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    डायबीटीज के मरीज ध्‍यान दें, इंसुलि‍न रखने के लिए फ्रिज नहीं है तो क्‍या हुआ, ऐसे भी रख सकते घर में

    By Vyas ChandraEdited By:
    Updated: Thu, 21 Jul 2022 12:18 PM (IST)

    डायबीटीज पेशेंट के लिए इंसुलिन जीवन रक्षक दवा है। हर दिन इंसुलिन की डोज लेने वाले इसे अपने घर में फ्र‍िज में रखते हैं लेकिन जो लोग फ्रिज नहीं रख पाते ...और पढ़ें

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    नर्सों को प्रशिक्षण देते विभागाध्‍यक्ष डा. अजय कुमार सिन्‍हा। जागरण

    पटना सिटी, जागरण संवाददाता। नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल (Nalanda Medical College and Hospital) के औषधि विभाग में मरीजों को कुशल चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। विभागाध्यक्ष डा. अजय कुमार सिन्हा ने इस दौरान चिकित्‍सा सेवा में नर्सों की महत्‍ता पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि नर्सों के बिना चिकित्सा सेवा की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसलिए इनका अपडेट रहना जरूरी है। समय-समय पर इन्हें प्र‍शिक्षण देकर नई तकनीक से अवगत कराना आवश्यक है। विभाग के डाक्टर से लेकर सफाई कर्मी तक की सेवा को और बेहतर बनाने के लिए मरीज के स्वजनों से फीडबैक मांगा जाता है।

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    • एनएमसीएच के औषधि विभाग में कुशल चिकित्सा सेवा के लिए नर्सों को प्रशिक्षण
    • इंसुलिन के सही इस्‍तेमाल की दी गई जानकारी 

    40 डिग्री से कम तापमान में रखें इंसुलिन

    इस दौरान विभागाध्यक्ष ने नर्सों को इंसुलिन के रख-रखाव एवं सही इस्तेमाल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंसुलिन को 40 डिग्री से कम तापमान में रखें। घर में फ्रिज नहीं है तो चिंता नहीं करें। इंसुलिन को मिट्टी के बर्तन में पानी डाल कर उसमें रखे। उसमें रखे जाने पर यह 40 दिनों तक असरदार रहेगा। डा. बी पी आजाद, डा. बिभु प्रसाद, डा. नरेंद्र कुमार, मेट्रन अनुराधा आदि ने भी उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को बेहतर सेवा उपलब्ध कराने के संबंध में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि नर्सों का कार्य चुनौती से भरा है।

    आरएमआरआइ में आज झारखंड और कल यूपी व बंगाल के डाक्टरों की ट्रेनिंग

    बालू मक्खी के काटने से होने वाले कालाजार के मरीज में एचआइवी और चमड़ा का संक्रमण अधिक होता है। देश से सभी तरह के कालाजार का अंत चालू वर्ष में कर लिया जाएगा। इसके लिए अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में बुधवार को बिहार के पांच जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों से आए डाक्टरों एवं लैब टेक्नीशियनों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। निदेशक डा. कृष्णा पांडेय ने आधुनिक चिकित्सा तकनीक पर विस्तार से प्रकाश डाला। वार्ड से लेकर प्रयोगशाला तक में कालाजार के इलाज संबंधित विधि को प्रदर्शित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में नेशनल सेंटर फार वेक्टर बार्न डिजीज के अपर निदेशक डा. नुपुर राय, डब्लूएचओ के नेशनल प्रोफेशनल आफिसर डा. ध्रुव पांडेय, राज्य समन्वयक डा. राजेश पांडे, वैज्ञानिक डा. वी एन आर दास, डा. मधुकर, डा. सी एस लाल आदि ने डाक्टरों एवं टेक्नीशियनों को प्रशिक्षित किया।

    आरएमआरआइ के निदेशक ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण के पहले दिन बिहार के सहरसा, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज एवं सीवान जिलों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया गया। गुरुवार को झारखंड एवं शुक्रवार को उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के डाक्टरों एवं टेक्नीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।