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    Bihar News: डेंगू मच्छरों से इस वर्ष रहें अधिक सावधान, टूट सकता रिकार्ड; कोई सटीक उपचार भी नहीं

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 03:34 PM (IST)

    गत कई वर्षों में मच्छर पालन केंद्र बने खाली प्लाटों में भी पानी जमा होने लगा है। मच्छरों के प्रजनन को अनुकूल मौसम आ गया लेकिन अबतक पूर्व के वर्षों में हाटस्पाट रहे मोहल्लों में भी लार्वासाइडल का छिड़काव नहीं शुरू हुआ है। जून से अबतक 15 से अधिक डेंगू मिल चुके हैं।

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    डेंगू मच्छरों से इस वर्ष रहें अधिक सावधान, टूट सकता रिकार्ड

    जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना में न तो सड़कों के गड्ढे भर रहे, न ही निर्माण कार्यों के लिए जहां-तहां रखी बालू-गिट्टी हट रही। इस कारण थोड़ी सी वर्षा होते ही जगह-जगह जलजमाव हो जाता है, जिसे सूखने में कई दिन लग जाते हैं। वहीं गत कई वर्षों में मच्छर पालन केंद्र बने खाली प्लाटों में भी पानी जमा होने लगा है।

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    वर्षा व उमस भरी गर्मी के साथ मच्छरों के प्रजनन को अनुकूल मौसम आ गया लेकिन अबतक पूर्व के वर्षों में हाटस्पाट रहे मोहल्लों में भी लार्वासाइडल का छिड़काव नहीं शुरू हुआ है। नतीजा, जून से अबतक 15 से अधिक डेंगू मिल चुके हैं यानी इस बार डेंगू संक्रमण के लिए दिल्ली-मुंबई से मरीज आने की भी जरूरत नहीं है।

    इन संक्रमित मच्छरों के जो बच्चे होेंगे, वे जन्मजात डेंगी वायरस फैलाने में सक्षम होंगे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद मान रहे हैं कि इस बार यदि सटीक रणनीति नहीं बनी तो डेंगू के रिकार्ड मरीज आ सकते हैं। जिलाधिकारी खुद अभी से इसकी रोकथाम के लिए सिविल सर्जन को निर्देश दे चुके हैं। सिविल सर्जन डा. अविनाश कुमार सिंह कहा कि डेंगू की रोकथाम की प्रभावी रणनीति बनाई गई है।

    हैमरेजिक व शाक सिंड्रोम डेंगू जानलेवा 

    प्रदेश में राजधानी पटना में ही डेंगू के सर्वाधिक रोगी मिलते रहे हैं। जुलाई से इसकी शुरुआत होती है और सितंबर-अक्टूबर तक चरम पर पहुंच जाती है। इसका कोई सटीक उपचार नहीं, लक्षणों के आधार पर दवा देते हुए प्लेटलेट्स पर नजर रखते हुए जरूरत होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाना ही इलाज है।

    आंखों, सिर व बदन में तेज दर्द के साथ बुखार ही इसकी क्लीनिकल पहचान है। एलाइजा जांच की सुविधा मात्र एम्स, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, आरएमआरआइ, न्यू गार्डिनर में ही उपलब्ध है।

    संक्रमित मच्छर काटने के बाद बुखार तो एक-दो दिन में आ जाता है, लेकिन रिपोर्ट पाजिटिव आने में तीन से पांच दिन लग जाते हैं। ऐसे में दर्द निवारक दवा आदि खाने पर तेजी से प्लेटलेट्स गिरने से सामान्य डेंगू हैमरेजिक या शाक सिंड्रोम में बदल कर जानलेवा हो सकता है।

    जल्द पहचान, जांच, जागरूकता की बनी रणनीति

    सिविल सर्जन ने बताया कि हम डेंगू से निपटने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। जल्द पहचान के लिए इस बार बुखार पीड़ित हर व्यक्ति की कांबो डेंगू किट से जांच कराई जाएगी। इसके लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किट उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य मेला का आयोजन कर बुखार पीड़ितों की जांच समेत सभी प्रकार के रोगों का उपचार व दवाएं दी जाएंगी।

    नगर निगम फागिंग कराएगा ही इसके अलावा जरूरत होने पर ई-रिक्शा के माध्यम से सिविल सर्जन कार्यालय भी संक्रमित के घर के चारो ओर सौ घरों में फागिंग कराएगा। जल्द पहचान से हर रोगी की प्लेटलेट्स पर नजर रखी जा सकेगी और प्लेटलेट्स के लिए नया रक्तदान कराने की व्यवस्था की गई है।

    साथ ही स्कूलों व मोहल्लों में जनप्रतिनिधियों की मदद से घर के आसपास जलजमाव नहीं होने देने, होने पर उसमें कीटनाशक के छिड़काव, छत व घर में कहीं थोड़ा सा भी पानी चंद घंटे भी जमा नहीं होने देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। प्रयास है कि इस वर्ष डेंगू का प्रकोप विकराल नहीं होने पाए।

    वर्ष -- -- - डेंगू के मरीज -- -- -- चिकनगुनिया मरीज

    • - 2025 -- -- - 49 -- -- -- 05
    • -2024 -- -- -- - 5041 -- -- 448
    • - 2023 -- -- - 5567 -- -- -- 06
    • - 2022 -- -- -- 6784 -- -- -- 46
    • - 2021 -- -- -- - 353 -- -- - 10
    • -2020 -- -- -- 243 -- -- -- 16
    • - 2019 -- -- -- -- 4905 -- -- - 482