नोटबंदी के बाद पॉकेटमारों ने बदला धंधा, करने लगे शराब की तस्करी
नोटबंदी के बाद से पॉकेटमारों ने अपना धंधा बदल लिया है। अब वे शराब की तस्करी में जुट गये हैं। दरअसल डिजिटल पेमेंट का उपयोग ज्यादा होने से पॉकेटमारी में अब फायदा न के बराबर होता था।
पटना [चंद्रशेखर]। नोटबंदी की मार से पॉकेटमार भी परेशान हो गए हैं। एक तो धंधे में रिस्क ज्यादा है उस पर नोटबंदी के बाद आमदनी भी कम हो गई है। अब उन्हें अपना धंधा उतना मालदार नहीं लग रहा है। यही कारण है कि अब वे शराब की तस्करी में जुट गए हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब पटना जंक्शन पर मंगलवार को गिरफ्तार किए गए सात पॉकेटमारों से पूछताछ की गई।
डिजिटल पेमेंट के विकल्प के कारण कम कैश रख रहे
गिरफ्तार पॉकेटमारों की मानें तो नोटबंदी के कारण लोग डिजिटल पेमेंट पर अधिक भरोसा करने लगे हैं। अब वे पर्स में अधिक पैसे लेकर नहीं चल रहे हैं। नोटबंदी के बाद पॉकेटमारी में रिस्क तो उतना ही रह गया है पर लोगों के पर्स में कम पैसे रहने के कारण कमाई काफी कम हो गई है। शराब तस्करी में एक बोतल पर आठ-आठ सौ रुपये तक मिल जाता है।
शराब की तस्करी में ज्यादा आमदनी
सबसे कम रिस्क शराब तस्करी के धंधे में है। एक बार में 10-12 बोतल शराब कपड़े के ट्रॉली बैग में छिपाकर ले आते हैं। स्टेशन आने के पहले ही आउटर पर ही चुपचाप उतरकर ऑटो से घर चले जाते हैं। ऑर्डर पर माल की आपूर्ति कर देते हैं। प्रति बोतल 800 से 1200 रुपये तक कमाई हो जाती है। एक बार में 10 से 12 हजार रुपये बच जाते हैं।
नोटबंदी को जमकर कोस रहे
गिरफ्तार पॉकेटमार नोटबंदी को जमकर कोस रहे हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े एक पॉकेटमार ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों से शहर में काफी चेकिंग चल रही है। रेल पुलिस भी शराब तस्करों पर अधिक निगाह रख रही है। गिरफ्तारी के डर से ही वे लोग पुराने धंधे में लौट आए थे, जहां से आज गिरफ्तार कर लिए गए।
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पटना जंक्शन से सात पकड़े गए
गिरफ्तार अभियुक्तों में मुंगेर के जमालपुर लोको खलासी कॉलोनी निवासी बब्लू साह, बख्तियारपुर निवासी दीपक कुमार, खगौल लख निवासी थान सिंह, राजीव नगर निवासी कृष्ण कुमार, सालिमपुर निवासी दयानंद सिंह, धनरुआ निवासी शिवशंकर कुमार एवं बख्तियारपुर निवासी सूरज कुमार हैं। इनके पास से चोरी के पांच मोबाइल, 2200 रुपये एवं चाबी का गुच्छा, ब्लेड का टुकड़ा समेत कई सामान बरामद किए गए हैं।
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पॉकेटमारी हाल के दिनों में शराब तस्करी को पेशे के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। कम मेहनत में मोटी कमाई की चाहत से अवैध धंधे को चुनते हैं। गिरफ्तार पॉकेटमारों ने इस बात को स्वीकार किया है। ट्रेनों के टीटीई, कोच अटेंडेंट व गार्ड-ड्राइवर की भी धंधे में संलिप्तता के संकेत मिल रहे हैं। रेल पुलिस इस पर नजर रख रही है।
- जितेंद्र मिश्र, रेल एसपी, पटना।
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