Bihar Politics: भाजपा संगठनात्मक जिलों का करेगी विस्तार, 50 से 52 हो सकती है संख्या; ये है प्लान
बिहार भाजपा विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के मद्देनजर अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने जा रही है। पार्टी संगठनात्मक जिलों की संख्या 45 से बढ़ाकर 50 से 52 करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही मंडलों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में बिहार भाजपा में 1137 संगठनात्मक मंडल हैं जिन्हें बढ़ाकर 1200 किया जाएगा। मंडल अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) तैयारियों को लक्ष्य बनाकर बिहार भाजपा संगठनात्मक ढांचा को और अधिक सुदृढ़ करने जा रही है। पार्टी की ओर इस क्रम में संगठनात्मक जिलों की संख्या 45 से बढ़ाकर 50 से 52 करने की तैयारी है। छह से सात संगठनात्मक जिले बढ़ाने के साथ ही मंडल की संख्या भी बढ़ाने की पहल की जा रही है।
वर्तमान में बिहार भाजपा के संगठनात्मक मंडलों की संख्या 1137 जिसे बढ़ाकर 1200 करने के लिए जिला कोर कमेटी के साथ प्रदेश नेतृत्व की लगातार बैठक चल रही है। संभव है कि अगले पखवाड़े इस पर मुहर लग जाएगी। इसके साथ ही मंडल अध्यक्षों के मनोनयन के चयन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी। वर्तमान में जिन जिलों को बांटने की तैयारी हैं उनमें सात जिले सम्मिलित है।
प्रदेश इकाई की ओर से मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, गया, बेगूसराय, पूर्णिया एवं समस्तीपुर जिले को बांटने को लेकर जिला कोर ग्रुप के साथ बैठक का क्रम भी जारी है। वहीं, पार्टी की परिसीमन समिति भी बारीकी से विभिन्न बिंदुओं पर विचार कर रही है। इसके तहत कोशिश है कि जिलों के बांटने में लोकसभा क्षेत्र का बंटवारा नहीं हो इसका हर हाल मेें ध्यान रखा जाएगा। इसी तरह पार्टी की कोशिश है कि अधिकतम 50 से 60 बूथ पर एक मंडल का गठन किया जाए।
मंडल अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष मनोनयन की प्रक्रिया हुई सख्त
भाजपा में मंडल अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष मनोनयन की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। 15 दिसंबर तक सभी मंडलों में नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। वहीं, 30 दिसंबर तक सभी संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्ष को भी मनोनीत करने की तैयारी है। इसे लेकर प्रदेश स्तर पर पार्टी की जिला कोर कमेटी की बैठक जारी है। 15 से अधिक संगठन जिलों की बैठक पूरी हो गई है।
पार्टी नेतृत्व ने इस बार मंडल अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर नियम सख्त कर दिया है। अब वैसे नेता जो 45 वर्ष से अधिक हैं, वे अब मंडल अध्यक्ष नहीं बन सकते हैं। जबकि 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।
हालांकि, अपवाद के तौर पर विशेष पररिस्थिति पार्टी कुछ नाम पर विचार भी कर सकती है। अहम यह है कि पार्टी में आए हुए ऐसे नेता जिन्हें छह साल से कम हुआ है, वे भी जिलाध्यक्ष की रेस से बाहर रहेंगे। इसके अतिरिक्त जो नेता दो बार जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके हैं, वे भी जिलाध्यक्ष नहीं बन सकेंगे।
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