स्वास्थ्य मंत्री ने IGIMS में दी चार नई सुविधाओं की सौगात, हर वर्ग के मरीजों को मिलेगी विशेष सुविधा
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के नेत्र संस्थान में नई इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मशीन का उद्घाटन होगा। यह मशीन अंधेपन के खतरे वाले मरीजों के लिए मददगार है जिससे समय पर जटिल नेत्र रोगों का पता चल सकेगा। छोटे बच्चों मानसिक रोगियों और बुजुर्गों को विशेष लाभ होगा। स्थान के निदेशक डॉ. प्रो. बिंदे कुमार ने बताया कि इससे संबंधित सभी सुविधाओं की तैयारी पूरी कर ली गई है।

जागरण संवाददाता, पटना। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में अत्याधुनिक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मशीन, मॉड्यूलर ओटी मशीन समेत चार प्रमुख सुविधाओं का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय करेंगे। संस्थान के निदेशक डॉ. प्रो. बिंदे कुमार ने बताया कि इससे संबंधित सभी सुविधाओं की तैयारी पूरी कर ली गई है।
उन्होंने कहा कि यह मशीन उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, जो अंधेपन के जोखिम में हैं, लेकिन पारंपरिक सामान्य जांच विधियों से समय पर इसकी पहचान नहीं हो पाती। राज्य और पूर्वोत्तर भारत में अंधेपन के खिलाफ जिस लड़ाई के लिए क्षेत्रीय नेत्र संस्थान की स्थापना की गई थी, उसे इस मशीन से मजबूती मिलेगी।
क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के उप निदेशक सह प्रमुख डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और वाइड फील्ड फंडस कैमरा के उद्घाटन से अब आंखों की जांच पहले से अधिक उन्नत, वैज्ञानिक और सटीक हो जाएगी।
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मशीन से जन्मजात नेत्र विकार, रेटिनल डिस्ट्रोफी, ऑप्टिक न्यूरोपैथी या अज्ञात कारणों से दृष्टि में कमी जैसे जटिल नेत्र रोगों के निदान में मदद मिलेगी। समय पर रोग की पहचान कर वैज्ञानिक आधार पर उसके उपचार की योजना बनाई जा सकेगी। अंधेपन की शीघ्र पहचान से उपचार शीघ्र शुरू हो सकेगा तथा अंधेपन की समस्या को कम किया जा सकेगा।
छोटे बच्चों, मानसिक रूप से बीमार और बुजुर्गों को होगा फायदा
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी आंखों की विद्युत गतिविधियों को मापकर आंखों की वास्तविक कार्यक्षमता का सटीक आकलन करती है। यह मशीन रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका की कार्यक्षमता का वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण करती है। जहां पारंपरिक नेत्र परीक्षण सीमित हो जाते हैं।
वहीं, इस मशीन से सटीक परीक्षण किया जा सकेगा। नेत्र रोगों की जटिलताओं को समझकर उन्हें शीघ्र राहत पहुंचाई जा सकेगी। जन्मजात नेत्र विकार, तंत्रिका संबंधी विकार, छोटे बच्चों, मानसिक रूप से कमजोर, बुजुर्गों आदि की सटीक जांच जो अब तक मुश्किल थी, वह इससे आसानी से की जा सकेगी।
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