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    रेरा से पहले यहां अपार्टमेंट स्वामित्व कानून लागू

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 May 2017 10:52 AM (IST)

    पटना । रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट 2016 (रेरा) पहली मई से लागू हो गया है। वैसे बिहार में अप

    रेरा से पहले यहां अपार्टमेंट स्वामित्व कानून लागू

    पटना । रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट 2016 (रेरा) पहली मई से लागू हो गया है। वैसे बिहार में अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम 2006 में ही लागू किया जा चुका है। सपनों की ठगी करने वालों पर नकेल के लिए सरकार कानून बनाती रही और उल्लंघन करने वाले मजे में गोरखधंधा चलाते रहे। अनियोजित निर्माण, ग्राहकों से ठगी और नक्शा विचलन कर 1217 अपार्टमेंट सीना तान कर खड़े हो गए। यह आंकड़ा 2015 तक का है जिनके खिलाफ निगरानी वाद का मामला चल रहा है।

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    बिहार नगरपालिका अधिनियम 2006 के प्रभावी होने के बाद उम्मीद थी कि शहरों का नियोजित विकास होगा। हालांकि इससे काम नहीं चला तो बिल्डरों को समय पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण कर ओनर को सौंपने के लिए बाध्य करने वाला 'अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम 2006 से लागू किया गया। कानून में कमी को दूर करने के लिए 2011 में संशोधन किया गया। 2014 में बिहार बिल्डिंग बाइलॉज और 2015 में मास्टर प्लान को मंजूरी दी गई। बिहार फायर सेफ्टी कानून के साथ ही पटना मेट्रोपॉलिटन एरिया डेवलपमेंट कमेटी 2016 में प्रभावी हुई। तमाम कोशिशों के बीच अब 'रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट' लागू हुआ है। इसमें नई बात यह है कि अब प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डर और डेवलपर्स के पंजीयन के साथ कानून के दायरे में ग्राहकों को समय पर वादे के अनुसार फ्लैट, जमीन और मकान सौंपना होगा। इसके लिए राज्य सरकार एक प्राधिकार गठित करेगी।

    रेरा में प्रावधान है कि 30 अप्रैल तक जिस बिल्डर या डेवलपर ने नगर निगम से प्रोजेक्ट पूर्णता का प्रमाण और अकुपेशन सर्टिफिकेट नहीं लिया है उसे नए कानून के दायरे में लाया जाएगा। बिना प्लान और नक्शा पारित हुए कोई भी बिल्डर या डेवलपर प्री- बुकिंग के नाम पर ग्राहक से पैसा नहीं ले सकेगा। कानून में इस तरह के कार्य को कदाचार की श्रेणी में रखा गया है।

    : नगर निगम में लेखाजोखा नहीं :

    नगर निगम की योजना और विकास शाखा के पास इसका लेखाजोखा नहीं है कि शहर में कितने अपार्टमेंट का निर्माण चल रहा है। यहां निर्माण पूर्णता प्रमाणपत्र और अकुपेशन सर्टिफिकेट के बिना ही बिल्डर फ्लैट बेच देते हैं। हाल यह कि फायर सेफ्टी कानून के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की व्यवस्था को अमल में नहीं लाया जा सका है।

    : अपार्टमेंट में अग्नि सुरक्षा मानक :

    1. दो मंजिल से ऊपर के भवन में अग्निशमन के लिए अलग पानी टंकी का प्रबंध होना चाहिए।

    2. अग्निशमन पानी टंकी का आकार भवन के क्षेत्रफल के अनुसार होना चाहिए।

    3. अग्निशमन कार्य के लिए अलग सीढ़ी का निर्माण जरूरी है।

    4. अपार्टमेंट के हरेक फ्लोर पर वाटर हाईड्रेंट का नोजल लगाना अनिवार्य है।

    5. हरेक तल पर फायर अलार्म कंट्रोल पैनल लगा होना चाहिए।

    6. अपार्टमेंट अथवा भवन के क्षेत्रफल के अनुसार फायर एक्सटिंग्विशर का प्रबंध।

    7. फायर फाइटिंग उपकरण की गारंटी अथवा वारंटी कार्ड हो।

    8. फायर फाइटिंग उपकरण की नियमित जांच और मॉक ड्रिल जरूरी ।

    9. बिल्डर द्वारा मानक वाले बिजली के वायर और स्विच का उपयोग ।

    10. अपार्टमेंट अथवा भवन में आकस्मिक निकास के रास्ते हों ।

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    : वैष्णवी प्लाजा से सबक नहीं :

    आज से ठीक एक दशक पहले 8 जून 2006 को कैनाल रोड में वैष्णवी प्लाजा बालू की दीवार की तरह धराशायी हो गया था। जांच में जमीन, प्लान और निर्माण में खामी के साथ ही नगर निगम के इंजीनियर दोषी बताए गए लेकिन किसी का बाल-बांका नहीं हुआ।

    : सुप्रीम कोर्ट गए तो टूटा संतोषा :

