मनेर में महानवमी पर बेल की बलि, पारंपरिक तरीके से पूजा संपन्न, क्षेत्र में उत्साह का माहौल
मनेर में महानवमी के अवसर पर देवी माता के सभी पूजा पंडालों में बेल की बलि दी गई। महावीर दल अखाड़ा के संरक्षकों ने पारंपरिक हथियारों और देवी मां की जयकारों के साथ बेल की बलि दी। पुरोहित लाल बाबा के अनुसार यह एक प्रतीकात्मक बलि है जो मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए की जाती है।

संवाद सूत्र, मनेर(पटना)। मनेर के देवी माता के सभी पूजा पंडालों के बेल की बलि महानवमी के मौके पर दी गई। महावीर दल अखाड़ा के संरक्षक उदय शंकर साह, गुरु प्रदीप आजाद, गुरु हरिनारायण विश्वकर्मा ने देवी मां की जयकारे के साथ बेल की बलि दी, डंके के साथ पारंपरिक हथियारों व देवी मां की जयकारे के साथ के साथ नगर के बड़ी देवी सरस्वती सदन पुस्तकालय, मां, मंझली माता काजी मुहल्ला, संझली माता मनेर बड़ी चौराहे, समेत सभी पूजा पंडालों में जाकर बारी-बारी से बेल की बलि दी गई।
पुरोहित लाल बाबा के अनुसार यह एक प्रतीकात्मक बलि है। कई स्थानों पर बलि के रूप में कोहरे, गन्ना, सेब और नारियल आदि की भी बलि दी जाती है। यह परंपरा विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और क्षेत्रों के अनुसार भिन्न होती है, जिसमें कुछ लोग अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए इस अनुष्ठान को करते हैं। बेल बलि की परंपरा यहां महानवमी के अवसर पर सैकड़ों वर्षों से चल रही है। वही मंझली माता काजी मोहल्ला में लोगों को पगड़ी धोती देकर सम्मानित भी किया गया।
नवरात्रि की साधना का पूर्ण फल देने वाली है। पूजा में 09 कन्याओं को बुला कर कन्या पूजन किया गया। हिंदू मान्यता के अनुसार ये 09 कन्याएं देवी दुर्गा के 09 स्वरूप और 09 कामनाओं का प्रतीक होती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार बगैर कन्या पूजन के नवरात्रि की पूजा सफल नहीं होती है। कई जगह पर कुंवारी कन्या पूजन का भी आयोजन किया गया एवं उन्हें उपहार स्वरूप प्रसाद के अलावा कॉपी और कलमें भेंट की गई।
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