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बिहार कैबिनेट ने सात प्रस्‍तावों पर लगाई मुहर, सालों भर फल्‍गु नदी को रखा जाएगा लबालब

बिहार कैबिनेट की बैठक बुधवार को हुई। इसमें सात प्रस्‍तावों पर मुहर लगी है। फल्‍गु नदी पर बड़ा निर्णय लिया गया है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 02:36 PM (IST)
बिहार कैबिनेट ने सात प्रस्‍तावों पर लगाई मुहर, सालों भर फल्‍गु नदी को रखा जाएगा लबालब

पटना, जेएनएन। बिहार कैबिनेट की बैठक बुधवार को हुई। बैठक की अध्‍यक्षता सीएम नीतीश कुमार ने की। इसमें सात प्रस्‍तावों पर मुहर लगी है। खासकर गया की फल्‍गु नदी पर बड़ा निर्णय लिया गया है। इस नदी को अब सालों भर लबालब रखने की योजना पर सरकार काम कर रही है।

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बता दें कि गया की फल्‍गु नदी बिहार ही नहीं, देश-विदेश के लिए महत्‍वपूर्ण है। खासकर पिंडदान के समय इसकी महत्‍ता और बढ़ जाती है। हालांकि लोग सालों भर यहां पिंडदान करने आते हैं। लेकिन सालों भर नदी में पानी नहीं रहने की वजह से लोगों को परेशानी होती है।  

कैबिनेट बैठक से मिल रही जानकारी के अनुसार, फल्‍गु नदी में सालों भर पानी रहे, इस पर नीतीश सरकार लगातार काम कर रही है। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में 150 लाख रुपये की मंजूरी दी गई। इस राशि से जल संसाधन विभाग परामर्शी सेवा के सहयोग से डीपीआर तैयार कराएगा। 

अन्‍य महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव

विशेष छूट के प्रावधान हुए 

कैबिनेट के प्रधान सचिव डॉ. दीपक प्रसाद ने बताया कि सर्वक्षमा योजना के तहत परिवहन विभाग अर्थदंड, फीस या एक मुश्त भुगतान कर देने पर विशेष छूट देगा। टैक्स डिफॉल्टर व्यावसायिक ट्रैक्टर व ट्रेलर को 90 दिन के अंदर एक मुश्त 25 हजार रुपये जमा करने पर तथा अन्य सभी प्रकार के व्यावसायिक मालवाहक वाहन जो एक वर्ष पहले ही टैक्स डिफॉल्टर हो चुके हैं उन्हें बकाया टैक्स के अलावा अतिरिक्त 30 प्रतिशत अर्थ दंड जमा करने पर नियमित और निबंधित कर दिया जाएगा। 

नीलाम पत्र भी वापस होंगे 

इसी तरह, जिन्हें टैक्स डिफॉल्टर हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है वैसे वाहन मालिकों द्वारा बकाया टैक्स के अलावा 50 प्रतिशत अर्थ दंड देने पर निबंधित और नियमित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही यदि ऐसे वाहनों के नीलामी के पत्र दायर हैं तो सरकार उन्हें भी वापस ले लेगी। प्रधान सचिव ने बताया कि इसके साथ ही दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया व्यावसायिक और निजी वाहन जो फिटनेस की वजह से डिफॉल्टर हुए हैं उन्हें भी सर्वक्षमा योजना के तहत लाभ दिया जाएगा। 

फिटनेस विलंब शुल्क भी घटा 

सरकार ने फिटनेस प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त होने पर विलंब के प्रत्येक दिन 50 रुपये के हिसाब से ली जाने वाली अतिरिक्त फीस घटा दी है। जिसके बाद 90 दिनों के लिए दोपहिया एवं तिपहिया वाहन के लिए 10 रुपए प्रतिदिन, व्यावसायिक ट्रैक्टर के लिए 15 रुपए प्रतिदिन, छोटे चारपहिया परिवहन वाहन के लिए 20 रुपए प्रतिदिन तथा भारी व्यावसायिक वाहन या अन्य वाहन के लिए 30 रुपए प्रतिदिन निर्धारित किया गया है। यह योजना अधिसूचना निर्गमन की तिथि से सिर्फ 90 दिनों के लिए ही प्रभावी होगी। 

अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए लंबी प्रतीक्षा नहीं

राज्य के निवासियों को अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए लंबी प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र महज छह दिन में बनाए जा सकेंगे। इस सेवा को भी सरकार लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) के दायरे में ला दिया गया है। नई सेवा के जुडऩे के साथ ही आरटीपीएस के तहत अब कुल 61 तरह की सेवाएं मिल सकेंगी। बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में कुल सात प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। 

प्रखंडों में जारी होंगे प्रमाणपत्र  

प्रधान सचिव डॉ. दीपक प्रसाद ने बताया कि जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र प्रखंड स्तर पर प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक जारी करेंगे। इसके लिए आवेदक को जन्म अथवा मृत्यु के एक महीने के अंदर आवेदन करना होगा। यदि छह दिन में प्रमाणपत्र नहीं मिलता है तो इसके लिए जिला स्तर पर सांख्यिकी पर्यपेक्षक और इसके बाद जिलाधिकारी के यहां अपील के प्रावधान भी रखे गए हैं। दो ही स्तर पर अपील का निपटारा करने के लिए 15-15 दिन की मियाद रखी गई है। एक महीने से अधिक दिन पर संबंधित प्रमाणपत्र का आवेदन प्रखंड विकास पदाधिकारी के स्तर पर करना होगा। यदि एक वर्ष से 15 वर्ष की अवधि में कोई व्यक्ति जन्म प्रमाणपत्र में बच्चे का नाम भी जुड़वाना चाहे तो वह प्रखंड विकास पदाधिकारी को आवेदन कर सकता है। इस कार्य के लिए भी छह दिन की मियाद तय की गई है। 

अन्य संस्थानों में तैनात होमगार्ड के परिजनों को भी अनुग्रह अनुदान 

मंत्रिमंडल ने राज्य सरकार के कार्यालयों के अलावा दूसरे संस्थानों में भुगतान के आधार पर प्रतिनियुक्त होमगार्ड जवानों की कार्य के दौरान मृत्यु पर उनके परिजनों को अनुग्रह अनुदान देने का फैसला लिया है। डॉ. दीपक प्रसाद ने बताया कि अब तक सरकारी कार्यालयों में तैनात होमगार्ड जवान के परिजन को ही मृत्यु की स्थिति में यह अनुदान मिलता था। अब दूसरे संस्थानों में तैनात जवान के परिजन को भी चार लाख रुपये का अनुदान मिल सकेगा। 

वन निगम की संपत्ति का बिहार-झारखंड के बीच होगा बंटवारा 

मंत्रिमंडल ने बिहार राज्य वन विकास निगम लि. की संपत्ति, दायित्वों और कर्मचारियों का बंटवारा बिहार और झारखंड के बीच समान रूप से करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। संपत्ति बंटवारे के लिए दोनों राज्यों के  मुख्यसचिव स्तर पर बैठक होगी, इसके बाद ही इस पर अंतिम सहमति बनेगी। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने कमला बलान तटबंध के टूटने की वजह पता करने तथा बाढ़ प्रबंधन व तटबंध संरक्षण व अन्य तकनीकी सेवाएं भारतीय प्रावैधिकी संस्थान, रुड़की से कराने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया है। इस कार्य के एवज में आआइटी रुड़की को एक करोड़ 30 हजार रुपये दिए जाएंगे। 

स्वास्थ्य संस्थानों के सहमति शुल्क में बदलाव 

मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अस्पताल निर्माण के पूर्व सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सहमति पत्र प्राप्त करना होता है। इसके एवज में संबंधित संस्थानों को एक निर्धारित शुल्क अदा करना होता है। जिसमें सरकार ने बदलाव कर दिए हैं। मंत्रिमंडल ने इस पर सहमति दे दी है। अब तक सहमति शुल्क अस्पताल की लागत के अनुपात में लिया जाता था। अब सरकारी अस्पतालों के मामले में एक निर्धारित शुल्क अदा करना होगा, जबकि प्राइवेट अस्पतालों को उनकी लागत के अनुसार ही शुल्क चुकाना होगा। सरकारी अस्पतालों के लिए जो सहमति शुल्क निर्धारित किया गया है उसमें मेडिकल कॉलेज अस्पातल के लिए 90 हजार, जिला व अनुमंडल अस्पताल के लिए 60 हजार प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए नौ हजार रुपये चुकाने होंगे। यह शुल्क पांच वर्ष के लिए मान्य होगा। इसके बाद अगले पांच वर्ष के लिए यही शुल्क दोबारा चुकाना होगा। 


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