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    'बिहारियों के स्वाभिमान और गौरव पर आघात...', कांग्रेस नेता ने खोला मोर्चा; दयानिधि मारन को भेजा कानूनी नोटिस

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Tue, 26 Dec 2023 08:42 AM (IST)

    कांग्रेस नेता नए यूपी-बिहार के लोगों का अपमान करने पर दयानिधि मारन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दयानिधि मारन को उनके कथित बयान के लिए कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा कि अगर मारन ने 15 दिनों के भीतर क्षमायाचना नहीं की तो शीतकालीन अवकाश के बाद वे जहानाबाद के जिला न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का इससे लेना-देना है।

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    कांग्रेस नेता ने दयानिधि मारन को भेजा नोटिस

    राज्य ब्यूरो, पटना। कांग्रेस के पूर्व विधायक चंद्रिका प्रसाद यादव ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद दयानिधि मारन को उनके कथित बयान के लिए कानूनी नोटिस भेजा है। सोमवार को चंद्रिका ने इसकी जानकारी दी।

    उन्होंने कहा कि अगर मारन ने 15 दिनों के भीतर क्षमायाचना नहीं की तो शीतकालीन अवकाश के बाद वे जहानाबाद के जिला न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। चंद्रिका अभी बिहार कांग्रेस में राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके इस नोटिस से कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है।

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    उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर कानूनी नोटिस भेजा है और इसमें द्रमुक को पार्टी नहीं बनाया है। उन्हें लगा कि मारन की टिप्पणी बिहारियों के स्वाभिमान और गौरव पर आघात है, इसलिए क्षमायाचना का आग्रह किया है।

    प्रतिष्ठित पदों पर बिहार के लोग दिखेंगे

    प्रसारित वीडियो में मारन यह कहते सुने जा रहे कि बिहार और उत्तर प्रदेश में हिंदी पढ़ने वाले लोग तमिलनाडु में घर बनाते हैं और शौचालय साफ करते हैं। हालांकि, डीएमके नेता इसे चार साल पुराना बता चुका है।

    चंद्रिका ने कहा कि अगर मारन अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो उन्हें नौकरशाही और अन्य व्यवसायों में प्रतिष्ठित पदों पर बिहार के लोग दिखेंगे। तेलंगाना और अन्य दक्षिणी राज्यों में कई वरिष्ठ नौकरशाह बिहार के हैं। हाल तक एक बिहारी तमिलनाडु में पुलिस महानिदेशक (डीजी) थे।

    उनका संकेत बीके प्रसाद की ओर था, जो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के बाद पिछले ही माह कांग्रेस का झंडा उठा लिए हैं।  उल्लेखनीय है कि 2015 में जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार के विरुद्ध चंद्रिका ने शिकायत दायर की थी।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी के लिए अरुण कुमार को 2022 में दोषी ठहराया गया था और उन्हें तीन वर्ष जेल की सजा सुनाई गई थी।

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