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    क्या बरगद होगा जदयू का चुनाव चिन्ह..? चुनाव आयोग जल्द करेगा फैसला

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Fri, 29 Jan 2016 02:19 PM (IST)

    जदयू का चुनाव चिन्ह बरगद का पेड़ हो सकता है और जल्द ही इस पर चुनाव आयोग अपनी मुहर लगा सकता है । जदयू अपने चुनाव चिन्ह के लिए बहुत दिनों से प्रयासरत है। पहले पार्टी ने चुनाव चिन्ह चक्र तय किया था, अब बरगद तय किया है।

    पटना। जदयू का चुनाव चिन्ह बरगद का पेड़ हो सकता है और जल्द ही इस पर चुनाव आयोग अपनी मुहर लगा सकता है । जदयू अपने चुनाव चिन्ह के लिए बहुत दिनों से प्रयासरत है। पहले पार्टी ने अपना चुनाव चिन्ह चक्र तय किया था लेकिन अब उसे बरगद का पेड़ जंच गया है।

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    जदयू का कहना है कि तीर चुनाव चिह्न की वजह से चुनावों में पार्टी को बार-बार नुकसान उठाना पड़ा है। इसी से निजात पाने को जदयू ने नया चुनाव चिह्न अपनाने की कवायद तेज कर दी है। उम्मीद है कि चुनाव आयोग से जलद ही पार्टी को नये सिंबल के रूप में 'बरगद' मिल जाएगा।

    पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने दिया था प्रजेंटेशन

    जदयू के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर इस बारे में एक प्रजेंटेशन दिया था जिसमें चक्र के साथ-साथ झोपड़ी, बरगद और हल जोतता किसान, इन चुनव चिन्हों के लिए दावा किया गया था।

    पाटी का तर्क था कि शिवसेना व झारखंड मुक्ति मोर्चा के चुनाव चिह्न जदयू से मिलते-जुलते हैं जिसके कारण चुनाव में मतदाता भ्रमित हो जाते हैं और इससे नतीजों पर असर पड़ता था। प्रतिनिधिमंडल में जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी और राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह शामिल थे।

    चक्र का मिलना संभव नहीं

    जदयू ने पहले तो जनता दल का चुनाव चिह्न “चक्र’ पाने की कोशिश की थी, लेकिन कर्नाटक की जनता दल (सेक्युलर) ने इस बारे मे अभी तक अपनी अनापत्ति नहीं जताई है लिहाजा जदयू ने अब चक्र पाने की उम्मीद छोड़ दी है।

    आने वाले चुनाव में नए चिह्न के साथ जाना चाहता है जदयू

    बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और केरल में विधानसभा का चुनाव होने हैं और जदयू इससे पहले ही अपनी पार्टी के लिए नया चुनाव चिह्न हासिल कर लेना चाहता है।

    बरगद ही क्यों....

    जदयू बरगद के लिए सबसे अधिक जोर लगाए हुए है। पहले बरगद का पेड़ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिह्न था, वहीं झोपड़ी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिह्न था, लेकिन झोपड़ी से ही मिलता-जुलता बंगला चुनाव चिह्न लोजपा का भी है। इन सबसे जदयू को फिर से परेशानी हो सकती है।

    वहीं हल चलाता किसान लोक दल का चिह्न था। जदयू को इन सबमें बरगद का पेड़ सबसे ज्यादा जंच रहा है और इसे लेकर कोई दिक्कत भी नहीं आ सकती इसीलिए जदयू बरगद का पेड़ पाकर खुश होना चाहता है।

    प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा एक-दो दिनों में

    जदयू मिशन 2019 को सामने रख कर प्रदेश की अपनी कार्यसमिति को नए तेवर, नए कलेवर में पेश करने में जुटा है। पार्टी की नई टीम के सदस्यों के नाम का भी शुक्रवार या शनिवार को एलान कर दिया जाएगा।

    दिखेगा प्रशांत किशोर का असर

    कहा जा रहा है कि इस पर प्रशांत किशोर का पूरा-पूरा असर दिखेगा। प्रशांत ने विधानसभा चुनाव में अपने अनुभव के आधार पर एक लिस्ट तैयार की थी। इसमें उन नेताओं के नाम हैं जिन्होंने हर घर दस्तक, चौपाल में पर्चे पर चर्चा, शब्द वापसी आंदोलन, डीएनए आंदोलन और विधानसभा के चुनाव में टीम प्रशांत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था।

    नई कार्यसमिति ऐसी टीम होगी, जिसे प्रचार-अभियान से लेकर कैडर टू वोटर कनेक्टिविटी, निर्वाचन क्षेत्रवार आंकड़ों के संग्रह, डाटा विश्लेषण और संचार में महारत रहे। कार्यसमिति के विशेष आमंत्रित सदस्यों में भी पूर्व विधायक या उस स्तर के ही नेताओं को शामिल किया जाएगा।

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