Bihar: 14 जिलों के अपर समाहर्ता एक दिन भी कोर्ट में नहीं बैठे, जमीन के केसों के निबटारे में दिलचस्पी नहीं
जिलों में तैनात अपर समाहर्ता जमीन से जुड़े मामलों के निबटारे के लिए नियमित कोर्ट नहीं लगाते हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निर्देश के बाद भी पिछले महीने 38 में से 14 जिलों के अपर समाहर्ता एक दिन भी कोर्ट में नहीं बैठे। सिर्फ नौ जिलों के अपर समाहर्ता महीने में दस दिन या उससे अधिक कोर्ट में बैठे दाखिल खारिज से जुड़े मामलों की सुनवाई की।

राज्य ब्यूरो, पटना: जिलों में तैनात अपर समाहर्ता जमीन से जुड़े मामलों के निबटारे के लिए नियमित कोर्ट नहीं लगाते हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निर्देश के बाद भी पिछले महीने 38 में से 14 जिलों के अपर समाहर्ता एक दिन भी कोर्ट में नहीं बैठे। सिर्फ नौ जिलों के अपर समाहर्ता महीने में दस दिन या उससे अधिक कोर्ट में बैठे दाखिल खारिज से जुड़े मामलों की सुनवाई की।
सोमवार को यहां हुई अपर समाहर्ताओं की बैठक में महीने भर के कामकाज का हिसाब लिया गया। अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि सभी अपर समाहर्ता सप्ताह में कम से कम दो दिन कोर्ट में बैठें। अपील के समय पर सुनवाई नहीं होने से लोगों में असंतोष होता है।
अपर समाहर्ताओं को किसी पुनरीक्षणवाद की सुनवाई में 30 दिनों के भीतर निर्णय देना होता है। दाखिल-खारिज के सबसे अधिक 43 मामलों की सुनवाई सारण जिले में हुई। दूसरे नम्बर पर पटना है, जहां 42 मामलों की सुनवाई हुई। हालांकि, कुछ अपर समाहर्ताओं ने कहा कि उन्होंने सुनवाई तो की, लेकिन उसे कंप्यूटर पर अपलोड नहीं किया गया।
जमाबंदी रद्द नहीं
समीक्षा में पाया गया कि बक्सर, बांका, कैमूर, सहरसा, कैमूर, मधुबनी, समस्तीपुर, कटिहार, नालंदा एवं वैशाली समेत कई जिलों में पिछले एक माह में एक भी जमाबंदी को रद्द नहीं किया गया है। राज्य में रद्द करने लायक जमाबंदी की संख्या 5470 है।
पूर्वी चंपारण में 63, सुपौल में 42 और औरंगाबाद में 23 मामलों का निष्पादन किया गया है। जिलाधिकारियों को कहा गया कि अंचल अधिकारी, डीसीएलआर और अपर समाहर्ताओं के वार्षिक कार्य मूल्यांकन विभाग की ओर से तैयार मासिक कार्य मूल्यांकन की उपलब्धियों या विफलताओं को भी शामिल करें।
बांका को पहला स्थान
जून माह के अपर समाहर्ताओं की रैंकिंग में बांका पहला, सुपौल को दूसरा और पूर्णिया को तीसरा स्थान मिला। समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव ने सर्वे निदेशालय द्वारा तैयार वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन का विमोचन किया। इसका प्रकाशन हर साल होता है। इसमें साल भर की गतिविधियों का विवरण रहता है।
बैठक में बिहार प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी राधा मोहन प्रसाद द्वारा लिखित पुस्तक अमीन मार्गदर्षिका का भी विमोचन किया गया।
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