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    बिहार: शिक्षा विभाग का अजब फैसला, गुरुजी सुबह-शाम करेंगे 'लोटा' की रखवाली

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 22 Nov 2017 04:50 PM (IST)

    बिहार सरकार ने अब शिक्षकों का नयी जिम्मेदारी सौंपी है। शिक्षा विभाग से जारी निर्देश के अनुसार अब शिक्षकों को खुले में शौच करने वाले लोगों पर लगाम लगाना है।

    बिहार: शिक्षा विभाग का अजब फैसला, गुरुजी सुबह-शाम करेंगे 'लोटा' की रखवाली

    पटना [जेएनएन]। बिहार सरकार ने शिक्षकों को अब एक नया फरमान जारी कर दिया है, उसके मुताबिक शिक्षक अब खुले में शौच करने वालों पर निगरानी रखेंगे और उनके साथ सेल्फी लेंगे। सरकार के इस फरमान का शिक्षक संघों ने विरोध किया है। माध्यमिक शिक्षक संघ ने, तो यहां तक कहा है कि यह शिक्षकों के पद और गरिमा का अपमान है। वह कतई इस कार्य को नहीं करेंगे.।

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    सरकारी आदेश के मुताबिक बिहार के हाइस्कूल के शिक्षक अब खुले में लोटा लेकर शौच जाने वालों पर अपनी नजर रखेंगे। साथ ही उन्हें खुले में शौच के खिलाफ जागरूक करेंगे और स्वच्छता के महत्व को समझाएंगे। शिक्षकों का यह भी काम होगा कि सुबह शाम वे इसकी निगरानी भी करेंगे।

     

    इस मामले में सभी बीईओ की तरफ से हाइस्कूल के शिक्षकों को यह निर्देश जारी किया गया है कि वह लोग खुले में शौच करने वालों को रोकेंगे और उनकी कठोर निगरानी करेंगे। इसके लिए शिक्षकों को ड्यूटी के लिए जहां पत्र भेजा गया है वहीं प्रधानाध्यापकों को शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है।

     

    सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बक्सर जिले के कोरान सराय पंचायत के मध्य विद्यालय के अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहने वाले और बच्चों की शिक्षा को लेकर सरोकारी प्रयास करते रहने वाले शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा का कहना है कि बिल्कुल करेंगे सरकार, लेकिन पहले हमारे भोजन का मुक्कमल इंतजाम तो कर दीजिए।

     

    ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच को रोकने के लिए शिक्षकों को साथ लेकर वार्ड स्तर का सदस्य बनाया गया है. इसमें शिक्षकों का काम होगा कि स्वच्छता अभियान के तहत बनने वाले शौचालय का शिक्षक निरीक्षण करेंगे।उसके निर्माण कार्य का जायजा लेंगे और उसका भौतिक सत्यापन कर उसकी रिपोर्ट देंगे।

     

    नयी जिम्मेवारी के साथ-साथ सप्ताह में दो दिन कार्यों की समीक्षा के लिये बैठक करने का भी दिशा-निर्देश दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि उनके ऊपर पहले से ही कई तरह के गैर शैक्षणिक कार्य करने की जिम्मेदारी है, जिसके तहत वे वोटर लिस्ट निर्माण और जनगणना का काम देखते रहे हैं। 

     

    माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने सरकार के इस फैसले पर जोरदार हमला बोला है। महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शौच अभियान में शिक्षकों को शामिल करना पागलपन है और शिक्षकों के पद का अपमान है।

     

    उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपने घिनौने फरमान को अविलंब वापस लें क्योंकि हम शिक्षकों को ये काम कभी नहीं करने देंगे। शिक्षक संघ आज फरमान को वापस लेने के लिए सीएम को पत्र लिखेगा।