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    बिहार चुनाव 2020ः आंखों में उम्मीद लिए फिर कतार में 'पानापुर', हर मतदाता संजोय है एक कहानी

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 03 Nov 2020 05:02 PM (IST)

    आंखों के सपने सपने ही रहे। कुमारी देवी अब तो विस्मृति की शिकार हैं फिर भी वोट देना नहीं भूलतीं। आज भी मतदान का जज्बा जिंदा है। उम्मीद है कि शायद इसबार चुनाव के बाद कुछ बदलाव होगा।

    दानापुर में वोट देने के लिए कतार में खड़े मतदाता।

    पटना, जेएनएन। कुमारी देवी अब 88 वर्ष की हो चली हैं। उन्हें अब यह भी याद नहीं कि जिंदगी में कितनी बार वोट करने को लाइन में लगी हैं। हर बार इस उम्मीद में वोट करने आईं की सरकार आएगी तो पक्का घर होगा।  घर में खुद का शौचालय होगा। परिवार का राशन कार्ड होगा, पर वोट डालते-डालते उम्र बीत गई। आंखों के सपने, सपने ही रहे। कुमारी देवी अब तो विस्मृति की शिकार हैं, फिर भी वोट देना नहीं भूलतीं। आज भी मतदान का जज्बा जिंदा है।

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    अंदर जाने के रास्ते से बाहर भी आना है...

    दोपहर के एक बजने को हैं। नया पानापुर (दानापुर) के मानस बाजार के उत्क्रमित कन्या विद्यालय में मतदान को लगी लाइन छोटी होती नहीं दिखती। इस स्कूल में दो बूथ हैं। भीड़ ज्यादा है। अंदर जाने के रास्ते से बाहर भी आना है, इसलिए कुछ लोग नाराज हैं। सुरक्षा में लगे जवान से शिकायत हो रही है कि 'सर जरा जल्दी कराइये ना, दो घंटे से लाइन में हैं।

    सरकार अपना काम भूल सकती है, हम दायित्व नहीं

    बूथ के बाहर अपनी बारी के इंतज़ार में खड़े राजेंद्र राय कहते हैं, यह इस इलाके की सबसे बड़ी पंचायत है। 19 वार्ड हैं, 10 हजार वोटर हैं पर किसी को हमारे विकास से मतलब नहीं। वे कहते हैं कि हमें मलाल नहीं। सरकार अपना काम भूल सकती है हम अपना दायित्व नहीं भूलते। हमारा काम वोट देना है और उनका काम राज्य का हमारा विकास करना। राजेन्द्र रॉय कहते हैं, यह इलाका पानी की समस्या से प्रभावित है। समस्या भले प्राकृतिक हो फिर भी सरकार को इसके निदान के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए था।

    प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है पर सरकार के डॉक्टर नहीं आते

    इसी इलाके के हरिजन शेड स्कूल में बने बूथ पर वोट देकर लौटी सविता देवी ने बताया कि यहां बहुत समस्या है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है पर सरकार के डॉक्टर नहीं आते। बिजली कंपनी प्राइवेट है। जहां 200 रुपये बिजली बिल आना चाहिए वहां 600 आता है। 10 साल से राशनकार्ड के लिए भटक रहे पर नहीं बन पाया। वोट डाले हैं, उम्मीद है कि अब सब बन जाएगा। इधर नकटा दियारा का भी हाल मानस बाजार से जुदा नहीं। वोट पड़ रहे हैं पर गति धीमी है। यहां लाइन में लगे लोग  जानते हैं कि अब लाइन में हैं तो वोट डालकर ही घर लौटेंगे पर वे यह नही जानते कि उनके सपने कब पूरे होंगे।