बिहार में बढ़ते जा रहा डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार, 25 साल में 25 सौ से ज्यादा लोगों की हत्या
पटना से पूर्णिया में डायन बताकर एक परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाने की दुखद घटना सामने आई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2000 से अब तक डायन बताकर लगभग 2500 से अधिक महिलाओं की हत्या हुई है। बिहार में इस वर्ष डायन प्रताड़ना के कई मामले सामने आए हैं जिससे कानून की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, पटना। पूर्णिया में इस वर्ष आठ जुलाई को डायन बताकर एक परिवार के पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई, जिसमें तीन महिलाएं थीं। आंकड़े बता रहे हैं कि महिलाओं के खिलाफ साल-दर-साल ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं।
बिहार डायन प्रथा (निवारण) कानून के 25 साल पूरे होने पर मंगलवार को चाणक्य होटल में निरंतर ट्रस्ट, दिल्ली; जेंडर रिसोर्स सेंटर, चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी और बिहार महिला फेडरेशन द्वारा साझा रूप से राज्यस्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया।
चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. फैजान मुस्तफा ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2000 से लेकर अब तक भारत में डायन बताकर करीब 2500 से अधिक महिलाओं की हत्या की गई है।
वर्ष 2024 में यह संख्या 621 और 2023 में 629 थी। 2020 में यह संख्या 797 थी। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार जनवरी एवं मई 2025 महज पांच महीनों में बिहार में डायन प्रताड़ना के 197 मामले सामने आए। इसमें पुलिस ने 165 मामलों की पुष्टि की।
वहीं इस क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक संगठनों का मानना है कि वास्तविक आंकड़े इससे कई गुना अधिक हैं। ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि क्या डायन प्रथा अधिनियम हिंसा से महिलाओं को सुरक्षा देने में प्रभावी भूमिका निभा पा रहा है? वे कौन सी चुनौतियां हैं जिनका सामना करना पड़ता है।
निरंतर संस्था की डायरेक्टर अर्चना द्विवेदी ने कहा कि ऐसी महिलाओं की संख्या भी बहुत बड़ी है, जो डायन बताए जाने की वजह से रोज अपमान, हिंसा और प्रताड़ना झेलने पर मजबूर हैं।
बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष प्रो. अप्सरा ने कहा कि जागरूकता के इस कार्यक्रम को बिहार के हर जिले में लेकर जाने की जरूरत है। महिलाएं इज्जत और सम्मान की हकदार हैं और इसके लिए महिला आयोग पूरी तरह से मदद करने को तैयार है।
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