असम के भट्ठे से छुड़ाए गए बिहार के 7 मजदूर; मोबाइल जब्त, मारपीट और बंधक बनाकर कराया जा रहा था काम
बिहार सरकार ने तत्परता दिखाते हुए असम के तीनसुकिया जिले से बिहार के सात मजदूरों को छुड़ाया। सारण जिले के ये मजदूर असम के एक भट्ठे पर बंधक बनाकर काम कर ...और पढ़ें

भट्ठे में कैद कर रखे गए थे 7 बिहारी मजदूर
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार के त्वरित और प्रभावी हस्तक्षेप की बदौलत असम के तीनसुकिया जिले में बंधक बनाए गए बिहार के सात मजदूरों को सकुशल मुक्त करा लिया गया। ये सभी मजदूर सारण जिले के अमनौर और मकेर थाना क्षेत्रों के रहने वाले हैं, जिन्हें असम के लिडु गांव स्थित एक चिमनी भट्ठे पर जबरन काम कराया जा रहा था। मामला सामने आने के बाद न सिर्फ प्रशासन हरकत में आया, बल्कि राज्य सरकार ने समय रहते कार्रवाई कर इन सभी को सुरक्षित वापस लाकर राहत दी।
जानकारी के अनुसार, मजदूरों को कौशल सिंह के स्वामित्व वाले भट्ठे में कैद कर रखा गया था। मुक्त कराए गए श्रमिकों में संजय कुमार (18), गजेंद्र महतो (32), राजकुमार महतो (60), गणेशी महतो (55), सनोज महतो (28), मुकेश नट (18) और सुरेश राम (36) शामिल हैं।
सभी मजदूरों ने बताया कि भट्ठा मालिक ने उनका मोबाइल छीन लिया था, ताकि वे बाहर किसी से संपर्क न कर सकें।
उन्हें दिन-रात जबरन मजदूरी कराई जाती थी और विरोध करने पर मारपीट भी की जाती थी। मजदूरों का कहना है कि वे कई दिनों से घरवालों से संपर्क करने को तरस गए थे लेकिन मालिक उन्हें धमकाकर चुप करा देता था।
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब श्रमिकों के परिवारों को किसी तरह बात की भनक लगी। परिजनों ने ग्राम पंचायत कैतुका नंदन की मुखिया को जानकारी दी, जिसके बाद मुखिया ने मकेर प्रखंड प्रशासन और सारण जिला प्रशासन को लिखित शिकायत भेजी।
शिकायत मिलते ही प्रशासन ने त्वरित जांच शुरू की। श्रम अधीक्षक, सारण ने तत्काल संयुक्त श्रमायुक्त, नई दिल्ली को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की।
इसके बाद मंत्री-स्तरीय निर्देश पर असम के श्रम विभाग और स्थानीय प्रशासन से संपर्क स्थापित किया गया। बिहार सरकार की ओर से लगातार फॉलो-अप किया गया, जिसके बाद असम पुलिस और श्रम विभाग ने संयुक्त अभियान चलाकर सातों श्रमिकों को बंधन से मुक्त करा लिया।
सभी को सुरक्षित बाहर निकालकर उनके घर भेजने की व्यवस्था की गई और श्रम संसाधन विभाग ने पुष्टि की कि वे सभी सकुशल बिहार पहुंच चुके हैं।
विभाग ने बताया है कि दोषी भट्ठा मालिक के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई उन हजारों प्रवासी श्रमिकों के लिए उम्मीद की किरण है, जो रोज़गार की तलाश में अन्य राज्यों में जाते हैं लेकिन कई बार शोषण और बंधुआ मजदूरी का शिकार बन जाते हैं।
यह घटना इस बात का बड़ा उदाहरण है कि श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर बिहार सरकार किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करेगी। त्वरित कार्रवाई ने न सिर्फ जान बचाई, बल्कि यह संदेश भी दिया कि राज्य अपने श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर तत्पर है।

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