Bihar: नीतीश सरकार ने दी खुशखबरी! बिहार में बनेंगी 18000 KM लंबी सड़कें, नेशनल हाईवे भी बनेंगे
बिहार सरकार अगले दो वित्तीय वर्षों में 18000 किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कें बनाएगी। इस वर्ष 9000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा। ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने विधानसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने विपक्षी नेताओं पर तंज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण सड़कों में अभूतपूर्व काम किया। इसके अलावा बिहार में कुछ और सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) घोषित की जाएंगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। ग्रामीण क्षेत्रों में दो वित्तीय वर्ष के भीतर 18000 किलोमीटर लंबाई में सड़कें बनाई जाएंगी। विधानसभा में बुधवार को यह जानकारी ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने दी। इनमें से 9000 किलोमीटर में इसी वित्तीय वर्ष निर्माण कार्य हो जाएगा। शेष 9000 किलोमीटर अगले वर्ष में। सरकार का प्रयास विधानसभा चुनाव से पहले निर्माण करा लेने का है।
सीतामढ़ी जिला में एक खस्ताहाल सड़क के संदर्भ में मुकेश कुमार यादव ने प्रश्न किया था। दूसरा प्रश्न मनोहर प्रसाद सिंह का था। वे कटिहार जिला के अमदाबाद प्रखंड में डेढ़ किलोमीटर लंबाई में सड़क नहीं होने 10 हजार की जनसंख्या की परेशानी का उल्लेख किए। ग्रामीण सड़कों के संदर्भ में ऐसे ही लगभग आधा दर्जन प्रश्न थे।
रामबली सिंह यादव के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि विपक्ष ग्रामीण सड़कों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दे। इस विभाग का मंत्री रहते उनके नेता (तेजस्वी प्रसाद यादव) ने तो कुछ भी नहीं किया। उनके नेता जब आए थे तब राज्य में मात्र आठ हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें थीं।
आज उसकी लंबाई बढ़कर एक लाख 17 हजार किलोमीटर हो गई है। ग्रामीण सड़कों के निर्माण में कोई भेदभाव नहीं किया गया है कि यह एनडीए विधायक का क्षेत्र है या राजद का। उल्लेखनीय है कि चौधरी के उत्तर के समय ही मुख्यमंत्री सदन में आए थे।
एनएच बनाने के लिए चिह्नित की जा रहीं कुछ और सड़कें
विधानसभा में बुधवार को एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने बताया कि अभी बिहार में जनसंख्या घनत्व के आधार पर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की लंबाई भले ही कम हो, लेकिन क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से यह राष्ट्रीय औसत से डेढ़ गुना अधिक है। राज्य में कुछ और सड़कें भी एनएच घोषित की जाएंगी। इसके लिए योग्य सड़कों को चिह्नित किया जा रहा है। प्रश्न अरुण शंकर प्रसाद का था।
अखबार की एक खबर के हवाले से उनका कहना था कि बिहार में मात्र 36 एनएच हैं, जिनकी कुल लंबाई 6131.80 किलोमीटर है। देश में एनएच 146145 किलोमीटर है। बिहार की तुलना में महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक आदि में एनएच अधिक है। इसी के साथ उन्होंने पूछा था कि क्या यह सही नहीं है कि 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर एनएच में बिहार की भागीदारी 5.4 प्रतिशत थी। वह घटकर अभी 4.04 प्रतिशत रह गई है, जबकि राष्ट्रीय औसत छह प्रतिशत का है।
उत्तर में पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि 2005 में राज्य में दो-लेन और फोर-लेन सड़कों की लंबाई क्रमश: 1200 और 800 किलोमीटर थी। वह बढ़कर अब क्रमश: 2000 और 2600 किलोमीटर हो गई है। तब एनएच की लंबाई बिहार में मात्र 3600 किलोमीटर थी, जो बढ़कर अब 6000 किलोमीटर हो गई है। क्षेत्रफल (प्रति हजार किलोमीटर) के हिसाब से राष्ट्रीय औसत 39 किलोमीटर का है, जो बिहार में 60 किलोमीटर है।
अब राज्य में छह लेन की सड़कों का भी निर्माण हो रहा है। इसमें आमस-दरभंगा, पटना-बेतिया, आरा-सासाराम, वाराणसी-कोलकाता के अलावा राम जानकी मार्ग और बक्सर-चौसा मार्ग हैं। हम ग्रीन-फील्ड एलायनमेंट की ओर बढ़ चले हैं और बिहार को कई एक्सप्रेस-वे भी मिले हैं। इसी के साथ मंत्री ने काम में देरी, अड़चन या निर्माण एजेंसी के फिसड्डी होने जैसी शिकायतों को सही नहीं माना।
देरी तो हुई, फिर भी रैयतों को मिलेगा मुआवजा:
मुंगेर जिला में गोगरी से हरिणमार-झौवा बहियार तक सड़क से जुड़े पुल निर्माण के लिए 2012 में ही किसानों की भूमि ली गई थी। उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला। प्रवण कुमार का प्रश्न था कि मुआवजा कब तक मिलेगा।
नितिन ने बताया कि रैयतों में से एक मो. सबुल 2023 में उच्च न्यायालय चले गए थे। पिछले वर्ष 13 अगस्त को न्यायालय ने मुआवजा भुगतान का आदेश दिया है। मुआवजे के लिए जिला प्रशासन द्वारा दर का निर्धारण किया जा रहा है। उसके बाद भुगतान कर दिया जाएगा।
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