Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Air Pollution: हल्के में न लें वायु प्रदूषण, धूलकण से सांस की नली में हो रही सूजन; इन गंभीर बीमारियों का भी खतरा

    प्रदेश में ठंड के साथ ही प्रदूषण में भी काफी तेजी से इजाफा हो रहा है जिसका असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। अस्पताल में सांस संबंधी समस्या से परेशान मरीजों में 20 फीसदी मरीज प्रदूषण जनित बीमारियों के हैं। सूक्ष्म धूलकण से पैदा हुए प्रदूषण की वजह से सांस की नली में सूजन सर्दी बुखार व खांसी जैसी समस्याएं हो रही हैं।

    By Niraj Kumar Edited By: Divya Agnihotri Updated: Thu, 09 Jan 2025 09:17 AM (IST)
    Hero Image
    प्रदूषण की वजह से सांस की बीमारियों का शिकार हो रहे लोग

    जागरण संवाददाता, पटना। Air Pollution Health Effects: प्रदेश में ठंड, कोहरा एवं धूलकण के मिश्रण से पैदा हुआ प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर कहर बरपाने लगा है। प्रदूषण के सूक्ष्म कण लोगों के फेफड़े तक पहुंच रहे हैं, जिससे सांस की नली में सूजन के साथ-साथ सिकुड़न पैदा हो रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सांस की नली में सूजन एवं सिकुड़न के कारण ही लोग सर्दी, खांसी, बुखार, बलगम एवं सांस लेने में परेशानी महसूस कर रहे हैं।

    इस तरह की समस्या आजकल अस्पतालों में काफी बढ़ गई है। सांस लेने में समस्या होने के कारण ही लोग थकान महसूस कर रहे हैं।

    वायु प्रदूषण जनित बीमारियों के शिकार 20 प्रतिशत मरीज

    • पटना मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल के श्वसन रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीके अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान में राजधानी में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर है। वायु प्रदूषण के कारण काफी संख्या में लोग अस्पताल आ रहे हैं।
    • श्वसन रोग विभाग में आने वाले लगभग 20 प्रतिशत मरीज वायु प्रदूषण जनित बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसमें युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने के कारण आजकल अस्थमा एवं हार्ट के मरीजों की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
    • अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है। वे दम फूलने की शिकायत लेकर अस्पताल आ रहे हैं। सांस नली में सूजन के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

    गंभीर बीमारियों का बढ़ा खतरा

    विशेषज्ञों का कहना है कि नाक के माध्यम से जब धूल का सूक्ष्म कण पीएम-10 एवं पीएम 2.5 सांस नली (ब्रोंकाई) तक पहुंचता है तो धीरे-धीरे वहां पर सूजन होने लगता है। यह क्रम कुछ दिनों तक होने के बाद सांस नली में सिकुड़न पैदा होने लगती है।

    धूलकण से सांस नली में रिएक्शन होने के कारण ही व्यक्ति सबसे पहले सर्दी, फिर खांसी और उसके बाद बुखार का शिकार होने लगता है। अगर यही स्थिति लंबे समय तक रही तो मरीज कई अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है।

    बच्चों में बढ़ रही एलर्जी की समस्या

    पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में एलर्जी की समस्या काफी बढ़ गई है। अस्पताल में आने वाले 25 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्रदूषण जनित एलर्जी की समस्या से जूझ रहे हैं।

    बच्चे सड़कों या मैदानों में पड़े धूलकण में खेलने के कारण आसानी से उसके शिकार हो जाते हैं। वहीं सड़कों पर वाहन गुजरने से भी बच्चे सबसे ज्यादा चपेट में आते हैं।

    मास्क लगाकर निकलना ही बेहतर

    चिकित्सकों की सलाह है कि प्रदूषित इलाके में मास्क लगाकर ही जाएं। कोशिश करें कि कम से कम समय वहां गुजारे। इसके अलावा अगर संभव हो तो उस इलाके के आसपास बंद कमरे में रहें।

    खासकर जहां पर निर्माण कार्य चल रहा है वहां पर वायु प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर है।

    किस वजह से बढ़ रहा वायु प्रदूषण

    राजधानी में हो रहा निर्माण कार्य वायु प्रदूषण का मुख्य कारण माना जा रहा है। शहर की सड़कों में कई जगहों पर बालू रखी गई है। जब भी कोई वाहन वहां से गुजरता है बालू पूरी सड़क पर बिखर जाती है।

    वहीं बालू धीरे-धीरे पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है। इसके अलावा पुराने भवनों को तोड़ने के दौरान भी मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। कई भवन बिना ग्रीन नेट के ही तोड़े जा रहे हैं।

    ये भी पढ़ें

    MP News: मध्य प्रदेश के शहरों में लगाए जाएंगे AQI डिस्प्ले बोर्ड, वायु प्रदूषण की मिलेगी रियल टाइम जानकारी

    Bihar Weather Today: राजधानी समेत 12 शहरों का लुढ़का तापमान, पछुआ से बढ़ेगी कनकनी; IMD ने जारी किया अलर्ट