August Kranti Day Special: गांधीजी के आहवान पर एकजुट हुआ देश, आज ही के दिन गिरफ्तार किए गए थे राजेंद्र बाबू
August Kranti Day Special नौ अगस्त 1942 के दिन महत्मा गांधी ने ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान किया था। इसी दिन पटना में डॉ. राजेंद्र प्रसाद गिरफ्तार किए गए।
प्रभात रंजन, पटना। देश को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' के जरिए आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया था। यह आंदोलन नौ अगस्त 1942 को शुरू हुआ। इसलिए इसे अगस्त क्रांति भी कहा गया। गांधीजी के आह्वान पर पूरा देश एकजुट हो गया था। क्रांति की लहर पूरे देश में फैल गई थी। कॉलेज व स्कूल के छात्र भी स्वतंत्रता के सेनानी बन गए थे। बिहार में इस आंदोलन की हवा खूब तेज थी। कांग्रेस के बड़े नेता और आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति बनने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना ठिकाना बिहार विद्यापीठ स्थित सदाकत आश्रम में बनाया था। डॉ. प्रसाद पूरे आंदोलन पर नजर रख रहे थे और कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन कर रहे थे। वहीं से उन्हें नौ अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के वक्त सदाकत आश्रम में थे राजेंद्र प्रसाद
इतिहास अध्येता अरूण सिंह बताते हैं कि राजेंद्र बाबू को नौ अगस्त 1942 को दोपहर 11-12 बजे दिन में सदाकत आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें बांकीपुर जेल ले जाया गया था। उस दिन पटना में बहुत बारिश हो रही थी। उन दिनों राजेंद्र बाबू की तबीयत कुछ खराब थी, जिसके कारण गिरफ्तारी के वक्त वह सदाकत आश्रम में चारपाई पर पड़े थे।
गिरफ्तार कर राजेेंद्र बाबू ले जाए गए बांकीपुर जेल
उसी दिन सुबह में पटना के जिलाधिकारी मिस्टर आर्चर राजेंद्र बाबू को गिरफ्तार करने सदाकत आश्रम पहुंचे। आर्चर ने उन्हें गिरफ्तार करने से पहले उनकी तबीयत के बारे में पूछा। उनकी तबीयत खराब देखने के बाद आर्चर ने वरीय अधिकारी से मार्गदर्शन मांगा कि ऐसी अवस्था में क्या किया जाए। वरीय अधिकारी के निर्देश पर उन्हें सिविल सर्जन से दिखाया गया। सिविल सर्जन ने राजेंद्र बाबू की तबीयत देखकर बताया कि वे सफर करने की स्थिति में नहीं है। इसके बाद राजेंद्र बाबू को शहर की ही बांकीपुर जेल में ले जाया गया।
और भड़का आंदोलन, छात्रों व युवाओं ने जमकर की नारेबाजी
उनके जेल पहुंचने के पहले ही गिरफ्तारी की खबर सारे शहर में फैल गई थी। उसी दिन फूलन प्रसाद वर्मा को भी गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। डॉ. राजेंद्र बाबू की गिरफ्तारी के बाद पटना कॉलेज, साइंस कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र पटना विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के अहाते में जमा हो गए और अंग्रेजों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस गिरफ्तारी ने आंदोलन में घी डालने का काम किया। छात्र और युवा भड़क उठे और पढ़ाई छोड़कर आंदोलन का हिस्सा बने।