैं उनके पैर के अंगूठे पर स्याही लगाने का प्रविधान है। निर्वाचन आयोग ने इसके लिए सभी मतदान कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए होते हैं।
तीन से सात दिन के पहले नहीं हटती स्याही
मतदान स्याही को तकनीकी रूप से इंडेलिबल इंक कहा जाता है। इसमें 10 से 18 प्रतिशत तक सिल्वर नाइट्रेट नामक रासायनिक तत्व की मात्रा होती है। यह रसायन त्वचा की ऊपरी परत के प्रोटीन से अभिक्रिया कर स्थायी दाग बना देता है जो 3 से 7 दिन या उससे अधिक समय तक नहीं मिटता।
पानी, साबुन या कोई सामान्य रासायनिक पदार्थ इसे तुरंत नहीं मिटा सकता है। देश में मतदान स्याही का निर्माण मुख्य रूप से मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड करती है। यह कंपनी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत एकमात्र सरकारी संस्था है जो 1962 से देशभर के चुनावों के लिए स्याही की आपूर्ति कर रही है।
जिले की 14 विधानसभा सीटों और करीब 49 लाख मतदाताओं के लिए करीब 11600 से अधिक स्याही की शीशियां निर्वाचन आयोग ने भिजवाई थीं। एक शीशी से लगभग 700 से 1,000 मतदाताओं के स्याही लगाई जा सकती है।
बची स्याही को जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा करा दिया जाता है। अधिकारी इसे या तो सुरक्षित रूप से नष्ट करा देते हैं या फिर आयोग की अनुमति से भविष्य के प्रशिक्षण कार्यों में प्रयोग करते हैं।

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