बिहार कांग्रेस में 'कैश पॉलिटिक्स' की गूंज, अब वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने उठाए सवाल
बिहार कांग्रेस में 'कैश पॉलिटिक्स' को लेकर वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने पार्टी में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग करते हुए आरोपों की जांच की बात कही है। इस मुद्दे ने पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है और अंदरूनी राजनीति गरमा गई है।

कांग्रेस नेता तारिक अनवर। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी से बगावत करने वाले नेता तो पार्टी को लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे थे। अब इस कड़ी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद तारिक अनवर ने भी संगठन की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए हैं।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है कि कैश पालिटिक्स को लेकर जो आरोप लग रहे हैं, अगर उसकी जांच नहीं हुई, तो इससे पार्टी की साख को गहरी चोट पहुंचेगी। बिहार विधानसभा चुनाव में टिकटों की खरीद-फरोख्त के आरोप पहले भी सामने आए थे, लेकिन इस बार कई नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि टिकट बांटने में कैश पॉलिटिक्स हावी थी।
तारिक अनवर कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जो समय-समय पर पार्टी के अंदर किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में आवाज उठाते रहे हैं। अब जबकि कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर कैश पालिटिक्स के आरोप लगे हैं, तो उन्होंने फिर आवाज उठाई और कहा कि पार्टी को आत्ममंथन करना होगा और यह समझना होगा कि जमीनी कार्यकर्ताओं की हताशा का असर चुनावी नतीजों पर पड़ा है।
कांग्रेस में समीक्षा की मांग
अनवर ने पार्टी हाईकमान से आग्रह किया है कि टिकट बंटवारे की पूरी प्रक्रिया की निष्पक्ष समीक्षा की जाए और यदि किसी स्तर पर अनियमितता हुई है, तो दोषी लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
हालांकि कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व कैश पालिटिक्स के आरोपों से इंकार कर रहा है। पार्टी के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ का मानना है कि प्रत्येक चुनाव के दौरान टिकट बंटवारा होता है, तो ऐसे ही आरोप लगते रहे हैं।
राठौड़ के मुताबिक जिन लोगों को किसी भी परिस्थितिवश टिकट नहीं मिला, वे ऐसे आरोप लगाते रहे हैं। टिकट बंटवारा पूरी तरह से तय मानकों के आधार पर किया गया है। बहरहाल, कुल जमा मामला यह है कि कांग्रेस के समक्ष उत्पन्न संकट खत्म होता नहीं दिखता।
आए दिन कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व नए आरोपों से दो-चार हो रहा है। पार्टी के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह आंतरिक असंतोष को कैसे शांत करे और पार्टी में वापस एकजुटता बहाल कर सके।

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