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    Air Pollution: गंगा की बालू बढ़ा रही प्रदूषण, नमी बढ़ने से और गंभीर हुई स्‍थ‍िति

    By Niraj KumarEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Tue, 06 Dec 2022 11:29 PM (IST)

    गंगा की रेत से राजधानी पटना की सड़कें पटी हुई हैं। इससे हो रहे निर्माण कार्यों के कारण भी प्रदूषण बढ़ रहा है। वातावरण में बढ़ी नमी हवा की धीमी गति इसे गंभीर बना रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं मध्य जनवरी के बाद हवा की गति में तेजी आती है।

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    बिहार की राजधानी पटना में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।

    पटना, नीरज कुमार। प्रदेश में प्रदूषण की मार लगातार बढ़ती जा रही है। गंगा के दियारा से हवा के माध्यम से बालू के कण शहर में पहुंच रहे हैं, जिससे पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है। इसके अलावा राजधानी की सड़कों पर पड़ी बालू की मोटी परत से प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। वहीं राजधानी में जारी निर्माण कार्य भी प्रदूषण को खतरनाक बना दिया है।

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    विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में गंगा के दियारा से काफी मात्रा में बालू के कण शहर में पहुंच रहे हैं, जिससे प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है। इसके अलावा ट्रक एवं टैक्टर के माध्यम से शहर में होने वाले बालू की ढुलाई से भी स्थिति काफी जटिल हो गई है। बिना प्लास्टिक के चादर से ढंके ट्रक्टर से बालू की ढुलाई की जा रही है।उससे वातावरण में बालू के कण आसानी से मिल जा रहे हैं।

    हवा की धीमी गति एवं नमी बढ़ा रही परेशानी

    वर्तमान में राज्य में धीमी हवा की गति और नमी में वृद्धि होने के कारण प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। वर्तमान में राजधानी से लेकर छोटे शहरों तक प्रदूषण की स्थिति खतरनाक हो चुकी है। वातावरण में नमी बढ़ने के कारण धरातल से उठने वाले धूलकण बिखर नहीं पा रहा है।

    बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार घोष का कहना है कि प्रदेश के वातावरण में प्रदूषण बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण वर्तमान में प्रदेश में महज आठ से दस किलोमीटर की गति से हवा का प्रवाह होना है। इससे धूलकण का बिखराव नहीं हो रहा है।

    हवा की गति 25 किलोमीटर हो जाए तो प्रदूषण की मात्रा में काफी कमी आ सकती है। इसके लिए लोगों को एक माह और इंतजार करना होगा। मध्य जनवरी के बाद ही प्रदेश की हवा में प्राय: गति तेजी देखी जाती है। वहीं, मंगलवार को दिल्ली से भी बिहार के कई शहरों का प्रदूषण अधिक रिकार्ड किया गया। प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित छपरा रहा, जहां का एक्यूआइ 411 रिकार्ड किया गया, जबकि दिल्ली का 353 रहा।

    प्रदूषण के लिए 50 प्रतिशत वाहन जिम्मेदार

    राजधानी के एएन कालेज के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञ डा. बिहारी सिंह का कहना है कि राजधानी में होने वाले कुल प्रदूषण में 50 प्रतिशत वाहनों का धुआं है। शहर में चलने वाले पुराने वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर हो गई है।

    छपरा राज्य का सर्वाधिक प्रदूषित शहर

    मंगलवार को छपरा राज्य का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा। वहां पर प्रदूषण की मात्रा 411 एक्यूआइ रिकार्ड किया गया। प्रदेश के अधिकांश प्रमुख शहरों में प्रदूषण की मात्रा 300 एक्यूआइ से ऊपर रहा, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। छपरा के अलावा पटना, आरा, सासाराम, राजगीर, मोतिहारी, सिवान सहित कई शहरों का एक्यूआइ काफी बढ़ गया है।

    शहर- एक्यूआइ

    • छपरा : 411
    • सिवान : 389
    • दरभंगा : 385
    • पूर्णिया : 380
    • बिहारशरीफ : 380
    • आरा : 364
    • राजगीर : 363
    • मोतिहारी : 362
    • पटना : 355
    • कटिहार : 351
    • बेगूसराय : 340
    • सासाराम : 338
    • भागलपुर : 336
    • मुजफ्फरपुर : 328
    • समस्तीपुर : 319
    • मुंगेर : 311
    • गया : 309

    राजधानी में सबसे प्रदूषित क्षेत्र शेखपुरा

    • शेखपुरा : 415
    • तारामंडल : 358
    • गांधी मैदान : 346
    • दानापुर : 342
    • पटनासिटी : 337
    • राजवंशीनगर : 332

    प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

    • सड़कों से बालू की परत हटाया जाए
    • सड़कों पर समय-समय पर पानी की छिड़काव किया जाए
    • ग्रीन नेट के अंदर ही निर्माण कार्य हो
    • सड़कों से निर्माण सामग्री हटाई जाए
    • शहर में हरियाली बढ़ाई जाए
    • कचरा जलाने पर अविलंब रोक लगे

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