बिहार में Aadhaar सिस्टम में हो रहा था बड़ा खेला, चुनाव से पहले खुला राज तो पता चल गई ये बात
आर्थिक अपराध इकाई ने आधार सिस्टम में सेंधमारी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। मधेपुरा से तीन अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं जो अवैध रूप से आधार सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके फर्जी दस्तावेज बना रहे थे। ये अपराधी नकली वेबसाइटों का उपयोग करके आधार डेटा में बदलाव करते थे और इन दस्तावेजों को साइबर अपराधियों को बेचते थे।

राज्य ब्यूरो, पटना । बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने आधार सिस्टम में सेंधमारी कर फर्जी दस्तावेज बनाने और इसे साइबर अपराधियों को बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में मंगलवार को मधेपुरा से तीन अपराधियों रामप्रवेश कुमार, मिथिलेश कुमार और विकास कुमार को गिरफ्तार किया गया है।
यह अपराधी अवैध रूप से ईसीएमपी (आधार साफ्टवेयर) डाउनलोड कर आपरेटर की मदद से फर्जीवाड़ा कर डाटा में बदलाव कर रहे थे। इसके लिए नकली वेबसाइट का प्रयोग कर आधार कार्ड जमा किया जाता था जिसे बाद में छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेज तैयार किया जा रहा था।
इस फर्जी दस्तावेज को साइबर अपराधियों को बेच दिया जाता था। साइबर अपराधी इसकी मदद से साइबर अपराध को अंजाम दे रहे थे। इस मामले में मंगलवार को ईओयू थाने में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
ईओयू के अनुसार, मधेपुरा में पकड़े गए साइबर अपराधी ईसीएमपी साफ्टवेयर, यूसीएल सोर्स कोड, यूसीएल आधार और आयुष्मान डाट साइट जैसी छह से सात नकली अवैध वेबसाइट का प्रयोग कर आधार का डाटा जमा करते थे। फिर इस आधार डाटा को मोडिफाई करते थे।
इसके लिए सिलिकान फिंगर प्रिंट का प्रयोग भी किया जाता था। इससे आम नागरिकों की अनुमति के बिना उनके बायोमेट्रिक और पहचान पत्र का इस्तेमाल साइबर अपराध में किया जा रहा था। इन साइबर अपराधियों का अंतरराज्यीय कनेक्शन भी सामने आया है। ईओयू की साइबर विंग ने गुप्त सूचना पर यह कार्रवाई की है।
ईओयू के अनुसार, रामप्रवेश ने आधार डाटा जमा करने के लिए कई नकली वेबसाइट बनाई। इसके लिए यूट्यूब और गूगल का उपयोग कर फर्जी आधार पोर्टल बनाना भी सीखा। इसके साथ कई अन्य वेबसाइट और पोर्टल बनाकर लोगों का आधार और बायोमेट्रिक डाटा अवैध रूप से स्टोर करने लगा। इस मामले में तीनों अभियुक्तों से पूछताछ की जा रही है, जिसमें कई नई जानकारी सामने आने की उम्मीद है।
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