Bihar: VC से गायब मिले 10 हजार सरकारी स्कूल प्रिंसिपल, KK Pathak ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी सख्त हिदायत
बिहार के सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ प्रत्येक कार्य दिवस पर होनेवाली वीसी में शत-प्रतिशत प्रधानाध्यापकों के नहीं जुड़ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी है। इधर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के योजना निदेशक सह पूर्व प्रभारी कुलपति डा. अरुण कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य के सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ प्रत्येक कार्य दिवस को होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शत-प्रतिशत प्रधानाध्यापकों के नहीं जुड़ने के मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को हिदायत दी है।
पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को गुरुवार को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित कराएं कि सभी 75 हजार 309 स्कूलों के प्रधानाध्यापक जिला स्तर पर होने वाले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ें और पूरी जानकारी दें।
10 हजार प्रिंसिपल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से रहे गायब
जिलों को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि जिलों की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि प्रतिदिन 65 हजार स्कूल ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ रहे हैं।
सिर्फ एक दिन 70 हजार स्कूल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे। इसलिए सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक रोज शाम चार बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ें, यह सुनिश्चित कराएं। लगभग 10 हजार स्कूलों के प्रधानाध्यापक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नहीं जुड़ रहे हैं।
क्या है विभाग का निर्देश
शिक्षा विभाग ने प्रतिदिन सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उस दिन की गतिविधियों की पूरी जानकारी लेने का निर्देश जिलों को पूर्व में जारी किया था। इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। अब
प्रधानाध्यापकों के लिए प्रारंभिक स्कूलों में 75 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति तय कराने, जो बच्चे लगातार स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनका नामांकन रद्द कराने, स्कूलों में निजी एजेंसी के माध्यम से साफ-साफाई शुरू हुई या नहीं, की मानीटरिंग, आइसीटी लैब लगने शुरू होने की मानीटरिंग, विद्यार्थियों को प्रतिदिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं और अभिभावकों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं।
बीएयू के योजना निदेशक डॉ. अरुण कुमार की बढ़ी मुश्किल
भागलपुर, जागरण टीम: बिहार कृषि विश्वविद्यालय के योजना निदेशक सह पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ. अरुण कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
वह वर्तमान में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति के पद पर कार्यरत हैं। उनकी स्थाई नौकरी बिहार कृषि विश्वविद्यालय में योजना निदेशक पद पर है।
छुट्टी स्वीकृत न होने से बढ़ेगी परेशानी
नियमानुसार वह जब तक कुलपति के पद पर दूसरे जगह रहेंगे, तबतक बीएयू से छुट्टी की स्वीकृति लेनी पड़ेगी, लेकिन बीएयू ने स्वीकृत नहीं किया।
बीएयू प्रबंध बोर्ड की 35वीं बैठक में डॉ. अरुण कुमार की छुट्टी को स्वीकृत नहीं किया गया है। छुट्टी स्वीकृत न होने पर परेशानी बढ़ सकती है।
डॉ. अरुण कुमार के पास सिर्फ दो विकल्प
डॉ. अरुण कुमार के पास अब सिर्फ यही विकल्प है कि बीकानेर में रहे या बीएयू में वापसी हो। एक का ही चुनाव करना पड़ेगा।
एक जगह इस्तीफा देना होगा। यदि इनकी छुट्टी स्वीकृत हो जाती तो कुलपति का कार्यकाल समाप्त करने के बाद अपने स्थाई पद पर आ जाते।
राज्यपाल से भी की मुलाकात
चर्चा है कि डॉ. अरुण कुमार हाल में ही राज्यपाल से मुलाकात की थी और छुट्टी स्वीकृत कराने का आग्रह किया था, ताकि कुलपति की नौकरी करने के बाद भी बीएयू में फिर बची हुई नौकरी कर सकें।
विदित हो कि बिहार सरकार ने डा. अरुण कुमार पर विजिलेंस जांच तक बैठाई है जो अभी चल रही है। बीकानेर जाने से पहले डेड़ वर्ष से ज्यादा समय तक कृषि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के रूप में कार्यरत थे।
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