आत्मनिर्भर भारत की नई ऊंचाई: पीएम मोदी ने पटना, वाराणसी और कोलकाता में शिप रिपेयर सेंटर की रखी आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना वाराणसी और कोलकाता में शिप रिपेयरिंग सेंटर की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत के लिए जरूरी है क्योंकि विदेशी निर्भरता सबसे बड़ी चुनौती है। बिहार पटना में 415 करोड़ रुपये की परियोजना बिहार में जल परिवहन को बढ़ावा देगी और रोजगार सृजन करेगी।

रमण शुक्ला, भावनगर(अहमदाबाद)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पटना, वाराणसी और कोलकाता में शिप रिपेयरिंग सेंटर की आधारशिला रखी, जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि विदेशों पर निर्भरता भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और इसे दूर करने के लिए हमें आत्मनिर्भर बनना होगा।
पटना में 415 करोड़ रुपये की लागत से यह परियोजना जलयानों के संचालन में दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरणीय खतरों और यांत्रिक विफलताओं को कम करेगी। यह सुविधा बिहार में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देगी। साथ ही पटना को गंगा जलमार्ग नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाएगी।
इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के अवसर विकसित होंगे। मोदी ने समुद्र से समृद्धि' कार्यक्रम में पटना, वाराणसी एवं कोलकाता में शिप रिपयेरिंग सेंटर का आनलाइन आधारशिला रखी। साथ ही पोर्ट-लेड डेवलपमेंट को गति देने के लिए, हज़ारों करोड़ रुपये के परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन किया। देश में क्रूज टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए मुंबई में इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल का भी लोकार्पण किया।
विदेशों पर निर्भरता भारत की विफलता
कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि विश्व में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। सच्चे अर्थ में अगर हमारा कोई दुश्मन है तो वो है- दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता। यहीं हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को, निर्भरता वाले दुश्मन को हराना ही होगा। जितनी ज्यादा विदेशी निर्भरता, उतनी ज्यादा देश की विफलता, विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। हम दूसरों पर आश्रित रहेंगे, तो हमारा आत्म-सम्मान भी चोटिल होगा। 140 करोड़ देशवासियों के भविष्य को हम दूसरों पर आश्रित नहीं छोड़ सकते, देश के विकास के संकल्प को हम दूसरों की निर्भरता पर नहीं छोड़ सकते, हम भावी पीढ़ी के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकते।
कांग्रेस पर कटाक्ष
कांग्रेस पर देश की आजादी के छह-सात दशकों तक भारत के हर सामर्थ्य को नजरअंदाज करने को लेकर घेरा। इसलिए, बाद भी भारत वो सफलता हासिल नहीं कर पाया, जिसके हम हकदार थे । और उसमें भी हजारों-लाखों करोड़ों के घोटाले कर दिए गए। कांग्रेस सरकारों की इन नीतियों ने देश के नौजवानों का बहुत नुकसान किया।
देश का कितना नकुसान हुआ है, इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण, हमारा शिपिंग सेक्टर है। आप भी जानते हैं कि भारत सदियों से दुनिया की एक बड़ी समुद्री ताकत था, हम दुनिया में शिप बिल्डिंग के सबसे बड़े सेंटर हुआ करते थे। भारत के तटीय राज्यों में बने जहाज़, देश और दुनिया के व्यापार-कारोबार को गति देते थे। यहां तक कि आज से 50 साल पहले तक भी हम भारत में बने जहाजों का उपयोग करते थे। उस दौर में भारत का चालीस प्रतिशत से अधिक कारोबार देश में ही बने जहाजो से होता था। भारत हर वर्ष लगभग छह लाख करोड़ रुपये विदेशी शिपिंग कंपनियों को शिपिंग सर्विसेस के लिए किराया देता है। ये आज भारत का जितना रक्षा बजट है, करीब-करीब उतना पैसा किराये में दिया जा रहा है।
भारत को अगर 2047, जब देश की आजादी के 100 साल होंगे, 2047 तक विकसित होना है, तो भारत को आत्मनिर्भर होना ही होगा। आत्मनिर्भर होने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। 140 करोड़ देशवासियों का एक ही संकल्प होना चाहिए, चिप हो या शिप, हमें भारत में ही बनाने होंगे। वन नेशन, वन डाक्यूमेंट, और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस, अब व्यापार-कारोबार को और सरल करने की तैयारी है।
भारत सदियों से बड़े-बड़े जहाज बनाने में एक्सपर्ट रहा है। नेक्स्ट जेनरेशन रिफार्म्स देश के इस भूले हुए गौरव को फिर वापस लाने में मदद करेंगे। बीते दशक में हमने 40 से अधिक शिप्स एवं पनडुब्बियां, नेवी में इंडक्ट की हैं। इनमें से एक-दो को छोड़ दें, तो ये सब हमने भारत में ही बनाई हैं। हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास कौशल की कोई कमी नहीं है। बड़े शिप बनाने के लिए जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, उसका भरोसा मैं आज देशवासियों को दे रहा हूं। अब बड़े शिप बनाने वाली कंपनियों को बैंकों से लोन मिलने में आसानी होगी, उन्हें ब्याज दर में भी छूट मिलेगी, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के जितने भी और लाभ होते हैं, वो सारे के सारे इन जहाज बनाने वाली कंपनियों को भी मिलेंगे। सरकार के इस निर्णय से, भारतीय शिपिंग कंपनियों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा, उन्हें ग्लोबल कंप्टीशन में आगे आने में मदद मिलेगी।
भारत को दुनिया की एक बड़ी समुद्री शक्ति बनाने के लिए, तीन और बड़ी स्कीम्स पर भारत सरकार काम कर रही है। इन पर आने वाले वर्षों में सत्तर हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। रिसर्च बताती है कि शिप में होने वाले हर एक रुपये के निवेश से इकोननामी में लगभग दोगुना निवेश बढ़ता है। और शिपयार्ड में पैदा होने वाली हर एक जाब, हर एक रोजगार सप्लाई चेन में छह से सात नई नौकरियां बनाती है। शिप बिल्डिंग के जरूरी स्किल सेट्स पर भी फोकस कर रहे हैं। मेरीटाइम यूनिवर्सिटी का रोल बढ़ेगा।
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग (एमओपीएसडब्ल्यू) मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में पिछले 11 वर्षों में अंतरदेशीय जलमार्ग परिवहन में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
आज का भारत, एक अलग मिजाज से आगे बढ़ रहा है। हम जो लक्ष्य तय करते हैं, उसे अब समय से पहले पूरा करके भी दिखाते हैं। पोर्ट लेड डेवलपमेंट को लेकर भी 11 साल पहले जो लक्ष्य हमने तय किए थे, भारत उनमें जबरदस्त सफलताएं हासिल कर रहा है। हम देश में, बड़े-बड़े जहाज़ों के लिए बड़े पोर्ट्स बना रहे हैं, सागरमाला जैसी स्कीम्स से पोर्ट्स की कनेक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं।
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