सांसद न सही, विधायक ही सही, बिहार के लोकसभा हारे 'योद्धा' अब विधानसभा की रणभूमि में उतरने को तैयार
पिछले लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले कई नेता अब बिहार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने को तैयार हैं। वे टिकट के लिए दल बदलने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। भाजपा से रामकृपाल यादव राजद से बीमा भारती और कांग्रेस से अजीत शर्मा जैसे कई नेता विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। कई निर्दलीय उम्मीदवार भी पार्टियों में टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं।

दीनानाथ साहनी, पटना। पिछले लोकसभा चुनाव में मुंह की खा चुके कई योद्धा अब बिहार विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाने की तैयारी में हैं। टिकट के लिए वे किसी भी राजनीतिक दल का दामन थाम सकते हैं यानी दल-बदल से भी परहेज नहीं।
इनमें हर दल के वैसे हारे उम्मीदवार ज्यादा हैं, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे थे। माना जा रहा है कि भाजपा पाटलिपुत्र से लोकसभा चुनाव हारे रामकृपाल यादव को दानापुर विधानसभा से उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है।
विधायक बनने का देख रहे सपना
वैसे लोकसभा चुनाव में बक्सर से हारे मिथिलेश तिवारी और सासाराम में दूसरे स्थान पर रहे शिवेश राम भी विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जता चुके हैं। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव में कटिहार से हारे दुलाल चंद गोस्वामी, किशनगंज में दूसरे स्थान पर रहे मोजाहिद आलम और पूर्णिया में दूसरे स्थान पर रहे संतोष कुमार कुशवाहा भी विधानसभा चुनाव लड़ने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
ऐसे कई और नेता हैं जो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तब से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए। अब ऐसे नेताओं की दावेदारी संबंधित पार्टियों से विधानसभा चुनाव में उतारे जाने की चर्चा है।
राजद के भी उम्मीदवार मैदान में
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के जिन उम्मीदवारों ने हार का सामना किया था, उनमें अधिकांश नेता अब विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाते दिखेंगे। इनमें सबसे पहला नाम बीमा भारती का है जो जदयू की विधायकी से इस्तीफा देकर राजद के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से हाथ आजमायी थी, लेकिन उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी थी।
इसी तरह लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर शिवहर से लड़ी रितु जायसवाल भी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। राजद के टिकट पर सीतामढ़ी से लड़े अर्जुन राय, मधुबनी से उम्मीदवार रहे अली अशरफ फातमी, अररिया से मोहम्मद शाहनवाज आलम, वैशाली से लड़े मुन्ना शुक्ला, हाजीपुर से लड़े शिवचंद्र राम, जमुई से लड़ी अर्चना रविदास और सिवान से लड़े अवध बिहारी चौधरी भी विधानसभा चुनाव में ताल ठोकते नजर आएंगे।
कांग्रेस के नेता भी मैदान में
कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव में दांव आजमा चुके और हार हुए कई नेता विधानसभा के दंगल में उतरने की तैयारी में है। इनमें भागलपुर से अजीत शर्मा, महाराजगंज से आकाश प्रसाद सिंह और समस्तीपुर से सन्नी हजारी तथा पश्चिम चंपारण से बतौर उम्मीदवार मदन मोहन तिवारी लोकसभा चुनाव में हार का स्वाद चख चुके हैं जो अब विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाएंगे।
भाकपा के अवधेश कुमार राय बेगूसराय लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन उनका विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इसी प्रकार माकपा के संजय कुमार कुशवाहा खगडि़या से लोकसभा चुनाव हार गए थे, किंतु वे विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत पार्टी नेतृत्व को दे चुके हैं।
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव हार चुके कई निर्दलीय भी अब पार्टियों में टिकट पाने हेतु ताक-झांक शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि लगभग दो दर्जन नेता ऐसे हैं, जिनके लिए पार्टी लाइन का कोई मतलब नहीं।
निर्दलीय लड़ने से भी परहेज नहीं
उन्हें इस बार जो पार्टी टिकट देगी, उसी के साथ हो जाएंगे। वे सत्तारूढ़ एनडीए या महागठबंधन। इन गठबंधनों में बात नहीं बनी तो निर्दलीय लड़ने से भी परहेज नहीं करेंगे। वैसे इनमें ज्यादातर का झुकाव जन सुराज पार्टी की तरफ देखा जा रहा है, जहां टिकट के लिए आवेदन करने वाले दावेदारों की अच्छी-खासी तादाद है।
हालांकि इस दौड़ को कुछ राजनीतिक विश्लेषक गलत मानते हैं। इनका मानना है कि बार-बार चुनाव हार चुके नेताओं की जगह नये लोगों को लड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए। इससे समर्पित कार्यकर्ताओं में सकारात्मक संदेश जाएगा। जो नेता हार के बाद भी जीतने की ताकत रखते हैं, उन्हें टिकट से वंचित भी नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि टिकट के लिए जो प्रयास कर रहे हैं उनके लिए यह सुझाव का कोई मतलब नहीं।
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