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    आज है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कृष्णवल्लभ सहाय का हैप्पी बर्थ डे

    बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जाने माने कांग्रेसी नेता कृष्ण बल्लभ सहाय की आज जयंती है । उन्हें प्यार से केबी सहाय बुलाया जाता था। उन्होंने 1919 में हजारीबाग के सेंट कोलंबियाज कॉलेज से इंग्लिश ऑनर में डिग्री हासिल की थी।

    By Kajal KumariEdited By: Updated: Thu, 31 Dec 2015 12:12 PM (IST)

    पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जानेमाने कांग्रेसी नेता कृष्ण बल्लभ सहाय की आज जयंती है । उन्हें प्यार से केबी सहाय बुलाया जाता था। उन्होंने 1919 में हजारीबाग के सेंट कोलंबियाज कॉलेज से इंग्लिश ऑनर में डिग्री हासिल की थी।

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    श्री कृष्ण वल्लभ सहाय का जन्म 31 दिसंबर 1898 को बिहार के पटना जिले के शेखपुरा में हुआ था। वे मुंशी गंगा प्रसाद के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनके पिता अंग्रेजों के शासनकाल में पुलिस दारोगा थे।

    देश के स्वतंत्रता संग्राम में कृष्ण वल्लभ सहाय ने अपनी महत्वपूर्णा भूमिका निभाई थी। आजादी के बाद वे बिहार के राजस्व मंत्री बने और बाद में संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। आगे की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर वह 1920 में स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। 1930 से 1934 के बीच विभिन्न समय के लिए उन्हें चार बार जेल भी जाना पड़ा था।

    केबी सहाय का राजनैतिक सफर

    1936 में ब्रिटिश शासनकाल में जब प्रादेशिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी, तब केबी सहाय बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और 1937 में कृष्णा सिन्हा के मंत्रालय में उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया था। इस दौरान जमींदारों के हाथों गरीबों पर हो रहे शोषण ने उनके दिल में किसानों के प्रति सहानुभूति को जगाया और राजस्व मंत्री बनने के बाद केबी सहाय ने किसानों को जमींदारों के चंगुल से छूड़ाय।

    देश में जमींदारी प्रथा खत्म करने के लिए जो विधेयक पारित किया गया था, उसमें केबी सहाय का भी अहम योगदान था। विधेयक के पारित होने के बाद जमींदारों को धक्का लगा था और उन्होंने इसे कोर्ट में चुनौती भी दी थी।

    के बी सहाय ने अपना पहला चुनाव 1952 में गिरिडीह से लड़ा था। इस चुनाव मे उन्होंने जीत दर्ज की और तत्कालीन श्री बाबू के कैबिनेट में उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया। हालांकि, 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें राजा कामाख्या नारायण सिंह के हाथों हार का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन, पांच साल बाद 1962 में हुए चुनावों में वे फिर से तीसरी बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए।

    जब केबी सहाय ने संभाला मुख्यमंत्री पद

    02 अक्टूबर 1963 को महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर के बी सहाय ने बिहार के चौथे मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ली। सहाय को मुख्यमंत्री बनाने में सत्येंद नारायण सिन्हा का अहम योगदान रहा था जो पिछले सरकरा में शिक्षा मंत्री थे। केबी सहाय ने उन्हें अपने मंत्रालय में उपमुख्यमंत्री के तौर पर शामिल किया।

    1967 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 1974 में बिहार विधानसभा के ऊपरी सदन के लिए चुने गए। अय्यर आयोग ने भ्रष्टाचार के आरोप के कारण उनके खिलाफ जांच की, लेकिन वे इस जांच में बरी हो गए। 3 जून 1974 को चुनाव जीतने के बाद जब वे अपने पैतृक जिले हजारीबाग जा रहे थे जहां सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।

    बिहार और अब के झारखंड में उद्योग को बढ़ावा देने का श्रेय केबी सहाय को जाता है। बरौनी रिफाइनरी, बोकारो स्टील प्लांट जैसे उद्योग उन्हीं के मुख्यमंत्री काल में स्थापित किए गए थे। सीएम रहते हुए उन्होंने तिलैया में सैनिक स्कूल स्थापित करने में भी अपना अहम योगदान दिया। हजारीबाग में महिला कॉलेज भी उन्हीं की देन है।