पटना PMC सहित सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल, इलाज न मिलने पर वापस घर लौटे मरीज; किस मांग पर अड़े इंटर्न डॉक्टर?
पीएमसीएच समेत बिहार के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न डॉक्टर मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए जिससे लगभग 1800 मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ा। जूनियर डॉक्टरों ने सरकार को सात दिन का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी नहीं होने पर इमरजेंसी समेत सभी सेवाएं ठप कर दी जाएंगी।
जागरण संवाददाता, पटना। पीएमसीएच समेत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न डॉक्टर मंगलवार को तीन वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद मानदेय में वृद्धि नहीं होने के विरोध में हड़ताल पर चले गए। उनके कार्य बहिष्कार और पंजीयन काउंटर एवं ओपीडी गेट पर ताला जड़ने से करीब 1800 मरीजों को बिना उपचार वापस जाना पड़ा।
जूनियर डॉक्टर (इंटर्न) की हड़ताल से सुदूर जिलों से आए मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि वे बुधवार से सुचारु रूप से इलाज करेंगे लेकिन यदि सरकार ने सात दिन में मांगें पूरी करने का लिखित आश्वासन नहीं दिया तो वे इमरजेंसी समेत पूर्ण इलाज कार्य ठप कराने को विवश होंगे।
पंजीयन काउंटर खुलते ही जड़ा ताला
हड़ताली इंटर्न डॉक्टर सुबह से ही पंजीयन काउंटर और ओपीडी के बाहर जमा हो गए थे। उन्होंने कर्मचारियों को बाहर निकाल कर पंजीयन काउंटर व ओपीडी में ताला जड़ दिया।
पर्चा कटना बंद होने पर कतार में लगे मरीजों ने हंगामा किया लेकिन उनकी एक नहीं चली। इसके बाद मरीजों की जांच, रिपोर्ट देना व भर्ती होने की प्रक्रिया तक बाधित हो गई। इससे रोगियों को बिना उपचार कराए वापस लौटना पड़ा।
मरीजों ने बाहर से कराई जांच
ओपीडी में होने वाली ईसीजी, ईको व टीएमटी जैसी हृदय संबंधी जांचें भी हड़ताल के कारण नहीं हो सकीं। आइजीआइसी, न्यू गार्डिनर रोड आदि अस्पतालों से रेफर होकर आए कई मरीजों को बिना जांच कराए वापस लौटना पड़ा क्योंकि तीनों जांच सेंटर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। इससे रोगियों को मजबूरी में बाहर जांच करानी पड़ी।
दोपहर बाद खुले रजिस्ट्रेशन काउंटर
मामला स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचने के बाद अधीक्षक ने इंटर्न डॉक्टरों को वार्ता के लिए बुलाया। इसमें इंटर्न डॉक्टरों ने अपनी मांगें रखीं। अधीक्षक ने उनकी मांगें स्वास्थ्य विभाग के पास भेजने की बात कहते हुए कार्य पर लौटने की अपील की। दोपहर करीब एक बजे के बाद दोबारा रजिस्ट्रेशन व ओपीडी काउंटर का ताला खोल करीब एक घंटे तक ओपीडी सेवा संचालित की गई। इसमें 201 मरीजों का इलाज व 100 मरीजों की जांच की गई।
आईजीआईएमएस व अन्य राज्यों जैसे मानदेय की मांग
इंटर्न डॉक्टर अमन कुमार व अन्य ने कहा कि अभी उन्हें 650 रुपये प्रतिदिन की दर पर 20 हजार मानदेय दिया जा रहा है। महंगाई व कार्य बोझ को देखते हुए यह अपर्याप्त है।
इसे बढ़ाकर 40 हजार किया जाए। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 43 हजार, ओडिसा में 40 हजार व आइजीआइएमएस में 32 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है।
सरकार ने पूर्व में हर तीन वर्ष में मानदेय वृद्धि का प्रविधान किया था। हमने कई आवेदन दिए लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसका संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद सभी मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न ने पेन डाउन कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।
नालंदा मेडिकल कॉलेज में दिखा विरोध
वहीं, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर मंगलवार को इमरजेंसी के समीप विरोध प्रदर्शन किया। सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर पहुंच कर मरीजों का निबंधन रुकवा दिया।
विभिन्न विभागों के ओपीडी में जाकर चिकित्सा सेवा को बाधित किया। कार्य बहिष्कार करते हुए नारेबाजी कर रहे इंटर्न डॉक्टरों ने स्टाइपेंड की राशि बीस हजार रुपए से बढ़ा कर चालीस हजार रुपए किए जाने की मांग की।
आंदोलन के दौरान अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही।
एक घंटे तक मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ। मरीज ओपीडी से बाहर आते दिखे। उन्होंने बताया कि चिकित्सक द्वारा इलाज करने से मना किया जा रहा है। दूर-दराज से अस्पताल पहुंचे मरीजों में से कई बिना इलाज कराए ही लौट गए।
1650 मरीजों ने करवाया इलाज
तीज को लेकर ओपीडी में मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत लगभग आधी थी। नये पुराने 1650 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इमरजेंसी सेवा सामान्य रूप से चलती रही। डॉक्टरों द्वारा आंदोलन किए जाने की सूचना पाकर पहुंची अधीक्षक प्रो. डॉ. रश्मि प्रसाद ने उनसे बातचीत किया।
उन्हें समझाते हुए कहा कि मांग के संबंध में विभाग के उच्च अधिकारी से बात की जाएगी। आंदोलनकारी चिकित्सकों ने अधीक्षक की बात नहीं मानते हुए हड़ताल करने की बात कही। अधीक्षक ने बताया कि इंटर्न ने हड़ताल पर जाने से संबंधित कोई पत्र अस्पताल प्रशासन को नहीं दिया है।
बिना सूचना हड़ताल पर जाना अनुचित है। इंटर्न चिकित्सकों ने अपनी उपस्थिति भी बनायी है। आंदोलन कर रहे इंटर्न चिकित्सकों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री से लेकर प्रधान सचिव तक ने स्टाइपेंड बढ़ाने का आश्वासन दिया है। बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी होने के बाद ही वह अपना आंदोलन वापस लेंगे।
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