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    बिहार की 3000 लड़कियां हो गईं गुम, जानिए सनसनीखेज खुलासा

    बिहार में एक साल में ही तीन हजार से ज्यादा लड़कियों के गायब होने का मामला दर्ज है। पुलिस की उदासीनता इस मामले में साफ दिखाई देती है।

    By Kajal KumariEdited By: Updated: Mon, 27 Mar 2017 11:38 PM (IST)
    बिहार की 3000 लड़कियां हो गईं गुम, जानिए सनसनीखेज खुलासा

    पटना [आशीष शुक्ला]। बिहार में लड़कियों का अपहरण कर उन्हें सेक्स रैकेट के दलदल में धकेला जा रहा है। इसमें बड़ा रैकेट सक्रिय है। गुमशुदी के ज्यादातर मामले ऐसे ही हैं। पुलिस अधिकांश मामलों को प्रेम प्रसंग में भागने का बता पल्ला झाड़ लेती है।

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    एसएसपी मनु महाराज दावा करते हैं कि शिकायत मिलने पर केस दर्ज कर पुलिस छानबीन में जुट जाती है। लेकिन, पीडि़तों की मानें तो अधिकांश मामलों में पुलिस का रवैया टालमटोल वाला ही रहता है। 

    बिहार में ऐसी सैकड़ोंलड़कियां हैं, जिनके माता-पिता और परिजनों की आंखें इंतजार में पथरा रही हैं। बीते साल 3037 लड़कियों की 'गुमशुदगी' के मामले दर्ज हुए। यह सिर्फ लड़कियों के गुम होने  का मसला नहीं, एक बड़े नेटवर्क की सक्रियता का है। 
    बाजार में बिकी बार-बार 
    25 दिसंबर 2016। मालसलामी थाना क्षेत्र रहस्यमय ढंग से एक छात्रा के गायब होने की सूचना थाने में दर्ज कर ली गई। फिर वही जो होता है, तलाश जारी है...। दाद देनी होगी उस मां की, जिसने बेटी की बरामदगी के लिए आसमान सिर पर उठा लिया। थाने का घेराव किया, महिलाओं को साथ लेकर प्रदर्शन किया। करीब 80 दिनों बाद वह छात्रा उत्तर प्रदेश के आगरा में मिली। 
    ज्यादातर मामले हकीकत में ट्रैफिकिंग के होते हैं, यह उस छात्रा की बरामदगी के बाद बहुत हद तक स्पष्ट हो रहा है। उसे एक महिला नौकरी दिलाने के नाम पर फिरोजाबाद ले गई थी, जहां उसे तीन बार बेचा गया। 
    1587 गुमशुदगी लव अफेयर में!
    नेशनल क्राइम ब्यूरो का रिकॉर्ड बताता है कि बिहार में वर्ष 2016 में 3037 लड़कियां गायब हुईं। 1587 लड़कियों के गायब होने के पीछे का कारण लव अफेयर बताया गया। इसमें अधिसंख्य गरीब परिवार की हैं। ये लड़कियां कहां और किस हाल में हैं, किसी को नहीं पता। 
    दरअसल, इसके पीछे भी एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जो ऐसी जरूरतमंद लड़कियों पर निगाहें रखता है और फिर अपने जाल में फांसकर सेक्स रैकेट आदि की जिल्लत भरी जिंदगी में धकेल देता है। 
    सात साल से बेटी की देख रही राह  पटना सिटी में एक मां सात साल से अपनी बेटी की राह देख रही है। माता-पिता ने कई जगह ढूंढा, थाने में केस दर्ज कराया। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। पिता भी थक-हार कर चुप बैठ गए हैं। उन्हें किसी अनहोनी का डर है, पर कुछ नहीं कर सकते। 
    17 मार्च 2010 को आलमगंज थाना क्षेत्र से गायब वह छात्रा दसवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए गेस पेपर लेने निकली, फिर नहीं लौटी। इन सात वर्षों से परिजन एसएसपी से कम-से-कम 30 बार मिले। हर बार आवेदन और टीम गठित कर ढूंढने का वादा। थाने की पुलिस परिजनों से कहती है, कोई सूचना मिले तो बताएं। 
    पुलिस का काम सिर्फ बयान दर्ज कराना  
    पुलिस मामला दर्ज कर लेती है, ढूंढने का काम परिजनों का ही है। अगर बरामदगी हो गई तो पुलिस कोर्ट में बयान भर दर्ज करा देती है। हकीकत में यही हो रहा है। इस मामले में भी यही हो रहा है। पुलिस कहती है, किसी नंबर से फोन आए तो सूचना दीजिएगा। 
    मानव तस्करों की नजर 
    स्कूल-कॉलेज या कोचिंग आने-जाने के दौरान लड़कियां गुम हो जा रही हैं। खास बात यह कि इनमें अधिसंख्य आर्थिक रूप से कमजोर घरों की हैं। यह खेल मानव तस्करों का है। इन्हें राजस्थान, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों में बेच दिया जा रहा है। उनकी जबरन शादी हो जाती है। फिर शुरू होता है सेक्स रैकेट में एक के बाद एक के हाथों बेचने का सिलसिला। 
    बढ़ रही है ट्रैफिकिंग 
    एक गैर सरकारी संस्था के मुताबिक जनवरी 2013 से जनवरी 2014 के बीच 2674 गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए। इनमें लड़के भी थे। अकेले सारण से 76 मामले दर्ज हुए। हालांकि, पुलिस ने गुम 2241 लोगों को बरामद कर लिया, जबकि 633 लड़कियां नहीं मिलीं। 
    वर्ष 2014 में तिरहुत के तत्कालीन डीआइजी ने कहा था कि बिहार से हर महीने चार हजार बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार हो रहे हैं।