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    बिहार विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने दी सौगात, एनएच से जुड़े कई प्रोजेक्ट को मंजूरी

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 01:40 PM (IST)

    सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एप्रेजल कमेटी ने बिहार स्थित एनएच के कई बड़े प्रस्तावों को अपनी स्वीकृति देनी आरंभ कर दी है। पटना से बख्तियारपुर पहले से फोर लेन है और बख्तियारपुर से फोरलेन के बीच बने फोरलेन का उद्घाटन भी हाल ही में हुआ है। मोकामा से मुंगेर के बीच फोर लेन बन जाने से पटना से भागलपुर जाने में भी कम समय लगेगा।

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    एनएच से जुड़े कई प्रोजेक्ट को एप्रेजल कमेटी की मंजूरी मिल गई है। सांकेतिक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, पटना। इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एप्रेजल कमेटी ने बिहार स्थित एनएच के कई बड़े प्रस्तावों को अपनी स्वीकृति देनी आरंभ कर दी है। साहेबगंज-बेतिया फोर लेन के बाद अब मोकामा-मुंगेर फोर लेन को भी एप्रेजल कमेटी से मंजूरी मिल गयी है। पटना-पूर्णिया एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे का मामला भी एप्रेजल कमेटी के पास पहुंच गया है।

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    मोकामा-मुंगेर फोर लेन को भी मंजूरी

    मोकामा-मुंगेर फोर लेन को भी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की मंजूरी मिल गयी है। यह 81 किमी ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल हाइवे के रूप में है। यह नौ मीटर चौड़ी सड़क है। इस प्रोजेक्ट के लिए पटना और लखीसराय जिले में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है।

    इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1167 करोड़ रुपये है। इस सड़क के बन जाने से पटना की सीधी संपर्कता फोर लेन के माध्यम से मुंगेर से हो जाएगी। पटना से बख्तियारपुर पहले से फोर लेन है और बख्तियारपुर से फोरलेन के बीच बने फोरलेन का उद्घाटन भी हाल ही में हुआ है। मोकामा से मुंगेर के बीच फोर लेन बन जाने से पटना से भागलपुर जाने में भी कम समय लगेगा।

    पटना से पूर्णिया एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे भी पाइप लाइन में 

    पटना-पूर्णिया एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे को अभी एप्रेजल कमेटी की मंजूरी नहीं मिली है। यह अभी पाइप लाइन में है पर यह तय है कि चुनाव की घोषणा के पहले इस प्रोजेक्ट को भी एप्रेजल कमेटी की मंजूरी मिल जाएगी।

    चार दिन पहले साहेबगंज-बेतिया (एनएच 139 डब्ल्यू) को एप्रेजल कमेटी ने अपनी मंजूरी प्रदान की थी। यह प्रोजेक्ट चार हजार करोड़ रुपये का है। इसका निर्माण हाईब्रिड एन्यूटि मोड में कराया जाना है। एप्रेजल कमेटी की सहमति के बाद केंद्रीय कैबिनेट से इन परियोजनाओं को मंजूरी मिलेगी। इसके बाद निविदा की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।