22 जून से आर्द्रा नक्षत्र आरंभ, तेज हवा के साथ सामान्य वर्षा के आसार; भगवान विष्णु को भोग लगाने से लाभ
आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी तथा इस नक्षत्र का स्वामी राहु होते हैं। सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र में उपस्थिति होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। 22 जून से आर्द्रा नक्षत्र का आरंभ होगा जो छह जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ कृष्ण द्वादशी में 22 जून रविवार की दोपहर 0154 बजे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।

जासं, पटना। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करना उत्तम माना गया है। सूर्य को आरोग्य के कारक, ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक, जीवन में उम्मीद के संवाहक, संसार की आत्मा के संज्ञा दी गई है। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र में उपस्थिति होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी तथा इस नक्षत्र का स्वामी राहु होते हैं।
27 नक्षत्रों में यह छठा नक्षत्र है, जो मृगशिरा के बाद एवं पुनर्वसु नक्षत्र के पहले आता है। इस नक्षत्र का अधिपति राहु है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 22 जून से आर्द्रा नक्षत्र का आरंभ होगा, जो छह जुलाई तक रहेगा। पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आषाढ़ कृष्ण द्वादशी में 22 जून रविवार की दोपहर 01:54 बजे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
6 जुलाई की शाम 03:32 बजे तक नक्षत्र रहेगा
आर्द्रा नक्षत्र के शुरू होने के साथ ही सनातन धर्मावलंबी के घरों में विशेष रूप से खीर, दाल वाली पूड़ी बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर ग्रहण करेंगे। आषाढ़ शुक्ल एकादशी 6 जुलाई रविवार की शाम 03:32 बजे तक यह नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र जितने दिन रहता है, इसमें वर्षा की अधिक संभावना रहती है। इससे खेती पर अच्छा असर पड़ता है। इस नक्षत्र से मानसून की वर्षा में तेजी आने लगती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नक्षत्र में वर्षा के दौरान स्नान करने से चर्म रोग जैसी बीमारियों से राहत मिलती है।
27 नक्षत्रों में जीवनदायी है आर्द्रा
सभी 27 नक्षत्रों में आर्द्रा को जीवनदायी नक्षत्र कहा गया है। इससे धरती को नमी प्राप्त होती है। यह नक्षत्र आकाश मंडल में मणि के समान दिखाई देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नक्षत्र पुरुष भगवान नारायण के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। कृषि कार्य की शुरुआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय है।
उत्तम वर्षा के बन रहे आसार
आषाढ़ शुक्ल एकादशी छह जुलाई रविवार को जल लग्न की राशि में पुनर्वसु नक्षत्र का प्रवेश होने से उत्तम वर्षा का आसार बना रहेगा। आर्द्रा नक्षत्र से लेकर आगामी 10 नक्षत्र यानी हस्त नक्षत्र तक वर्षा के लिए अनुकूल समयावधि माना गया है। वर्षा का यह क्रम स्वाति नक्षत्र तक चलता है।
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