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    Bihar Diwas 2025: वैश्विक मंच पर चमक रही बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, PM मोदी ने मॉरीशस में बढ़ाया मान

    Updated: Sat, 22 Mar 2025 10:14 AM (IST)

    वर्ष 1912 में बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार एक स्वतंत्र प्रांत बना था आज बिहार अपने स्थापना के 113 साल पूरे कर रहा है। प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक फैली हुई हैं। आज बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। पीएम मोदी भी लगातार इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।

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    बिहार राज्य की स्थापना को पूरे हुए 113 साल

    अमित रंजन, पटना। Bihar Diwas 2025: बिहार एक ऐसा राज्य जिसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक फैली हुई हैं, आज अपनी पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहा है। बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर चमक रही है।

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    बिहार दिवस 2025 इस गौरवशाली यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो हमें अपनी समृद्ध विरासत का सम्मान करने और एक उन्नत, विकसित बिहार के सपने को साकार करने की प्रेरणा देता है।

    मॉरीशस यात्रा पर पीएम मोदी ने गिफ्ट किया मखाना

    बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को आज विश्व भर में सराहा जा रहा है। अभी हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस यात्रा पर गए तो वहां के राष्ट्रपति को बिहार का प्रसिद्ध सुपरफूड मखाना उपहार स्वरूप भेंट किया।

    यह कोई साधारण भेंट नहीं थी, बल्कि बिहार की पारंपरिक उपज को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का एक मजबूत संकेत था। मखाना को मिथिलांचल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी यह वैश्विक यात्रा बिहार के लिए गर्व का विषय है।

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित हुई बिहार की सांस्कृतिक विरासत

    इसी तरह, वर्ष 2023 में भारत की मेजबानी में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन ने भी बिहार की शैक्षिक और सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया।

    इस सम्मेलन के स्वागत क्षेत्र में नालंदा विश्वविद्यालय की छवि को पृष्ठभूमि के रूप में चुना गया। नालंदा कभी विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र था। इस प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि बिहार की धरोहर आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।

    विश्व नेताओं को पीएम ने गिफ्ट की मिथिला पेंटिंग

    बिहार की मिथिला पेंटिंग भी वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विभिन्न विदेशी दौरों के दौरान विश्व नेताओं को मिथिला पेंटिंग भेंट कर इस पारंपरिक कला को बढ़ावा दिया है।

    सिंगापुर यात्रा के दौरान उन्होंने इंडियन हेरिटेज सेंटर से रूपे कार्ड के जरिए मधुबनी पेंटिंग खरीदी। यह छोटा-सा कदम बिहार के कारीगरों के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गया।

    वित्त मंत्री ने पहनी मिथिला पेंटिंग से सजी साड़ी

    इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट पेश करते समय मिथिला पेंटिंग से सजी साड़ी पहनकर इस कला को देशभर में चर्चा का विषय बना दिया।

    113 साल का गौरवशाली सफर

    22 मार्च को बिहार अपनी स्थापना के 113 साल पूरे करेगा। वर्ष 1912 में बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार एक स्वतंत्र प्रांत बना था। इन 113 वर्षों में बिहार ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को हमेशा संजोए रखा।

    इस वर्ष बिहार दिवस की थीम 'वैश्विक मंच पर चमक रही बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर रखी गई है, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए इसके सतत विकास और उज्ज्वल भविष्य पर केंद्रित है।

    इस खास अवसर पर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया है, जो 26 मार्च तक चलेगा। इस समारोह में विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी, जो बिहार के विकासात्मक कार्यों, लोक-कल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के सामने पेश करेंगी।

    ये प्रदर्शनियां न केवल बिहार की प्रगति की कहानी कहेंगी, बल्कि राज्य के नागरिकों को सरकार के प्रयासों से जोड़ने का माध्यम भी बनेंगी।

    इसके अतिरिक्त, पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल और रवींद्र भवन में सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में लोक नृत्य, संगीत, नाटक और परिचर्चाएं शामिल होंगी, जो बिहार की सांस्कृतिक विविधता प्रदर्शित करेंगी।

    बिहार नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार

    बिहार दिवस केवल अतीत का उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य की नींव रखने का अवसर भी है। आज बिहार नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास इस दिशा में सकारात्मक संकेत दे रहे हैं।

    बिहार की युवा शक्ति और उसकी सांस्कृतिक धरोहर मिलकर इसे एक समृद्ध और विकसित राज्य बनाने की क्षमता रखते हैं। यह उत्सव हर बिहारी के लिए गर्व का क्षण है और एक संकल्प भी कि हम अपनी विरासत को संजोते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ें। बिहार की नई पीढ़ी शिक्षा, तकनीक और उद्यमिता में आगे बढ़ रही है।

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