Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिठाई के क्षेत्र में पूर्वी भारत का अगुवा बन सकता है बिहार, सहायता मिले तो धूम मचा दें यहां के खाजा व तिलकुट

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Wed, 03 Mar 2021 11:53 PM (IST)

    बिहार मिठाई व नमकीन के क्षेत्र में पूर्वी भारत का लीडर बन सकता है। अगर ब्रांडिंग हो और सरकारी स्‍तर पर सहायता दी जाए तो सिलाव के खाजा गया के तिलकुट व बक्सर की पापड़ी देश-विदेश में धूम मचा दें।

    Hero Image
    सिलाव का खाजा व गया का तिलकुट। फाइल तस्‍वीरें।

    पटना, दिलीप ओझा। बिहार में विभिन्न कंपनियां ब्रांडिंग के बल पर सालाना 15 हजार करोड़ रुपए का मिठाई और नमकीन का कारोबार करती हैं। खास यह कि बगैर ब्रांडिंग बिहार का मिठाई और नमकीन उद्योग भी लगभग इतना ही कारोबार कर लेता है। यानी कुल कारोबार लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का है। क्षेत्र विशेष की मशहूर मिठाइयों का दायरा फिलहाल जिलों तक सिमटा है। अगर इनकी ब्रांडिंग हो तो यह कारोबार 50 हजार करोड़ रुपए के पार जा सकता है। नालंदा का सिलाव खाजा हो या बक्सर की पापड़ी, या फिर गया का तिलकुट, बिहार के हर क्षेत्र में मशहूर मिठाइयां हैं। इन्‍हें ब्रांड नेम मिले तो ये देश-विदेश में धूम मचा देंगीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों है बड़ी उम्मीद

    मिठाई और नमकीन उद्योग के विकास के लिए जिन चीजों की जरूरत है, सभी के मामले में बिहार धनी है। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्यूफैक्चरर्स के निदेशक फिरोज एच नकवी का कहना है कि यहां बेसन, आलू, आटा, तेल, दूध, खोया, मसाला, शक्कर, गुड़ की कमी नहीं है। मिठाई उद्योग यहां फल-फूल सकता है। देश का मिठाई और नमकीन उद्योग सवा लाख करोड़ रुपये का है। अनुमान है कि इसमें बिहार में 15 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। अनुमान है कि स्थानीय कारोबार भी लगभग इतना ही है।  बड़ी बात यह है कि खुद के बल पर बिहार इतना आगे गया है। अगर सरकार इस उद्योग के लिए विशेष स्कीम ला दे तो बिहार पूर्वी भारत का अगुवा बन सकता है।

    बहुत कुछ करना बाकी

    खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्यमी और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि नालंदा का सिलाव खाजा, बक्सर की पापड़ी, पटना सिटी का खुरचन, गया का तिलकुट, बाढ़ की लाई सहित हर क्षेत्र विशेष में मशहूर मिठाइयां हैं। ब्रांडिंग न होने के कारण इनका दायरा जिलों या आसपास तक सिमटा है। इनका जेनरिक प्रचार कर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। जब ये ब्रांड नेम के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाएंगे तो इन्हें पांच साल तक जीएसटी से छूट भी मिलनी चाहिए।

    हमारी मिठाइयों की गुणवत्ता किसी से कम नहीं

    हरिलाल वेंचर्स के प्रबंधक अमित पांडेय ने कहा कि बिहार की मिठाइयों की गुणवत्ता किसी से कम नहीं है। जरूरत यह कि इन्हें बढ़ावा देने के साथ ही इस उद्योग से जुड़ी  कंटेंनर, पैकिंग मैटेरियल, कैरी बैग, मसाले, ड्राईफ्रूट के लिए सिंगल विंडो स्थापित हो। सरकार के सहयोग से सब्सिडयरी इकाइयां यहां खुले। इससे यह उद्योग 50 हजार करोड़ रुपए के पार जा सकता है।