अगस्त क्रांति: पटना के 4000 क्रांतिकारी जेल में हुए थे बंद, 16 थानों पर हुआ था हमला
अगस्त क्रांति भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी। गांधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए करो या मरो का नारा दिया गया। बिहार के कई क्रांतिकारियों को जेल हुई नजरबंद किया गया और कुछ को फांसी भी दी गई। पटना जिले में 4000 से अधिक क्रांतिकारी कैद हुए और 41 शहीद हुए।

जागरण संवाददाता, पटना। देश के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अगस्त क्रांति का प्रमुख योगदान रहा है। अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जो अंतिम लड़ाई लड़ी गई वो अगस्त क्रांति थी।
इस लड़ाई में गांधी जी ने करो या मरो का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं को आह्वान किया था। नौ अगस्त 1942 को आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस दौरान प्रदेश के अलग-अलग जिलों से क्रांतिकारियों को जेलों में बंद कर दिया गया था।
कई क्रांतिकारी नजरबंद हुए तो कई को फांसी पर लटका दिया गया। प्रदेश में जेल जाने वाले की संख्या 23 हजार 861 थी। पटना जिले में अगस्त क्रांति के दौरान चार हजार क्रांतियों को जेल में बंद किया गया था।
इस दौरान 41 क्रांतिकारी बलिदान हुए थे। राजधानी के 16 थाने पर क्रांतिकारियों ने हमला कर क्षति पहुंचाई थी। क्रांतिकारी प्रो. बलदेव नारायण ने अगस्त क्रांति पुस्तक में क्रांतिकारियों से जुड़ी जानकारी को साझा किया है। क्रांति के आंकड़े पर प्रकाश डालती प्रभात रंजन की रिपोर्ट।
एक नजर में क्रांति के आंकड़े
- जेल जाने वाले की संख्या : 23861
- सजायफ्ता : 4353
- नजरबंद : 214
- फांसी की सजा : 26
- बलिदानी संख्या : 562
- सामूहिक जुर्माना : 42 लाख
जेल जाने वाले की संख्या
- चंपारण : 1348
- छपरा : 643
- मुजफ्फरपुर : 1678
- दरभंगा : 4000
- भागलपुर : 1142
- मुंगेर : 3000
- पूर्णिया : 1600
- शाहबाद : 2500
- पटना : 4000
- गया : 835
बलिदानियों की संख्या
- चंपारण : 15
- छपरा : 19
- मुजफ्फरपुर : 43
- दरभंगा : 40
- भागलपुर : 250
- मुंगेर : 28
- पूर्णिया : 52
- शाहबाद : 50
- पटना : 41
- गया : 5
थाने पर हमले
- चंपारण : 10
- छपरा : 27
- मुजफ्फरपुर : 23
- दरभंगा : 21
- भागलपुर : 20
- मुंगेर : 10
- पूर्णिया : 24
- शाहबाद : 28
- पटना : 16
- गया : 14
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