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    Bihar By-Elections 2024: RJD से अपने विधायकों को तोड़ने का बदला लेंगे ओवैसी! प्रशांत किशोर बढ़ाएंगे NDA की टेंशन

    बिहार में होने वाले चार विधानसभा उपचुनावों में एआईएमआईएम ने भी अपनी ताकत दिखाने का फैसला किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने सभी चार सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इससे महागठबंधन और राजग दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगने के बाद यह तल्खी और बढ़ सकती है।

    By Raman Shukla Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 20 Oct 2024 09:45 PM (IST)
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    महागठबंधन की राह में रोड़ा बनेगा एआइएमआइएम तो राजग के लिए जसुपा।

    रमण शुक्ला, पटना। बिहार में चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने भी ताल ठोंकने की तैयारी कर ली है।

    एआइएमआइएम के बिहार में इकलौते विधायक व प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के सभी चार सीटों पर प्रत्याशी देने की घोषणा कर चुनाव को चतुष्कोणीय बनाने की अपनी मंशा उजागर कर दी है।

    इससे यह भी साफ है कि महागठबंधन की राह में जहां एआइएमआइएम रोड़ा बनेगा, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की परेशानी जन सुराज पार्टी (जसुपा) बढ़ाएगी।

    विधायकों को तोड़ने का बदला लेने को आतुर ओवैसी

    चारों सीटों के समीकरण से स्पष्ट है कि लड़ाई किसी गठबंधन या दल के लिए सीधी नहीं होने जा रही। विशेषकर राजद के लिए। उसके चार विधायकों को राजद अपने पाले में कर चुका है। उसका बदला लेने के लिए एआइएमआइएम आतुर है।

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    एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पार्टी प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाने के साथ यह तल्खी और बढ़ जाएगी।

    बता दें कि एआइएमआइएम के पांच में चार विधायकों को राजद ने 29 जून, 2022 को तोड़ लिया था। इससे ओवैसी को करारा झटका लगा था। तब से राजद के विरुद्ध ओवैसी की राजनीतिक अदावत चरम पर है।

    सिंबल के बाद बनने लगता है समीकरण

    बिहार के मुसलमान मतदाताओं को अपने प्रति आकर्षित करने का प्रयास ओवैसी अरसे से कर रहे। विधानसभा के पिछले चुनाव में उन्हें कुछ सफलता भी मिली है। उसके बाद गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र मेंं उप चुनाव का परिणाम एआइएमआइएम की पैठ का शानदार उदाहरण है।

    2020 के विधानसभा चुनाव में जन संघर्ष दल के अब्दुल सलाम को 2,450 वहां वोट मिले थे, जो लगभग दो वर्ष बाद हुए उप चुनाव में एआइएमआइएम के प्रत्याशी बन गए। तब उनको 12,214 वोट मिले। उसे ओवैसी का असर बताया गया। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने वाला एआइएमआइएम किसी दूसरी सीट पर दूसरे पायदान पर नहीं रहा था।

    इसके बावजूद ओवैसी अपने गृह राज्य से बाहर अब तक बिहार में ही सबसे बड़ा राजनीतिक धरातल बनाने में सफल रहे हैं। इस बार उप चुनाव मेंं एआइएमआइएम का इरादा कड़ी टक्कर देने का है, विशेषकर बेलागंज और इमामगंज में।

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