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    बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर ने खुद पर लगे आरोप की दी लिखित सफाई, नीतीश की थी यही अपेक्षा

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 23 Sep 2021 08:47 PM (IST)

    बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि कटिहार जिले में नल जल योजना में हुई कथित गड़बड़ी के साथ उनका नाम साजिश के तहत जोड़ा जा रहा है। तारकिशोर ने मीडिया के लिए लिखित सफाई जारी की है।

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    बिहार सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद। जागरण आर्काइव।

    राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि कटिहार जिले में नल जल योजना में हुई कथित गड़बड़ी के साथ उनका नाम साजिश के तहत जोड़ा जा रहा है। मीडिया के लिए लिखित सफाई जारी करने के बाद वे एक बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री आवास गए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने भी अपना पक्ष रखा। किसी तरह की गड़बड़ी और उसमें अपने या स्वजनों की संलिप्तता से इनकार किया। उन्होंने कहा कि घपले में जिन कंपनियों के नाम आ रहे हैं, उनसे उनका कोई नाता नहीं है। परिवार या ससुराल के लोग भी कथित दागी कंपनियों (दीपकिरण एवं जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर) से नहीं जुड़े हैं। इस बीच कांग्रेस ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। 

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    सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उप मुख्यमंत्री से अपेक्षा की थी कि वे इस प्रकरण पर अपना पक्ष मीडिया के सामने रखें। विवाद की शुरुआत मीडिया के एक हिस्से में आई इस खबर से हुई, जिसमें बताया गया था कि उप मुख्यमंत्री के स्वजनों को नल जल योजना के ठीके गलत तरीके से दिए गए। उप मुख्यमंत्री ने बुधवार को भी सफाई दी थी, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि इस योजना की चार इकाई का काम उनके स्वजन को  मिला था, जो एक करोड़ 87 लाख रुपये का था। काम पूरा हो चुका है। जलापूर्ति भी हो रही है। यह ठीका 2019 में मिला था, उस समय वे सामान्य विधायक थे। तारकिशोर प्रसाद ने विवाद को हवा देने के लिए विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की आलोचना की। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता खुद भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े हैं।

    अबतक का सबसे बड़ा घोटाला आएगा सामनेः कांग्रेस

    कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष राजेश राठौर ने गुरुवार को कहा कि नल-जल योजना की अगर निष्पक्ष जांच हुई तो यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि वे इस मामले में चुप्पी तोड़ें और घोटाले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा करें, क्योंकि प्रकरण के उप मुख्यमंत्री से जुड़े होने के कारण राज्य की एजेंसी से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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