बिहार में फिर आया एक 'एलियन बच्चा', दो महीने में चौथे का जन्म
बिहार में फिर एक एलियन जैसे बच्चे का जन्म हुआ है। दो महीने में यह ऐसा चौथा मामला है। डॉक्टरों ने इसे त्वचा की बीमारी बताया है।
पटना [जेएनएन]। बिहार में बीते दो महीने के भीतर एलियन जैसे बच्चों का लगातार चर्चा में है। ताजा घटना कटिहार के धनगामा पंचायत की है। वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला ने एलियन जैसे बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का पूरे शरीर पर प्लास्टिक की परत जैसी दिख रही है। उसके मुंह-आंख के चारों ओर गहरे लाल रंग का घेरा बना हुआ है। हाथ पैर भी इसी प्रकार के हैं। बच्चे को देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।
जानकारी के अनुसार रविवार दोपहर प्रखंड के धनगामा पंचायत के चौकी गांव वासी नूर सलीम की पत्नी कोहिनूर खातून को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल लाया गया, जहां उसने इस बच्चे को जन्म दिया। महिला की यह पांचवी संतान है। बच्चे को देखकर मां भी डर गई है। उसे बाहरी दूध दिया जा रहा है।
जन्म के बाद से बच्चे का यह रुप चर्चा का विषय बना हुआ है। अस्पताल से घर जाने के बाद उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है। चिकित्सकीय भाषा में ऐसे बच्चे को 'कोलोडियन बेबी' कहा जाता है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है। लेकिन, गरीब मां-बाप इस बीमारी का इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं।
पहले भी हो चुका ऐसे बच्चों का जन्म
इसके पहले 21 फरवरी को भागलपुर के ततारपुर स्थित एक निजी नर्सिंग होम में एक 'एलियन बेबी’ काे जन्म हुआ था। इसके पहले 30 दिनों के भीतर पूर्वी चंपारण के चकिया और पटना के पालीगंज में भी ऐसे बच्चों का जन्म हुआ था। सभी मामलों में अजीब शक्ल व चमड़ी वाले इन बच्चों को देखकर उनकी माताएं तक डर गईं। डॉक्टरों ने इसे दुर्लभ बीमारी बताया।
पूर्वी चंपारण के बांसघाट पंचायत के नोनिया टोला की निवासी एक महिला ने जब अस्पताल में एक अजीब बच्चे को जन्म दिया, तब अस्पताल कर्मी हतप्रभ थे तो मां भी डर गई। बच्चे का सिर नहीं था। चेहरा व आंखें काफी बड़ी थीं। उसके जन्म के बाद यह चर्चा फैल गई कि अस्पताल में दूसरे ग्रह के जीव का जन्म हुआ है।
इसके पहले पटना के पालीगंज अस्पताल में भी एक महिला ने एलियन जैसे बच्चे को जन्म दिया था। महिला पालीगंज के आजिम नगर कॉलनी की रहने वाली है। उस बच्चे का रंग हरा था तो शरीर पर कछुए की तरह धरीदार आकृति बनी हुई थी। इस बच्चे के अजीबोगरीब शक्ल व शरीर को भी देखकर मां डर गई थी। मुंह काफी बड़ा था, लेकिन कानों व आंखों का विकास नहीं हुआ था।
बीमारी और उसके कारण
चकिया अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राजीव रंजन एवं डॉ. आरएन मल्लिक ने बताया कि बच्चों में ऐसा परिवर्तन मां-बाप के जीन में हुए म्यूटेशन के कारण हुआ हो सकता है। ऐसे बच्चे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं। भागलपुर की डॉ. इमराना बताती हैं कि मेडिकल साइंस में इस बीमारी को 'हर्लेक्विन इचथाइयोसिस' कहते हैं। यह त्वचा की बीमारी है, जो किसी बच्चे को मां-बाप की जीन से मिलती है।