एनएबीएच और नैक से प्रमाणन लेगा राजकीय आयर्वेद कालेज
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आने वाला समय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का होगा। कोरोना काल में देश ही नहीं दुनिया को आयुर्वेद का महत्व समझ में आया है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य का आधार शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक व सामाजिक है और इन्हीं के आधार पर रोगों का निवारण होता है।

पटना। देश के प्राचीनतम कालेजों में से एक कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में मंगलवार को 96वें दो दिवसीय स्थापना दिवस सह पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, भागलपुर आयुर्वेदिक कालेज के पूर्व प्राचार्य अरुण भूषण प्रसाद, महाविद्यालय के प्राचार्य डा. संपूर्णा नंद तिवारी, अधीक्षक, डा. विजय शंकर दूबे, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डा. देवव्रत नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित व भगवान धनवंतरि के चित्र पर माल्यापर्ण कर किया। प्राचार्य डा. संपूर्णानंद तिवारी ने आयुर्वेद कालेज के गौरवमयी इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में यह इकलौता संस्थान है जहां सभी 14 विषयों में स्नातकोतर की पढ़ाई होती है। संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए नैक (नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल) और एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फार हास्पिटल) से मान्यता लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आने वाला समय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का होगा। कोरोना काल में देश ही नहीं दुनिया को आयुर्वेद का महत्व समझ में आया है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य का आधार शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व सामाजिक है और इन्हीं के आधार पर रोगों का निवारण होता है। वहीं, पूर्व प्राचार्य सह भागलपुर प्रमंडल के पूर्व आयुक्त अरुण भूषण प्रसाद ने कहा कि मैं न केवल खुद बल्कि दूसरों को भी आयुर्वेद औषधियों के सेवन के लिए प्रेरित करता हूं। प्राचार्य, डा. संपूर्णानंद तिवारी ने कहा कि राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय सह अस्पताल की स्थापना 26 जुलाई 1926 को अंग्रेजों ने की थी। चार वर्ष बाद यह 100 वर्ष का हो जाएगा। इस महाविद्यालय से कविराज ज्ञानेन्द्र नाथ सेन, हरिनारायण चतुर्वेदी, आचार्य प्रियव्रत शर्मा, आचार्य रामरक्ष पाठक, वैद्य नागेश द्विवेदी जैसे नामचीन चिकित्सक दिए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिता स्व. वैद्य राम लखन भी इस महाविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। स्नातक की सीटें बढ़कर 40 से 125 हो गई हैं। सभी विषयों में मिलाकर स्नातकोतर छात्र-छात्राओं की संख्या 1190 हो गई है। द्रव्यगुण विज्ञान व रस एवं भैषज्य कल्पना विषयों के अलावा जल्द ही यहां संस्कृत एवं सहिता सिद्धांत, शालाक्यतंत्र, रोग निदान, विकृति विज्ञान आदि विषयों में भी पीएचडी की पढ़ाई शुरू की जाएगी। अस्पताल में अत्याधुनिक पंचकर्म सेंटर खोलने का प्रस्ताव है। आयुर्वेद के विकास, विस्तार व ज्ञान साझा करने के लिए 25 देशों से समझौता किया जा चुका है। इसके अलावा 33 देशों के विश्वविद्यालय के छात्रों को आयुष की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दे रहे हैं। मलेशिया में आयुर्वेद सेल का गठन किया गया है। मौके पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बीएचयू के डा. डीएन पाण्डेय ने आयुर्वेद से रोगों के बचाव विषय पर व्याख्यान दिया। इसके अलावा डा. सुशील कुमार झा, डा. पल्लवी भारती, डा. प्रकाश कुमार, डा. सरफराज ने अपने पत्र पढ़े।
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