नोटबंदी का असर : भोजपुरी की फिल्में नहीं हो रहीं रिलीज, दर्शक मायूस
नोटबंदी की वजह से भोजपुरी की फिल्में रिलीज नहीं हो रही हैं। अभी कोई भी निर्माता रिस्क नहीं लेना चाह रहा है, इसे लेकर इन फिल्मों के दर्शक मायूस हैं।
पटना [जेएनएन]। नोटबंदी की वजह से आम जन तो हलकान हैं ही, इसका भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर भी काफी असर पड़ा है। पीएम की नोटबंदी की वजह से 5 से 6 भोजपुरी फिल्में रिलीज नहीं हो सकी हैं। वहीं कई फिल्मों की शूटिंग पर भी इसका असर पड़ा है।
फिल्म निर्माताओं को भी पहले से ही डर था कि नोटबंदी के कारण दर्शक सिनेमा हॉल नहीं पहुंचेंगे और हो भी यही रहा। इसकी वजह से फिल्मों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
फिल्म निर्माता नहीं उठा रहे रिस्क
भोजपुरी फिल्मों के प्रचारक संजय भूषण पटियाला ने बताया कि नोटबंदी के कारण भोजपुरी इंडस्ट्री पर काफी असर पड़ा है। अभी के समय में कोई फिल्म निर्माता रिस्क उठाना नहीं चाह रहा है। पूरे साल में एक सौ से अधिक भोजपुरी की फिल्में बनती हैं और इस इंडस्ट्री का कारोबार करीब 100 करोड़ के आसपास है।
कई फिल्में रिलीज नहीं हो सकीं हैं
नोटबंदी के असर के कारण पवन सिंह और रानी चटर्जी की फिल्म 'सरकार राज', यश मिश्रा और पूनम दूबे की फिल्म 'रंगदारी टैक्स',खेसारी और काजल की फिल्म 'मेहंदी लगा के रखना', और अविनाश शाही की फिल्म 'सजनवा बैरी भइल हमार' समेत कई फिल्में रिलीज नहीं हो सकी। फिल्म निर्माताओं ने अपने फिल्मों का डेट बढ़ा कर अगले साल कर दिया है।
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छोटे सिनेमा हॉल की भी है हालत खराब
देश के जितने भी छोटे सिनेमा हॉल्स है, उनकी भी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। ऐसे सिनेमा हॉल्स में हिन्दी की बड़ी फिल्में नहीं लगती हैं। इनमें सिर्फ भोजपुरी फिल्में ही दिखाई जाती हैं और यही इनकी कमाई का जरिया होता है। कम पैसे के टिकटों के कारण दर्शक भी इन सिनेमा हाल में ज्यादा पहुंचते हैं।
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दस साल पहले इन सिनेमा हालों की स्थिति बंद करने के कगार पर थी, लेकिन भोजपुरी सिनेमा के कारण ही इनकी स्थिति सुधरी है और ये आज अच्छी तरह चल रहे हैं। फिलहाल ये सिनेमा हॉल्स पुरानी फिल्में ही दर्शकों को दिखा रहे हैं।
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