Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार विधानसभा चुनाव: बुलेट की सवारी और ढाबे पर चाय-पानी से दिलों के तार जोड़ गए राहुल

    एक की ड्राइविंग राहुल ने संभाली और दूसरे की तेजस्वी ने। राहुल की बाइक पर पीछे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सवार हो गए। साथ में सैकड़ों युवा अपनी-अपनी बाइकों पर। वहां से 22 किलोमीटर दूर कसबा तक राहुल-तेजस्वी बाइक चलाते हुए पहुंचे। पूर्णिया आंखें फाड़े देख रहा था और युवाओं का जोश आसमान से होड़ लेता हुआ।

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Radha Krishna Updated: Mon, 25 Aug 2025 11:46 AM (IST)
    Hero Image
    बुलेट की सवारी और ढाबे पर चाय-पानी से दिलों के तार जोड़ गए राहुल

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। दूरी 22 किलोमीटर की थी और सड़क सुबह की बारिश से गीली-गीली, फिर भी राहुल गांधी बुलेट चलाते हुए पूर्णिया को नापने निकल पड़े। तब सड़क की दोनों ओर टांट बांधे लोगों का उत्साह देखने लायक था, विशेषकर युवाओं का, जिनके जिंदाबाद के बुलंद नारे दूर तक गूंज रहे थे। इसी गूंज और अपनत्व की चाह में ही राहुल बाइकर्स बने थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल को दिल से जोड़ने की यह रणनीतिक सूझ थी, जो वे गढ़बनैली के अपना ढाबा पर लगभग आधे घंटे तक रुके रहे। चाय-पानी की तलब तो एक बहाना था। ''वोटर अधिकार यात्रा'' पर रविवार को राहुल ने अपने इस अंदाज से सुर्खियां तो बटोरी ही, उन लोगों से अपने दिल का तार भी जोड़ गए, जो अब तक बेगाने थे।

    शनिवार की रात अपने काफिले के साथ राहुल पूर्णिया की सीमा में प्रवेश कर गए थे। सदर प्रखंड के गौरा मोड़ में रात्रि विश्राम हुआ। वहां से रविवार की यात्रा शुरू हुई। खुश्कीबाग तक राहुल अपनी खुली जीप से ही पहुंचे थे। वहां तेजस्वी को इशारा करते हुए नीचे उतर गए। पश्चिम चंपारण से मंगाई गई दो बुलेट वहां पहले से खड़ी थीं।

    एक की ड्राइविंग राहुल ने संभाली और दूसरे की तेजस्वी ने। राहुल की बाइक पर पीछे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सवार हो गए। साथ में सैकड़ों युवा अपनी-अपनी बाइकों पर। वहां से 22 किलोमीटर दूर कसबा तक राहुल-तेजस्वी बाइक चलाते हुए पहुंचे। पूर्णिया आंखें फाड़े देख रहा था और युवाओं का जोश आसमान से होड़ लेता हुआ। राहुल के निकट आने और हाथ मिलाने की ललक ऐसी कि जैसे वर्षों की मिताई हो। मित्रता के इस प्रयास में एक युवक बड़ा ढीठ निकला।

    लाइन बाजार के समीप पलक झपकते उसने राहुल को किस कर लिया। उपहार में बाडी गार्डों ने दो करारे तमाचे रसीद कर दिए। राहुत तो पहले भौचक हुए, फिर मंद-मंद मुस्कुराने लगे। जिन युवा दिलों में पैठ के लिए राजनीति की पूरी उम्र गुजर जा रही, राहुल ने वहां अपना स्थान 22 किलोमीटर की बाइकिंग से बना लिया। यह अभिव्यक्ति पूर्णिया में मशीनरी पार्ट्स के युवा-वय दुकानदार अमित सिंह की है।

    बाइक छोड़ राहुल फिर अपनी खुली जीप पर सवार हो गए। कसबा में एक बड़े जत्थे के साथ पूर्व मंत्री आफाक आलम स्वागत में खड़े थे। राहुल ने उनसे चाय की तलब जताई और सात किलोमीटर दूर गढ़बनैली में ''अपना ढाबा'' पर काफिला ठहर गया। फुर्ती के साथ राहुल ढाबा में पहुंचे। ढाबा मालिक प्रदीप साह और उनके पुत्र अमृत कुमार के लिए तो यह सौभाग्य का एक अद्भुत क्षण रहा, जो विस्मित भी कर रहा था।

    हाथ जोड़े दोनों की जुबान थोड़ी देर के लिए खुशी से काठ हो गई। राहुल वहां लगभग आधा घंटा ठहरे। दीवार पर बापू की तस्वीर देख भाव-विह्वल हो उठे। तस्वीर के आगे नतमस्तक हुए और हाथों से छूकर ऐसे देखा, जैसे कि बापू का चरण-स्पर्श कर रहे हों। मुखिया मो. अयूब बखान करते नहीं अघा रहे। उन्होंने साथ में एक तस्वीर की इच्छा जताई और राहुल ने लपक कर गले लगा लिया। खचाखच दर्जनों तस्वीरें खिंच गईं।

    मैगी और चाय बनाकर राहुल को खिलाने-पिलाने में मिले आनंद को रसोइया सुनील पोद्दार शब्दों में नहीं बता पा रहे। उनकी चमकती आंखों में वह आनंद अब भी साफ झलक रहा है। राहुल ने यहां दो-तीन बिस्कुटों के साथ चिप्स और कुरकुरे का भी स्वाद लिया। लाख मना करने के बाद भी खाने-पीने के एवज में हजार रुपये देते गए। अधीनस्थ कर्मी को संकेत किया और उसने रुपये अमृत की हथेलियों में रख दिए। अब अपनी हथेलियां दिखाते हुए अमृत कह रहे कि यही तो पंजा (कांग्रेस का चुनाव-चिह्न) है।