Bihar Bhumi: लैंड म्यूटेशन में बरती लापरवाही, नीतीश सरकार ने लिया एक्शन; 2 अफसरों पर गिरी गाज
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने काम में लापरवाही बरतने वाले दो अंचल अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी राजस्व कर्मचारियों को अपने पदस्थापन वाले पंचायत में रहने का निर्देश दिया है। जिन कर्मचारियों के पास एक से अधिक पंचायत हैं उनके लिए रोस्टर जारी कर पंचायत में रहने का दिन तय किया जाएगा।

जागरण टीम, पटना/मुजफ्फरपुर। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने काम में लापरवाही बरतने वाले दो अंचल अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। बहादुरगंज एवं नवादा सदर के अंचलाधिकारियों पर लापरवाही का आरोप है।
सरावगी ने आमलोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए सभी राजस्व कर्मचारियों को अपने पदस्थापन वाले पंचायत में रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि जिन राजस्व कर्मचारियों के जिम्मे एक से अधिक पंचायत है, उन्हें रोस्टर जारी कर उनका पंचायत में रहने का दिन तय किया जाय।
'अंचल कार्यालय स्तर पर बरती लापरवाही'
मंत्री ने बताया कि नवादा के डीएम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नवादा सदर अंचल अंतर्गत दाखिल खारिज वाद संख्या 9425/23-24 में निहित खाता संख्या 122, खेसरा संख्या 791 में सन्निहित रकबा का दाखिल-खारिज जल संसाधन विभाग के नाम से करने के मामले में अंचल कार्यालय स्तर पर लापरवाही बरती गई।
किशनगंज में भी ऐसा ही मामला
इसी तरह किशनगंज के डीएम की रिपोर्ट में बताया गया कि बहादुरगंज के अंचल अधिकारी ने माह अगस्त 2024 से जनवरी 2025 तक दायर दाखिल खारिज आवेदनों में से 143 आवेदनों का निष्पादन 75 दिनों के बाद किया है।
उल्लेखनीय है कि दाखिल खारिज नियमावली के प्रावधानों के अनुसार, दाखिल खारिज आवेदनों का निष्पादन 35 दिनों के भीतर करना है। आपत्ति प्राप्त आवेदनों का निष्पादन भी 75 कार्यदिवस के भीतर करना है।
डीसीएलआर पूर्वी के कोर्ट में दाखिल-खारिज और भूमि विवाद के 5700 मामले लंबित
डीसीएलआर पूर्वी के कोर्ट में दाखिल-खारिज और भूमि विवाद के 5756 वाद लंबित हैं। कुल 6507 दायर वादों में से मात्र 751 का ही निष्पादन किया गया। इसमें सितंबर से लेकर अब तक यानी पांच माह में सिर्फ 138 वादों का निपटारा ही डीसीएलआर पूर्वी कर सके। इसपर डीएम सुब्रत कुमार सेन ने संज्ञान लिया है। उन्होंने नाराजगी व्यक्त की है। इसे कर्तव्य और दायित्व के प्रति लापरवाही तथा उदासीनता का परिचायक बताया है।
इसी आधार पर उन्होंने डीसीएलआर पूर्वी से स्पष्टीकरण पूछा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्रपत्र क गठित करने की चेतावनी दी है। बताया गया कि डीएम ने फरवरी में समीक्षा की थी। इस दौरान लंबित वादों की संख्या अधिक पाए जाने पर चिंता जताई और इसमें सुधार करने का निर्देश दिया था। इससे पूर्व मुख्य सचिव ने भी समीक्षा कर कोर्ट में लंबित मामलों का तेजी से निष्पादन करने को कहा था, लेकिन डीसीएलआर पूर्वी ने इसपर संज्ञान नहीं लिया।
उन्होंने निर्देशों का अनुपालन नहीं किया। इस दौरान डीएम ने दोबारा समीक्षा की तो पाया कि निष्पादन का कार्य जस का तस है। इसमें सुधार की जगह दिन प्रतिदिन गिरावट देखी गई। समीक्षा में निर्देशित करने के बाद भी फरवरी में दाखिल-खारिज के 30 और भूमि विवाद के मात्र दो मामलों का निष्पादन किया गया।
जाहिर है कि मुख्य सचिव और डीएम के निर्देश के बाद भी डीसीएलआर पूर्वी ने कार्यों का निष्पादन करने में रुचि नहीं ली। इसे लापरवाही और वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना का मामला बताते हुए डीएम ने उक्त कार्रवाई की है।
विवाद गहराता और न्याय मिलने में होती देरी:
विदित हो कि सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन कर दिया गया है। सप्ताह में चार दिन कोर्ट का कामकाज करने का विभागीय निर्देश है, लेकिन जो स्थिति सामने आई है, उससे स्पष्ट है कि जिम्मेदार इसमें लापरवाही बरत रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, वाद लंबित रहने के कारण विवाद गहराता है और पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
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