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    जानिए "आशिकी" सिखाने वाली अभिनेत्री अनु अग्रवाल का बिहार कनेक्शन

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Fri, 30 Dec 2016 10:26 PM (IST)

    सुपरहिट फिल्म आशिकी की एक्ट्रेस अनु अग्रवाल जिन्होंने अपनी खुद की ही पहचान खो दी थी। बिहार के मंंगेर स्थित योग साधना केंद्र ने उन्हें अपनी पहचान याद दिलाने में मदद की।

    पटना [जेएनएन]। 90 के दशक में ‘मैं दुनिया भुला दूंगा तेरी चाहत में’ हो या ‘धीरे-धीरे से मेरी ज़िंदगी में आना’.. महेश भट्ट की फिल्म के ये रोमांटिक गाने और सुपर हिट मूवी रही फिल्म आशिकी, और फिल्म से मशहूर हुई साधारण सी दिखने वाली सीधी-सादी सी अभिनेत्री अनु अग्रवाल जिसे लोगों ने भुला दिया।

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    इस रोमांटिक फिल्म ‘आशिकी’ से लोगों के दिलों में बसने वाली अनु अग्रवाल आज गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं। अनुअ अग्रवाल ने अपनी फ़िल्म ‘आशिकी’ से लोगों को प्यार करने का एक नया स्टाइल सिखाया था, जिससे इस फिल्म का रीमेक भी बनाया गया और वो भी सुपर हित रही।

    आज भी उस पुरानी फ़िल्म के गीत- धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना...इसे युवावर्ग पसंद करता है और इसके रिमेक भी हिट सांग की लिस्ट में शामिल है। लेकिन दुर्भाग्य की आज इस अभिनेत्री को शायद ही कोई याद करता हो। नई पीढ़ी के लोग आशिकी के गाने गाते हैं, गाने का रिमिक्स भी बना है, आशिकी-2 भी बन चुकी है, लेकिन अनु को आज कोई नहीं याद करता है।

    पहली ही फिल्म से हिट हो गई थीं अनु अग्रवाल

    11 जनवरी 1969 को दिल्ली में पैदा हुई अनु अग्रवाल उस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशलसाइंस की पढ़ाई कर रही थीं, जब महेश भट्ट ने उन्हें अपनी आने वाली म्यूजिकल फ़िल्म ‘आशिकी’ में पहला ब्रेक दिया। यह फ़िल्म ज़बरदस्त कामयाब रही और महज 21 वर्ष की उम्र में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाली अनु ने अपनी मासूमियत, संजीदगी और बेहतरीन अभिनय से लोगों को अपना मुरीद बना लिया।

    फिर कोई फिल्म हिट नहीं हुई

    बाद में उनकी ‘गजब तमाशा’, ‘खलनायिका’, ‘किंग अंकल’, ‘कन्यादान’ और ‘रिटर्न टू ज्वेल थीफ़’ जैसी फ़िल्में कब पर्दे पर आईं और चली गईं, पता ही नहीं चला। इस बीच उन्होंने एक तमिल फ़िल्म ‘थिरुदा-थिरुदा’ में भी काम किया। यहां तक अनु ने एक शॉर्ट फ़िल्म ‘द क्लाऊड डोर’ भी की लेकिन, कुछ भी उनके फेवर में नहीं रहा।

    अब जैसे नेचर ने अनु को इशारा कर दिया था कि वो फ़िल्मों के लिए नहीं बनी है और शायद इसलिए 1996 के बाद अनु बड़े पर्दे से गायब हो गईं और उन्होंने अपना रुख योग और अध्यात्म की तरफ़ कर लिया।

    बेहद दर्दनाक रही है इस एक्ट्रेस की जिंदगी

    अनु की लाइफ में तूफ़ान तो तब आया जब वो 1999 में एक भयंकर सड़क दुघटर्ना की शिकार हो गयीं। इस हादसे ने न सिर्फ़ उनकी मेमोरी प्रभावित किया, बल्कि उन्हें चलने-फिरने में भी अक्षम (पैरालाइज़्ड) कर दिया।29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब अनु होश में आईं, तो वह खुद को पूरी तरह से भूल चुकी थी। आसान शब्दों में कहा जाए तो वो अपनी याददाश्त खो चुकी थीं।

    सारी संपत्ति त्यागकर ले लिया संन्यास

    अनु ने मौके की नज़ाकत को समझा और जीवटता दिखाते हुए डॉक्टर्स के निर्देशों को माना। बताते हैं कि लगभग 3 वर्ष चले लंबे उपचार के बाद वे अपनी धुंधली यादों को जानने में सफ़ल हो पाईं। जब वो धीरे-धीरे सामान्य हुई तो उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया और उन्होंने अपनी सारी संपत्ति त्याग कर सन्यास की राह चुन ली।

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    सबकुछ त्यागकर योग-साधना के लिए आ गईं बिहार

    हादसे से उबरने के लिए अनु अग्रवाल बिहार के मुंगेर चलीं गईं। मुंगेर के विश्वप्रसिद्ध योग साधना केंद्र को अनु ने अपना घर बनाया। अनु को तलाश थी खुद की वो कौन हैं, कहां से आईं और उनका नाम क्या है? अनु अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उलझन को सुलझाने की कोशिश कर रही थीं। अनु की इस अनसुलझी जिंदगी को बिहार में एक नया आयाम मिला। यहां मुंगेर के योग साधना केंद्र में योग कर उन्हें बहुत मदद मिली।

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    योग साधना का दिखा असर, अनु को अतीत याद आ गया

    इसी योग साधना के दौर एक वक्त ऐसा भी आया, जब इस हिरोइन को अपना अतीत याद आ गया लेकिन तब तक वक्त फिसल चुका था। फिल्मों में काम करने, संन्यास लेने और फिर एक योग गुरू के रूप में वापस आने की उनकी इस दास्तां को हार्पर कॉलिन्स ने ‘अनयूजवल : मेमोइर ऑफ ए गर्ल हू केम बैक फ्रॉम डेड’ के रूप में प्रकाशित किया है।