    नगर निगम मुख्यालय की बाउंड्री से सटे संतोषा अपार्टमेंट में तीन अतिरिक्त तल का निर्माण हुआ। लंबे समय तक मुकदमेबाजी के बाद बीते साल ऊपर के तीन तलों को तोड़ा जा सका। 2010 में नगर निगम के आयुक्त रहे के. सैंथिल कुमार पर निगरानी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ कि 130 अपार्टमेंट का गलत नक्शा पारित कर दिया गया। तत्कालीन कार्यपालक अभियंता बर्खास्त कर दिए गए। ऐसी कार्रवाई सिर्फ अनियोजित निर्माण के गोरखधंधे का अपवाद मात्र है।

    : ग्राहकों की पीड़ा :

    कंकड़बाग (दुसाधी पकड़ी) स्थित प्रभा ट्विन टावर के 13 फ्लैट मालिकों को बिल्डर ने जबरन खाली करा दिया। नगर निगम में कोई सुनवाई नहीं हुई तो 2014 में बिल्डर के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की गई।

    जागृति कुमारी, विनय कुमार, सत्य रंजन, उमेश प्रसाद गुप्ता, धीरज कुमार गुप्ता, कुमारी संगीता, अशोक कुमार सिंह, अमृत वर्षा, डॉ. शशि एस. किशोर, रमेश कुमार झा, अभय कुमार सिन्हा एवं नीलम गुप्ता ने सम्मिलित रूप से याचिका दायर की। याचिका में फैसले का इंतजार करना पड़ा।

    : 1217 अपार्टमेंट पर रोक प्रभावी :

    पटना में अवैध निर्माण के धंधे पर रोक के लिए पटना हाईकोर्ट के आदेश पर मई 2013 में नए प्लान की मंजूरी पर रोक लगा दी गई। इस दौरान शहर में सर्वेक्षण के बाद 1217 अपार्टमेंट ऐसे मिले जिनका निर्माण 20 फीट से कम चौड़ी सड़क पर या फिर नक्शे में बदलाव कर किया गया। इन गड़बड़ियों से हाईकोर्ट को अवगत कराया गया। इससे सरकार को अरबों रुपये की राजस्व क्षति हुई। करीब 40 हजार लोगों की पूंजी फंस गई।

    : सपनों की कैसे हुई ठगी :

    हजारों परिवारों का राजधानी क्षेत्र में बसने का सपना टूटा है। जिन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद घर निर्माण के लिए जमीन खरीदी थी, उनका नक्शा स्वीकृति के लिए मई 2013 से ही लंबित हो गया, लेकिन जैसे-तैसे निर्माण होते आ रहा है। जिन्होंने अपार्टमेंट में फ्लैट बुक कराया था, उसके निर्माण पर रोक से करीब 40 हजार परिवारों की पूंजी फंस गई। बैंकों का किस्त भुगतान रुक गया।

    : बिहार में शहरी विकास नियमावली :

    क्या है शहरी विकास नियमावली- 2014 -

    पटना सहित राज्य के किसी भी शहर के मास्टर प्लान के लिए 'टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट या रीजनल प्लानिंग एक्ट' 2012 को संशोधन के साथ बीते 31 जनवरी 2014 को ही लागू कर दिया गया है। एक्ट के आधार पर पटना मेट्रोपोलिटन एरिया में डेवलपमेंट प्लान अधिसूचित किए जाएंगे। नियोजित विकास और उसके नियंत्रण के लिए एक्ट में बिहार अर्बन रीजनल प्लानिंग बोर्ड, रीजनल प्लानिंग अथॉरिटी, मेट्रो प्लानिंग कमेटी, डिस्ट्रिक्ट अर्बन प्लानिंग कमेटी तथा किसी खास एरिया के लिए एरिया प्लानिंग कमेटी के गठन का प्रावधान है। अनियोजित नगरीय विकास पर लगाम लगाई जा सकेगी। ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। ट्रांसपोर्ट नेटवर्क, पर्यावरण एवं प्राकृतिक संपदा का संरक्षण, आवासीय सुविधा, स्लम डेवलपमेंट प्लान, स्वास्थ्य और शैक्षणिक सुविधा, खेल-मनोरंजन केंद्रों का निर्माण एवं विकास, सेटेलाइट टाउनशिप के लिए ग्रोथ सेंटर, धार्मिक स्थानों के संरक्षण-संवर्धन आदि की व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

    : बिहार रीजनल प्लानिंग बोर्ड :

    प्रदेश में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में रीजनल प्लानिंग बोर्ड का गठन हुआ। नगर विकास मंत्री, स्टेट प्लानिंग बोर्ड व आपदा प्रबंधन प्राधिकार के उपाध्यक्ष, कृषि, परिवहन, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संसाधन सहित लोक सेवाओं वाले विभागों के प्रधान सचिव, सरकार से मनोनीत दो सांसद, तीन विधायक, भारत सरकार के नगर विकास मंत्रालय, शहरी गरीबी उन्मूलन एवं आवास मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, रेलवे, परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रतिनिधि सदस्य बनाए गए हैं।

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