Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Acharya Kishore Kunal Profile: छोटे से गांव से तय किया बिहार रत्न तक का सफर, पढ़िए कौन हैं आचार्य किशोर कुणाल

    Updated: Sun, 29 Dec 2024 11:56 AM (IST)

    किशोर कुणाल अब नहीं रहे लेकिन उनकी कृति और समाज सेवा में अद्वितीय योगदान सदियों तक लोगों को प्रेरित करेगा। एक मंदिर से समाज का कितना भला हो सकता है इसका अद्वितीय उदाहरण उन्होंने समाज के समक्ष रखा। इसके साथ ही उन्होंने गरीबों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए। 2009 में दैनिक जागरण की ओर से उन्हें बिहार रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।

    Hero Image
    आचार्य किशोर कुणाल 74 वर्ष की की उम्र में निधन

    जागरण संवाददाता, पटना। महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल का रविवार की सुबह हृदय गति रूकने के कारण निधन हो गया। 74 वर्षीय कुणाल देश के वीपी सिंह की सरकार के दौरान उन्हें केंद्र सरकार ने विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुजफ्फरपुर में हुआ जन्म

    किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरूराज गांव से हुई थी। बाद में उन्होंने 1970 में पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया। उन्हें संस्कृत से गहरा लगाव था। स्नातक के साथ ही उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। 1972 में गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा आईपीएस अधिकारी बने थे। 1978 में वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने थे।

    2001 में छोड़ी नौकरी

    उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के आणंद जिले में हुई थी। उन्हें आणंद का एसपी बनाया गया था। 1978 में उन्हें अहमदाबाद का पुलिस उपायुक्त बनाया गया था। किशोर कुणाल 1983 में पटना के एसएसपी बने थे।

    2001 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया था। बाद में उन्होंने केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति का पद संभाला था, वे साल 2004 तक इस पद पर रहे। बाद में बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बन जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार किया था।

    उन्होंने इस दौरान धार्मिक न्यास बोर्ड में कई बदलाव किए। 10 मार्च 2016 को पद से इस्तीफा दे दिया था। किशोर कुणाल ने दमन तक्षकों का पुस्तक लिख प्रदेश के बाबी हत्याकांड का जिक्र किया था।

    अस्पतालों की स्थापना

    परोपकारी कार्य को लेकर पटना के हनुमान मंदिर के जरिए आचार्य किशोर कुणाल ने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान , महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल जैसे कई धर्मार्थ अस्पतालों की स्थापना की।

    उन्होंने बड़े पैमाने पर परोपकारी कार्य किए। महावीर मंदिर में पहली बार 13 जून 1993 को एक पुजारी को नियुक्त किया था। धार्मिक धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की थी।

    सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए किए प्रयास

    अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से भी वे जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया।

    दलित पुजारी को नियुक्त कर दिया था बड़ा संदेश

    • 13 जून,1993 को पटना हनुमान मंदिर में एक दलित पुजारी नियुक्त किया गया। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की है।
    • उन्होंने बिहार के सभी मंदिरों में दलित ट्रस्टियों की नियुक्ति की है और उन्हें बड़े पैमाने पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन से जोड़ा है। संगत (सामुदायिक प्रार्थना) और पंगत (सामुदायिक भोजन) के कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्जागरण लाया है।
    • सांप्रदायिक सौहार्द्र यद्यपि वे अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे।
    • इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया। समाज के सभी वर्गों से उन्हें बहुत सम्मान प्राप्त है।

    जागरण ने दिया था बिहार रत्न सम्मान 

    • सम्मान के प्रति सदा अनिकक्षा रखने वाले किशोर कुणाल को 2009 में जागरण समाचार पत्र समूह द्वारा 'बिहार रत्न' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
    • 2008 में उन्हें भगवान महावीर फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा प्रायोजित सामुदायिक और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में मानव प्रयास में उत्कृष्टता के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 11वें महावीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र और 5 लाख रुपये दिए जाते हैं।
    • 2006 में उन्हें समाज कल्याण समिति, बिहार, पटना द्वारा सामाजिक सेवा के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
    • 1997 में उन्हें संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उनकी सेवा के लिए पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह द्वारा श्रृंगेरी मठ, वाराणसी में सम्मानित किया गया था।
    • 1996 में उन्हें उनकी सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के लिए दूसरे विवेकानंद मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    लेखक की भूमिका में सदा रहे व्यस्त

    व्यस्त सामाजिक जीवन के बावजूद आचार्य किशोर कुणाल ने लेखन को हमेशा सिर से लगाए रखा। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया। 'दलित देवो भव' एक महान कृति है, जिसे प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दो खंडों में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने अयोध्या रिविजिटेड नामक पुस्तक भी लिखी है।

    पाठ्यक्रम आईपीएस में रहते हुए दिसंबर 1995 में यूएसए में 'क्राइसिस मैनेजमेंट कोर्स' और हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में टॉप मैनेजमेंट कोर्स सहित कई पाठ्यक्रमों में भाग लिया।

    प्रवचन भी दिए

    भारत और अमेरिका में भारतीय इतिहास, दर्शन, संस्कृत साहित्य और धर्मग्रंथों के कई विषयों पर प्रवचन दिए। वाल्मीकि रामायण पर भी उनकी विशेषज्ञता थी।

    ये भी पढ़ें

    Acharya Kishore Kunal Death: पूर्व IPS अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का हार्ट अटैक से निधन

    Manmohan Singh: आर्थिक नीतियों से लेकर मनरेगा तक, इन योजनाओं से मनमोहन सिंह ने बदली देश की तस्वीर